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बाढ़ के कारण एक फसल पर निर्भर हुए अन्न्दाता

शारदा नदी में हर साल आने वाली बाढ़ के दंश को लेकर हजारा क्षेत्र के किसान एक ही फसल पर निर्भर होकर रह गए हैं। बाढ़ में कहीं फसल तबाह न हो जाए इसको लेकर सिर्फ खाने भर की धान की फसल लगाते हैं। किसानों को गन्ने के लेट लतीफ भुगतान को लेकर काफी परेशानी होती है लेकिन इसके बावजूद वह फसल करने को विवश हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 11:50 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 11:50 PM (IST)
बाढ़ के कारण एक फसल पर निर्भर हुए अन्न्दाता
बाढ़ के कारण एक फसल पर निर्भर हुए अन्न्दाता

जेएनएन, पीलीभीत : शारदा नदी में हर साल आने वाली बाढ़ के दंश को लेकर हजारा क्षेत्र के किसान एक ही फसल पर निर्भर होकर रह गए हैं। बाढ़ में कहीं फसल तबाह न हो जाए इसको लेकर सिर्फ खाने भर की धान की फसल लगाते हैं। किसानों को गन्ने के लेट लतीफ भुगतान को लेकर काफी परेशानी होती है, लेकिन इसके बावजूद वह फसल करने को विवश हैं। अगर बाढ़ का ज्यादा प्रकोप हो गया तो यह भी फसल खराब हो जाती है। गन्ने के साथ ही किसान सब्जी की खेती कर गुजर बसर कर रहे हैं।

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पिछले चार दशक से से शारदा किसानों की फसलों सहित भूमि का निगल रही है। इसके चलते कृषि योग्य भूमि का एक बड़ा भूभाग शारदा में विलीन हो गया है। जिन खेतों में कभी लहलहाती फसलें हुआ करती थीं, वह रेत में तब्दील हो गए हैं। उस जमीन पर अब खेती नहीं हो पा रही है। अधिकांश किसानों को भी शारदा ने भूमिहीन करने के साथ बेघर कर दिया है। इसकी मार से वह उबर नहीं पा रहे हैं। जिन किसानों के पास जमीन थी वह पहले धान, गेहूं, दलहनी, तिलहनी आदि फसलों की पैदावार करते थे। हालांकि बाढ़ आने के दौरान इन फसलों को काफी नुकसान होता था। हालांकि अब एक बड़ा रकबा शारदा की भेंट चढ़ जाने से जमीन रेतीली हो गई है। उस रेतेली भूमि पर फसल नहीं हो पा रही है। शारदा के किनारे की जमीनों के अलावा अधिकांश क्षेत्र में बाढ़ के भय से गन्ने की खेती होती है। बाढ़ के दौरान यह फसल प्रभावित भी होती है तो कुछ ज्यादा नुकसान नहीं होता। लखीमपुर खीरी की संपूर्णानगर सहकारी चीनी मिल को यहां के किसान गन्ना सप्लाई करते हैं। हालांकि किसानों को समय से भुगतान नहीं मिल पाता। पूरे वर्ष में तैयार होने वाली गन्ने की फसल के लिए किसान एक वर्ष तक भुगतान का भी इंतजार करते रहते हैं। दूसरी फसलें नाममात्र की करने और गन्ना भुगतान समय से न मिल पाने के कारण किसानों को आर्थिक तंगी से भी जूझना पड़ता है।

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सब्जी की कर रहे हैं खेती

रमनगरा और हजारा क्षेत्र में किसानों के पास कृषि योग्य जमीन शारदा में कट जाने से कुछ जमीनें ही शेष रह गई हैं। गन्ने की फसल के अलावा यहां के किसान सब्जी की खेती कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। रमनगरा क्षेत्र में तो गन्ना और सब्जी की फसलों पर ही लोगों की निर्भरता है। यहां के किसान केला की पर्याप्त मात्रा में खेती कर रहे हैं। साथ ही भिडी, टमाटर, बैगन, परोरा, लौकी, तोरई आदि की फसलें कर जीविकापोर्जन कर रहे हैं।

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बाढ़ और कटान को लेकर गन्ने की खेती करना यहां के किसानों की मजबूरी बन गया है। शारदा के किनारे गन्ना लगाते हैं। अगर अधिक पानी भी आ जाता है तो कोई खास नुकसान फसल को नहीं होता।

लालचंद निषाद

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इस क्षेत्र में अधिकांश किसान गन्ने की फसल करते हैं। पास की ही संपूर्णानगर चीनी मिल में गन्ना जाता है। हालांकि भुगतान बेहद लेट लतीफ मिलता है, लेकिन किसान बाढ़ के चक्कर में इसकी रोपाई करते हैं।

अमरजीत सिंह शेरगिल

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पिछले वर्ष राहुलनगर में कटान के दौरान शारदा ने किसानों की लहलहाती सैकड़ों एकड़ गन्ने की फसल को तबाह कर दिया था। किसानों ने डर के कारण इसबार भी गन्ने की रोपाई की है।

अमरीक सिंह

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बाढ़ और कटान का दंश झेलने के साथ यहां के बाशिदों के लिए उपज बिक्री की भी कई समस्याएं हैं। किसान मंडी न होने की वजह से भी गन्ने की अधिकांश खेतों में रोपाई करता है। इससे उसे सहूलियत मिलती है।

हरवंश सिंह


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