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दो दिन भूखे प्यासे जिदगी और मौत के बीच में फंसे रहे बच्चे

पीलीभीतजेएनएन बाढ़ की स्थिति के बाद शारदा नदी के पार फंसे ग्रामीणों में अधिकतर महिलाएं और बच्चे थे। भूखे प्यासे रहकर एक टापू पर दो दिन तक रहे बच्चों और महिलाओं ने अपना दर्द बयां किया। बाढ़ की हालत से से सहमे बच्चों ने काफी प्रयासों के बाद बातचीत की। सुरक्षित स्थान पर पहुंच कर काफी देर के बाद इन लोगों के चेहरे पर कुछ मुस्कान लौटी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 12:09 AM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 12:09 AM (IST)
दो दिन भूखे प्यासे जिदगी और मौत के बीच में फंसे रहे बच्चे

पीलीभीत,जेएनएन : बाढ़ की स्थिति के बाद शारदा नदी के पार फंसे ग्रामीणों में अधिकतर महिलाएं और बच्चे थे। भूखे प्यासे रहकर एक टापू पर दो दिन तक रहे बच्चों और महिलाओं ने अपना दर्द बयां किया। बाढ़ की हालत से से सहमे बच्चों ने काफी प्रयासों के बाद बातचीत की। सुरक्षित स्थान पर पहुंच कर काफी देर के बाद इन लोगों के चेहरे पर कुछ मुस्कान लौटी। वायुसेना के जवानों द्वारा हेलीकॉप्टर से फंसे ग्रामीणों का रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर लाया गया। जिसमें अधिकतर बच्चे और महिलाएं शामिल थीं। जब महिलाओं और बच्चों से बातचीत की कोशिश की तो उनके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था। डरे से सहमे बच्चों ने धीरे-धीरे अपना दर्द बयां किया। बाद में महिलाओं ने बताया कि दो दिन से उन्होंने कुछ भी खाया पिया नहीं। एक ही स्थान पर बैठकर रात बिताई। चारों ओर पानी ही पानी नजर आ रहा था। महिलाओं ने बताया ऐसा लग रहा था कि अब जिदगी यही तक सीमित है। बचने की कोई उम्मीद भी नहीं थी लेकिन प्रशासन के प्रयासों के बाद और सेना के जवानों की बहादुरी से इन लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया। 26 लोगों के रेस्क्यू में कुछ बच्चे 5 साल से भी कम आयु के थे। जिनको रात्रि नदी के पार भूखा प्यासा रहना पड़ा। चारों ओर पानी ही पानी नजर आ रहा था। ऐसा लग रहा था कि अब जीवन लीला समाप्त हो जाएगी। भूख और प्यास से दो दिन ऐसे ही तड़पते रहे। -सुमित्रा मंडल फोटो 20पीआइएलपी 31

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रात्रि में जंगल की तरफ से हाथियों की चिघारने की आवाज भी आ रही थी। चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा था एक ही जगह पर बैठकर दो दिन काटना पड़े।

- श्रुति मजूमदार। स्वयं के साथ-साथ बच्चों की भी बहुत फिक्र लगी थी। खुद तो भूखे रह सकते थे लेकिन बच्चों की भूख देख कर रहा नहीं जा रहा था।

- बिटिका मंडल। सेना के जवानों के द्वारा सुरक्षित स्थान पर लाया गया है। जिनके कारण आज हम लोग जीवित हैं। वरना बाढ़ की चपेट में आकर वह सकते थे।- अंजलि गायन। रात भर बहुत ठंड लगी। रात में मम्मी से लिपटी रही ।मम्मी ने बताया सुबह को कोई ना कोई हम लोगों को लेने के लिए आ जाएगा।- गौरी। मम्मी कह रही थी अब कभी नदी के पार नहीं आएंगे। चारों तरफ पानी देखकर बहुत डर लग रहा था। रात में यहां पर अंधेरा भी बहुत था।

- अनीशा मजूमदार।


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