बच्चों ने सीखा संबंधों को निभाने का सलीका
(संस्कारशाला का मत्था) - लिटिल एंजिल्स स्कूल में प्रार्थना सभा के उपरांत शिक्षिका अंजू सक्सेना ने छात्र-छात्राओं को सुनाई जागरण संस्कारशाला में प्रकाशित कहानी आइसक्रीम पार्टी - विद्यार्थियों ने ध्यान से सुनी कहानी और फिर उस पर आधारित सवालों के तत्परता से दिए जवाब फोटो-10पीआइएलपी-1
जागरण संवाददाता, पीलीभीत : जागरण संस्कारशाला अभियान के अंतर्गत अखबार में प्रकाशित कहानी आइसक्रीम पार्टी के माध्यम से छात्र-छात्राओं ने सामाजिक संबंधों को निभाने का सलीका सीखा। शहर के लिटिल एंजिल्स स्कूल में प्रार्थना सभा के उपरांत शिक्षिका अंजू शर्मा ने बच्चों को यह रोचक कहानी सुनाते हुए बताया कि किस तरह से कहानी की मुख्य पात्र नीला नामक बालिका की मम्मी को चोट लग जाने पर परिचित लोग बिना कुछ बताए उसकी मदद करते हैं। नीला की मम्मी के पैर में फ्रैक्चर हो जाने पर किस तरह के मुहल्ले के लोगों से लेकर उसके स्कूल के बच्चे तक मदद करने पहुंचने लगते हैं। इससे बच्चों ने यह सीख ली कि आपस में किसी के भी परिवार में कोई अप्रिय घटना घट जाए तो संबंधों को निभाने में कभी पीछे नहीं हटना चाहिए।
गुरुवार को सुबह स्कूल में बच्चों को यह कहानी सुनाते हुए शिक्षिका ने बताया कि नीला तो स्कूल में छुट्टी हो जाने के बाद निकट के पार्क में बैठे रहकर अपनी मम्मी के आने का इंतजार कर रही थी। उसे क्या पता था कि उसे लेने आने की जल्दबाजी में सड़क पार करने के दौरान उसकी मम्मी को कार ने टक्कर मार दी, जिससे उनके पैर में फ्रैक्चर हो गया है। पड़ोस की आंटी उस बालिका को आग्रह कर अपने घर ले गईं लेकिन यह नहीं बताया कि उसकी मम्मी के साथ क्या घटना घटित हुई है। जब आंटी के यहां पहुंचकर नीला के मामा ने दरवाजा खटखटाया तो भी बालिका की समझ में यह नहीं आया कि आखिर मामा क्यों आए हैं। उसे तो घर जाने के बाद ही इसकी जानकारी हुई। मुहल्ले की एक आंटी पूरे परिवार के लिए खाना लेकर आ जाती हैं। अगले दिन स्कूल में जब नीला के सहपाठी बच्चों को घटना का पता चलता है तो सभी बारी-बारी से उसकी मम्मी की देखभाल करना तय कर लेते हैं। आसपास वालों, स्कूली बच्चों की मदद देखकर उसके मामा का यह कहना कि मुसीबत तो सब पर आती है लेकिन अगर उसका सामना मिल बांटकर किया जाए तो वह जल्दी खत्म हो जाती है, बच्चों ने कहानी से यही सीख हासिल की। कहानी के बाद पूछे गए सवालों के जवाब भी बच्चों ने पूरी तत्परता के साथ दिए।
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इस कहानी से ये सीख मिली कि साथ पढ़ने वाले किसी बच्चे के परिवार में कोई घटना हो जाए तो उसकी मदद करना चाहिए। अपने से जो भी हो सके, सहायता करने में देर नहीं लगाना चाहिए।
अंशू अग्रवाल
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आइसक्रीम पार्टी कहानी वाकई बहुत अच्छी लगी है। इस कहानी से सीख मिली है कि मुसीबत में हमें एक-दूसरे का साथ देना चाहिए। इससे आपसी संबंधों को मजबूती मिलती है।
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पार्क में बैठी नीला को अगर उसकी आंटी यह बता देतीं कि उसकी मम्मी का एक्सीडेंट हो गया है तो वह घबरा जाती। आंटी उसे प्यार से घर ले गईं और उसे खाना खिलाया, यह प्रसंग अच्छा लगा।
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पूरी कहानी में नीला के मामा की भूमिका भी कम महत्वपूर्ण नहीं रही है। उसकी मम्मी का एक्सीडेंट हो जाने के बाद मामा की उसे लेने के लिए आंटी के घर पहुंचे लेकिन वहां उसे कुछ नहीं बताया।
विजय लक्ष्मी
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साथ में पढ़ने वाले बच्चे एक दूसरे प्रति पूरा ध्यान रखें। सिर्फ स्कूल में ही नहीं बल्कि उनके परिवार के लोगों के प्रति भी चिता रखना चाहिए। इस कहानी से यही सीख हासिल की है।
दिव्यांशी
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आइसक्रीम कहानी से यह सीख मिली है कि हमें अपने साथ पढ़ने वाले बच्चों के प्रति अपनेपन की भावना रखना चाहिए , जिससे किसी मुसीबत के दौरान हम लोग एक-दूसरे की मदद कर सकें।
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जागरण संस्कारशाला के अंतर्गत अखबार में प्रकाशित होने वाली कहानियों से छात्र-छात्राओं को नैतिक शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिलता है। दैनिक जागरण का यह प्रयास सराहनीय है। स्कूली शिक्षा के साथ ही बच्चों में नैतिक गुणों का विकास होना भी आवश्यक है। इससे उन्हें अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझने और उन्हें निभाने की सीख मिलती है। इस तरह की शिक्षा को बच्चे कहानी के माध्यम से जल्दी सीखते हैं।
-सीमा अग्रवाल, प्रधानाध्यापिका लिटिल एंजिल्स स्कूल