माला रेंज में चुनौती बना मानव-वन्यजीव संघर्ष
टाइगर रिजर्व का माला रेंज पीटीआर के लिए काफी संवेदनशील हो चुका है। इलाके में मानव-वन्यजीव संघर्ष चुनौती बन गया है। दरअसल इस जंगल में बाघों का कुनबा बढ़ गया है। नए बाघ अपना एरिया बढ़ा रहे तो पुराने बाघों को बाहर निकलना पड़ रहा है।
जेएनएन, पीलीभीत : टाइगर रिजर्व का माला रेंज पीटीआर के लिए काफी संवेदनशील हो चुका है। इलाके में मानव-वन्यजीव संघर्ष चुनौती बन गया है। दरअसल इस जंगल में बाघों का कुनबा बढ़ गया है। नए बाघ अपना एरिया बढ़ा रहे तो पुराने बाघों को बाहर निकलना पड़ रहा है। मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ने का यह भी एक प्रमुख कारण है। फिलहाल पीटीआर प्रशासन की ओर से इस इलाके में टीम के माध्यम से लगातार मॉनीटरिग कराई जा रही है। दूसरी ओर जंगल के आसपास स्थित गांवों में रहने वाले लोगों को भी सावधानी बरतने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व का जंगल पांच रेंजों में विभाजित है। पिछले साल हुई गणना में यहां 65 से अधिक बाघ होने की पुष्टि हो चुकी है। विभागीय अधिकारियों का आकलन है कि वर्तमान में माला और महोफ रेंज के जंगल में अन्य रेंजों की तुलना में बाघों की संख्या अधिक है। माला रेंज में तीन साल पहले तक जो शावक अपनी मां (बाघिन) के साथ घूमा करते थे, वे अब वयस्क हो चुके हैं। जवान हुए बाघ अब इसी माला रेंज के जंगल में ही बादशाहत कायम करने के लिए अपना एरिया बढ़ा रहे हैं। इसी वजह से टकराव को टालने के लिए पुराने बाघ जंगल से बाहर की ओर रुख कर लेते हैं। टाइगर रिजर्व बनने से पहले यहां बाघों की संख्या 41-42 के आसपास रही है। उस दौर में बराही, हरीपुर और महोफ के साथ ही दियोरिया रेंज में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं आएदिन होती रही हैं। टाइगर रिजर्व बनने के बाद ऐसी घटनाओं में काफी कमी आ गई। इन रेंजों में वर्षों से मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं नहीं हुईं लेकिन माला रेंज इसका अपवाद बना है। फरवरी से अब तक इस रेंज के आसपास मानव-वन्यजीव संघर्ष में छह ग्रामीण अपनी जान गवां चुके हैं। इसके अलावा कई लोग घायल भी हुए। इस बीच एक बाघ की मौत हुई और एक अन्य बाघ को ट्रैंकुलाइज करके कानपुर के चिड़िया घर भेजा जा चुका है।
फैक्ट फाइल
पीटीआर के जंगल का कुल क्षेत्रफल 73024.98 हेक्टेयर
जंगल की कुल लंबाई 60 किमी एवं चौड़ाई 15 किमी
जंगल में बाघों की संख्या 65 से अधिक
पीटीआर के रेंज-माला, महोफ, बराही, हरीपुर और दियोरिया महोफ और माला रेंज में बाघों की संख्या अधिक है। माला के जंगल में तीन साल पहले जो शावक मां के साथ थे, वे अब स्वतंत्र होकर अपना एरिया बढ़ा रहे। इसी वजह से दूसरे बाघ बाहर निकल आते हैं। किसी जंगल से बाघ का बार-बार बाहर आना एनटीसीए की गाइडलाइन के अनुसार संवेदनशील माना जाता है। बाहर आने वाले बाघ या बाघिन के मामले में टीमें लगातार मॉनीटरिग कर रही हैं। जाल लगाकर बाघ को पकड़ने का भी प्रयास किया गया। फिलहाल वह जंगल में चला गया है। उच्चाधिकारियों के संपर्क में हैं। जैसे निर्देश मिलेंगे, उसी के अनुसार काम होगा।
डॉ. एच. राजामोहन, फील्ड डायरेक्टर पीटीआर