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प्रभु श्रीराम ने किया अहंकारी रावण का वध

क्षेत्र के ग्राम बमरोली में चल रहे रामलीला मेला में सोमवार की शाम को दशहरा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। मेलार्थियों के जनसमूह ने मेला ग्राउंड में अहिरावण व रावण वध लीला के मंचन का आनन्द लिया। असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक रावण का विशालकाय पुतला जलते ही मेला परिसर जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 11:53 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 06:06 AM (IST)
प्रभु श्रीराम ने किया अहंकारी रावण का वध
प्रभु श्रीराम ने किया अहंकारी रावण का वध

बिलसंडा (पीलीभीत) : क्षेत्र के ग्राम बमरोली में चल रहे रामलीला मेला में सोमवार की शाम को दशहरा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। मेलार्थियों के जनसमूह ने मेला ग्राउंड में अहिरावण व रावण वध लीला के मंचन का आनन्द लिया। असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक रावण का विशालकाय पुतला जलते ही मेला परिसर जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठा। आतिशबाजी प्रतियोगिता आयोजित की गई।

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सोमवार को अपरान्ह चार बजे मेला ग्राउंड में आज की लीला का शुभारम्भ हुआ। वंशजों के लगातार मारे जाने पर लंकाधिपति रावण चितित हो जाता है और अपने महाबलिशाली पाताल लोक के राजा अहिरावण के पास जाकर उन्हें राम से युद्ध करने को भेजता है। अहिरावण विभीषण का रूप धारण कर राम के शिविर में पहुंच जाता है। सभी वानरों को सम्मोहन मंत्र से बेहोश कर राम-लक्ष्मण को चुराकर पाताल लोक ले जाता है और अपनी यज्ञशाला में दोनों भाइयों की बलि चढ़ाने के लिए यज्ञ करता है। पवन पुत्र हनुमान पाताल लोक पहुंच जाते है। द्वार पर उनके ही अंश मकरध्वज उन्हें रोकने का प्रयास करते है और दोनों के बीच घमासान युद्ध होता है। युद्ध में हनुमान मकरध्वज को परास्त कर बंदी बना लेते है और बाद में अहिरावण की सारी शक्ति क्षीण कर तथा उसका वध कर राम, लक्ष्मण को सकुशल शिविर में वापस ले आते है। अहिरावण की मृत्यु का समाचार पाकर रावण गुस्से से क्रोधित हो उठता है और स्वयं ही रणभूमि में राम से युद्ध करने पहुंच जाता है। रावण आग्नेयास्त्रों से राम की वानर सेना को पछाड़कर भगाने लगता है राम अपने बाणों से रावण के सिरों व भुजाओं को काटकर धरती पर गिरा देते है। कटी भुजाओं व सिरों की जगह नये सिर व भुजाएं पुन: बन जाते है। राम चितित हो उठते है। विभीषण से रहस्य हासिल कर राम एक साथ 31 बाण छोड़ते हैं। रावण के दसों शीश, बीसों भुजाएं तथा 1 बाण उसके नाभि में लगता है। नाभि का अमृत सूख जाता है जिससे वह कटे वृक्ष की तरह वह धरती पर गिर पड़ता है। रावण वध के बाद आतिशबाज अपनी बेहतरीन आतिशबाजी का प्रदर्शन किया। बाद में मेला ग्राउंड में खड़ा किया गया रावण का विशालकाय पुतला जलाया गया। व्यवस्था में पंकज मिश्र, अनिल मिश्र, संतोष शुक्ल आदि का विशेष सहयोग रहा।


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