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विद्यार्थियों ने अंतरिक्ष के सेवाभाव से ली सीख

(संस्कारशाला का मत्था) - अपने परिवार और रिश्तेदारी में बड़े-बुजुर्गों का आदर-सम्मान करना सभी बचों का कर्तव्य - लायंस बाल विद्या मंदिर में जागरण संस्कारशाला में प्रकाशित कहानी बड़ों के प्रति रखें आदर-प्रेम का भाव का शिक्षिका गीता मिश्रा ने छात्र-छात्राओं के बीच किया पाठ फोटो-17पीआइएलपी-1

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 05:07 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 05:07 PM (IST)
विद्यार्थियों ने अंतरिक्ष के सेवाभाव से ली सीख

जागरण संवाददाता, पीलीभीत : दैनिक जागरण के अभियान संस्कारशाला के अंतर्गत अखबार में प्रकाशित हो रही प्रेरक कहानियों से विद्यार्थी सीख ले रहे हैं। स्कूलों में छात्र-छात्राएं पूरे मनोयोग से न सिर्फ कहानी सुनते हैं बल्कि उसके संदेश को भी समझ रहे हैं। तभी तो कहानी सुनाने के बाद जब उससे संबंधित सवाल बच्चों से पूछे जाते तो वे बगैर कोई देरी किए तपाक से उनके जवाब देते रहे। गुरुवार को लायंस बाल विद्या मंदिर में शिक्षिका गीता मिश्रा ने जागरण में प्रकाशित कहानी 'बड़ों के प्रति रखें आदर-प्रेम का भाव' सुनाई।

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बरहा स्थित लायंस बाल विद्या मंदिर में सुबह प्रार्थना के बाद शिक्षिका ने जब कहानी का पाठ करना शुरू किया तो सभी छात्र-छात्राए एकाग्रचित होकर उसे सुनने लगे। बच्चों ने जाना कि किस तरह से अपने मम्मी-पापा के साथ फ्रांस में रह रहे बालक अंतरिक्ष को जब यह पता चलता है कि भारत से उसके दादा-दादी आ रहे हैं तो वह कितना खुश हुआ। उसने स्कूल में अपने साथी बच्चों को भी इसकी जानकारी दी। जब दादा-दादी आ जाते हैं तो वह उनके साथ खेलते हुए किस तरह से खुश रहता है। क्रिकेट खेलने के दौरान अंतरिक्ष अपने दादा को गेंद उठाने के लिए दौड़ने नहीं देता। वह जानता है कि दादा जी बुजुर्ग हैं, वह दौड़ेंगे तो थक जाएंगे। कहता है कि आप तो एक ही जगह खड़े होकर बालिग करते रहो। दादी के पास रहकर उनसे कहानियां सुनना उसे कितना अच्छा लगता है। बच्चों को कहानी का वह प्रसंग बहुत प्रेरणादायी लगा जिसमें अंतरिक्ष रात में अपने दादा जी को लिहाफ अच्छी तरह से ओढ़ाने का प्रयास करता है। लगता है कि ऐसा न किया तो दादा जी को ठंड लग सकती है। अमेरिका में रहने वाली उसकी बुआ को जब अंतरिक्ष की बाल सुलभ बातों और कार्यो के बारे में बताया जाता है तो वह भी बहुत खुश होती हैं। साथ ही इस बात पर अफसोस भी प्रकट करती हैं कि ऐसे समय में वह वहां होती तो कितना अच्छा रहता। बच्चों ने पूरी कहानी ध्यान से सुनी। शिक्षिका ने एक-एक करके चार सवाल भी बच्चों से पूछे, जिनके बिल्कुल सटीक जबाव देकर बच्चों ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय दिया।

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यह कहानी तो बहुत अच्छी लगी है। अंतरिक्ष अपने दादा और दादी का जितना सम्मान करता है, वैसा हम सभी को करना चाहिए। इस कहानी से यही सीख मिली है। परिवार के बुजुर्गो का ख्याल रखेंगे।

मिस्ट्री, छात्रा

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अपने से बड़ों के प्रति आदर रखना और उनसे प्रेम करना चाहिए। अपने दादा और दादी से दूर रहने वाले बच्चों को जब उनका साथ मिल जाता है तो कितनी खुशी होती है। अंतरिक्ष की तरह ही।

प्रतीक्षा, छात्रा

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संस्कारशाला की यह कहानी हमारे लिए बहुत महत्व रखती है। इस कहानी से सीख मिली है कि हमें अपने दादा व दादी का पूरा सम्मान करना चाहिए। उनसे मिलने वाला स्नेह बहुत ही महत्वपूर्ण है।

तनु, छात्रा

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संस्कारशाला के तहत प्रकाशित होने वाली कहानियां मैं लगातार पढ़ता रहा हूं। आज मेरे स्कूल में भी टीचर ने इस कहानी को बड़े ही अच्छे ढंग से सुनाया। यह कहानी भी बहुत अच्छी लगी है।

अक्षय गंगवार, छात्र

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सिर्फ अंतरिक्ष ही नहीं बल्कि उसके दादा व दादी भी बच्चे के साथ खेलते, उससे बातें करते कितना खुश हो रहे थे। बड़े-बुजुर्गों को भी बच्चों का साथ बहुत अच्छा लगता है। हमें इसका ध्यान रखना चाहिए।

प्रिस, छात्र

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दादी ने अंतरिक्ष को जो शैतान बंदर की कहानी सुनाई, वह बहुत दिलचस्प लगी। दादी खुद अभिनय करके जब बंदर की हरकतों के बारे में बताती हैं तो बहुत अच्छा लगता है। कहानी काफी रोचक और सीख लेने वाली है।

सौरभ कुमार, छात्र फोटो-17पीआइएलपी-2

दैनिक जागरण संस्कारशाला के माध्यम से बच्चों में अच्छे गुणों के साथ ही नैतिकता का विकास करने में सहायक सिद्ध हो रहा है। जिस तरह की कहानियां इस अखबार में प्रकाशित हो रही हैं, वे बच्चों के लिए बहुत प्रेरणादायी हैं। बच्चे इनसे सीख रहे हैं। कहानियां इतनी रोचक हैं कि बच्चे एकाग्र होकर सुनते हैं। जागरण का यह प्रयास सराहनीय है।

-रमेश चंद्र सेमवाल, प्रधानाचार्य लायंस बाल विद्या मंदिर


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