जंगल किनारे खेतों में वैकल्पिक फसलें करें किसान
जिला गन्ना अधिकारी ने जंगल किनारे जिन किसानों के खेत हैं उन्हें गन्ना की बजाय अन्य वैकल्पिक फसलें उगाने के लिए जागरूक किया। उन्होंने कहा कि जंगल किनारे गन्ना की फसल होने से हिसक वन्यजीव खेतों में पहुंचकर छिप जाते हैं।
पीलीभीत,जेएनएन : जिला गन्ना अधिकारी ने जंगल किनारे जिन किसानों के खेत हैं, उन्हें गन्ना की बजाय अन्य वैकल्पिक फसलें उगाने के लिए जागरूक किया। उन्होंने कहा कि जंगल किनारे गन्ना की फसल होने से हिसक वन्यजीव खेतों में पहुंचकर छिप जाते हैं। इस कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति बन जाती है। ऐसे में उन फसलों को करना चाहिए, जिनसे किसानों को आर्थिक लाभ होने के साथ ही सुरक्षा भी मिल सके।
शुक्रवार को जिला गन्ना अधिकारी जितेंद्र कुमार मिश्र ने मझोला क्षेत्र के गांव बूंदी भूड़ व बंदरबोझ गांवों में गन्ना किसानों के साथ गोष्ठियों का आयोजन किया। गोष्ठियों में उन्होंने किसानों को सलाह दी कि उनके जो खेत जंगल के किनारे स्थित हैं, उनमें गन्ना की खेती करने की बजाय वैकल्पिक फसलों को उगाएं। ऐसी औषधीय व संगधीय पौधों की खेती को अपनाएं, जिससे उन्हें गन्ना से ज्यादा आय प्राप्त हो सकेगी। क्योंकि जंगल से अक्सर हिसक वन्यजीव बाहर निकल आते हैं। गन्ने के खेत ऐसे वन्यजीवों के छिपने का सुरक्षित स्थान बन जाते हैं। इससे वन्यजीव और मनुष्य दोनों के लिए खतरा रहता है। जंगल किनारे खेतों में इसलिए गन्ना की फसल बिल्कुल न करें। इस अवसर पर ललित हरि चीनी मिल के प्रधान प्रबंधक (गन्ना) केबी शर्मा ने भी किसानों को इस बात के लिए जागरूक किया कि जंगल के पास स्थित खेतों में उनके लिए गन्ना की फसल करना नुकसानदेह हो सकता है। इसके साथ ही अधिकारियों ने किसानों को इस बात के लिए भी जागरूक किया कि गन्ना छिलाई के बाद पताई को जलाएं नहीं बल्कि मल्चर से खेत में ही फैला दें। जिससे उसका लाभ मिल सके। मल्चर मशीनें सभी सहकारी गन्ना विकास समितियों पर उपलब्ध कराई जा चुकी हैं।