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पिछले साल की अपेक्षा बेहतर रहा रिजल्ट

सीबीएसई व यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट कक्षाओं की बोर्ड परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए हैं। परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद से ही विद्यार्थी भविष्य को लेकर सक्रिय हो गए हैं। सीबीएसई बोर्ड का परीक्षा परिणाम गत वर्ष की अपेक्षा बेहतर रहा तो वहीं यूपी बोर्ड के परीक्षा परिणाम में भी काफी वृद्धि देखने को मिली। हालांकि यूपी बोर्ड हाईस्कूल कक्षा के परिणाम में कुछ अंकों की घटोतरी भी पाई गई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 12:03 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 12:03 AM (IST)
पिछले साल की अपेक्षा बेहतर रहा रिजल्ट
पिछले साल की अपेक्षा बेहतर रहा रिजल्ट

पीलीभीत,जेएनएन: सीबीएसई व यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट कक्षाओं की बोर्ड परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए हैं। परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद से ही विद्यार्थी भविष्य को लेकर सक्रिय हो गए हैं। सीबीएसई बोर्ड का परीक्षा परिणाम गत वर्ष की अपेक्षा बेहतर रहा तो वहीं यूपी बोर्ड के परीक्षा परिणाम में भी काफी वृद्धि देखने को मिली। हालांकि यूपी बोर्ड हाईस्कूल कक्षा के परिणाम में कुछ अंकों की घटोतरी भी पाई गई है।

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परिणाम घोषित होने के बाद सीबीएसई व यूपी बोर्ड के मूल्यांकन मानकों में अंतर सदैव चर्चा का केंद्र रहा है। उदार मूल्यांकन प्रणाली के कारण सीबीएसई बोर्ड में परीक्षार्थियों को शत प्रतिशत अंक तक प्राप्त होते हैं तो वहीं दूसरी ओर यूपी बोर्ड के परीक्षार्थियों को थोड़े कम अंकों के साथ संतोष करना पड़ता है। यूपी बोर्ड में सौ फीसद अंक प्राप्त करना अभी तक संभव नहीं हो सका है तो वहीं सीबीएसई बोर्ड में सौ फीसद अंक प्राप्त करने वाले एकाधिक बच्चे लगभग हर वर्ष सामने आ जाते हैं। मेधा और ज्ञान के स्तर पर यूपी बोर्ड के बच्चे किसी से कम है, इसका कोई भी प्रमाण सामने नहीं आता है। सीबीएसई विद्यालयों की तर्ज पर भौतिक सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास श्रेष्ठ हिदी माध्यम विद्यालय करते आ रहे हैं।

मेरिट आधार पर प्रवेश में सामने आती तस्वीर: बारहवीं उत्तीर्ण करने के उपरांत उच्च शिक्षा में प्रवेश की जद्दोजहद शुरू हो जाती है। दिल्ली व लखनऊ विश्वविद्यालय समेत कई अच्छे विवि अभी भी बारहवीं के प्राप्तांक के आधार पर स्नातक में प्रवेश प्रदान कर रहे हैं। इस दौरान सीबीएसई, आईसीएसई व राज्य बोर्डों के बच्चों का प्रवेश ग्राफ देखा जा सकता है। दिल्ली व लखनऊ विश्वविद्यालय में स्नातक कक्षाओं के प्रवेश में अधिक अंकों के कारण सीबीएसई व आईसीएसई बोर्ड के बच्चों की अधिकता रहती है। यूपी बोर्ड

वर्ष हाईस्कूल इंटरमीडिएट 2018 65.27 66.27 2019 80.86 65 2020 80.31 83.45 सीबीएसई बोर्ड

वर्ष हाईस्कूल इंटरमीडिएट 2018 93 82 2019 95 85 2020 97 89

सीबीएसई ने कोरोना काल में घर पर कॉपी चेक करने की व्यवस्था की थी। सीबीएसई का परीक्षा परिणाम भी हर वर्ष की तरह बेहतर रहा है। लड़कियों का प्रदर्शन ज्यादा अच्छा रहा है। राज्य बोर्ड के विद्यालयों में शिक्षकों का उत्तरदायित्व तय करना जरूरी है। सीबीएसई माध्यम के विद्यालयों में शिक्षक कम वेतन पर अधिक जिम्मेदारी के साथ कार्य करते हैं। कारण यह है कि उनकी जबाबदेही तय की जाती है। राज्य बोर्डों को विशेष ट्रेनिग सत्र भी आयोजित करने चाहिए।

- रमेश चंद्र सेमवाल, प्रधानाचार्य लायंस बाल विद्या मंदिर

सीबीएसई में मूल्यांकन प्रणाली हमेशा राज्य बोर्ड से नरम रही है। सीबीएसई के मानकों में अंक विभाजन स्टेप मार्किंग के आधार पर किया जाता है। बोर्ड से प्राप्त आंसर शीट में लिखे गए प्वाइंट्स अगर परीक्षार्थी के उत्तर में हैं तो उसे पूरे अंक प्रदान किये जाते हैं। इस प्रकार सीबीएसई के बच्चों के अंक अधिक रहते हैं। यूपी बोर्ड के बच्चों में मेधा की कोई कमी नहीं है। समय के साथ मानकों में परिवर्तन आवश्यक है। - अल्पना कोहली, जिला समन्वयक, सीबीएसई

परीक्षा परिणाम में सुधार हो रहा है। स्टेप मार्किंग की व्यवस्था यूपी बोर्ड में भी है लेकिन कुछ पुराने शिक्षक पूरे नंबर देने को अभी अपनी आदत में नहीं ला पाए हैं। माध्यमिक शिक्षा परिषद की तरफ से शिक्षकों को ट्रेनिग भी कराई जा रही है। विद्यालयों में शिक्षकों के पद भरे जाना जरूरी है जिससे बेहतर शिक्षण कार्य हो सके।

- संतप्रकाश, जिला विद्यालय निरीक्षक


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