अनमोल खुशियां लेकर आया था 15 अगस्त 1947 का सबेरा
सदियों बाद स्वतंत्रता मिली तो सभी को अनगिनत खुशियां मिलीं। लोगों ने जमकर जश्न भी मनाया था।
पीलीभीत : सदियों बाद स्वतंत्रता मिली तो सभी को अनगिनत खुशियां मिलीं। लोगों ने जमकर जश्न भी मनाया था। यह कहना है पूरनपुर के श्याम मोहन गुप्ता का। उन्होंने कहा कि खुशियां तो मिलीं लेकिन बटवारे के दर्द ने लोगों को रुलाया भी। कुछ दिन बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मौत हुई तो भी लोगों को आजादी कुछ अधूरी सी लगने लगी।
वर्ष 1927 में जन्में पूरनपुर के श्याम मोहन लाल गुप्ता ने आजादी से पहले का दौर भी देखा। कहा कि 15 अगस्त 1947 की रात को अंग्रेजों ने देश छोड़ा एवं भारत को आजादी मिली तो 20 वर्षीय इस युवा को भी खुशियों को अनुभव हुआ। इनका परिवार संघ से जुड़ा था इसलिए परिवार ने घी के दीपक जलाए थे। इनके पिता प्यारेलाल वैश्य ने बंधु बांधवों के साथ मंदिर जाकर पूजा अर्चना भी की थी।
इमरजेंसी में 52 दिन के लिए जेल गए श्याम मोहन को अब लोकतंत्र सेनानी घोषित किया गया है एवं पेंशन भी मिल रही है।
कागज को रंग कर तिरंगे झंडे बनाए थे : किफायत
पीलीभीत : गांव के किफायत हुसैन (86) को आजादी की वह पहली सुबह आज भी याद है, जब गांव में जश्न मनाया गया था। बच्चों ने कागज को रंग कर तिरंगे झंडे बनाए थे। उन झंडों को एक छड़ी में फंसाकर गांव में बच्चों ने जुलूस निकाला था। उन दिनों की याद करते हुए यह बुजुर्ग बताते हैं कि तब गांव में ¨हदू और मुसलमान दोनों वर्गों के लोगों ने आजादी के पहले दिन गांव के मुखिया की चौपाल पर एकत्र हुए। देश को आजादी मिल जाने की खुशी में सभी लोगों को गुड़ खिलाया गया और पानी पिलाया गया। उस समय किफायत हुसैन की उम्र लगभग 15 वर्ष थी, जब उन्हें आजादी की पहली सुबह देखने को मिली। गांव सरैंदा पट्टी में जन्मे किफायत हुसैन पिछले चालीस वर्षों से अपनी ससुराल माधोपुर में रह रहे हैं।