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डॉ. चतुर्वेदी स्वास्थ्य विभाग के वन मैन आर्मी

कहते हैं व्यक्ति का पद और नाम नहीं अपितु उसका काम उसे बड़ा बनाता है। काम करने की प्रेरणा विचारों और भावनाओं से मिलती है। कोरोना संक्रमण काल में स्वास्थ्य विभाग के लिए डॉ. चंद्रमोहन चतुर्वेदी वन मैन आर्मी की तरह डटे रहे। पांच समकक्ष अधिकारियों में एसीएमओ डॉ. चतुर्वेदी की कार्यशैली समर्पण व सहयोग सबसे भिन्न रहा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 12:21 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 12:21 AM (IST)
डॉ. चतुर्वेदी स्वास्थ्य विभाग के वन मैन आर्मी
डॉ. चतुर्वेदी स्वास्थ्य विभाग के वन मैन आर्मी

पीलीभीत,जेएनएन: कहते हैं व्यक्ति का पद और नाम नहीं अपितु उसका काम उसे बड़ा बनाता है। काम करने की प्रेरणा विचारों और भावनाओं से मिलती है। कोरोना संक्रमण काल में स्वास्थ्य विभाग के लिए डॉ. चंद्रमोहन चतुर्वेदी वन मैन आर्मी की तरह डटे रहे। पांच समकक्ष अधिकारियों में एसीएमओ डॉ. चतुर्वेदी की कार्यशैली, समर्पण व सहयोग सबसे भिन्न रहा। पूरे कोरोना काल में उन्हें बस एक ही चिता रही कि पीलीभीत पर कोरोना हावी न होने पाए। वह सदैव एक लाइन दोहराते थे कि मेरी कोशिश है पीलीभीत डूबना नहीं चाहिए।

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कोड ऑफ कंडक्ट के अनुसार कोरोना जैसी महामारी के नियंत्रण की जिम्मेदारी तकनीकी रूप से जिला सर्विलांस अधिकारी की होती है,लेकिन डॉ. चंद्रमोहन चतुर्वेदी ने कोड ऑफ कंडक्ट के स्थान पर कोड ऑफ एथिक्स को महत्ता दी। सर्विलांस अधिकारी व कोविड नोडल अधिकारी न होने के बावजूद पहले दिन से कोरोना नियंत्रण के लिए नीति निर्माण से लेकर क्रियान्वयन तक में पूर्ण रुचि दिखाई। जब कोरोना का भय पूरी तरह लोगों के मन मस्तिष्क में छा चुका था, कोरोना का मतलब मतलब मौत माना जाने लगा था। ऐसे समय में डॉ. चंद्रमोहन चतुर्वेदी अपनी पूरी टीम के साथ फील्ड में डटे रहे। उनके स्वभाव और आत्मीयता के कारण ही महकमे के अधीनस्थ अधिकारी व कर्मचारी उनकी गुस्सा, उनकी डांट को भी पूरा सम्मान देते हुए हमेशा उनका आदेश मिलने का इंतजार करते हैं।

अधीनस्थों के लिए भरोसेमंद: स्वास्थ्य विभाग में एमओआइसी से लेकर अन्य अधीनस्थों के लिए डॉ. चतुर्वेदी सबसे भरोसेमंद हैं। उनकी पहचान एक अधिकारी के रूप में कम बल्कि एक नेक दिल इंसान के रूप में अधिक है। बरखेड़ा मेडिकल आफीसर इंचार्ज (एमओआइसी) डॉ. एसके सिंह कहते हैं कि डॉ. चतुर्वेदी के कहने पर हम लोग आधी रात को भी काम करने को तैयार रहते थे क्योंकि हमें पता कि जब कभी हमें जरूरत होगी तो वे हमारे साथ खड़े होंगे। नगर चिकित्साधिकारी डॉ. आरके सिंह कहते हैं कि डॉ. चतुर्वेदी की डांट हम लोगों को बहुत कुछ सिखाती है। अगर वो खामियां निकालते हैं तो साथ में प्रोत्साहित कर सुधार भी कराते हैं।

खुद हुए संक्रमित पर लड़खड़ाए नहीं कदम: घर से दूर रहकर रात-रात भर जागकर काम करना, तनाव, प्रशासनिक नियंत्रण को समायोजित करते हुए 8 जुलाई की शाम डॉ. चतुर्वेदी के कोरोना संक्रमित होने की खबर सामने आई। पूरे महकमा सन्न रह गया। यह वह दौर था जब कोरोना का ग्राफ अपने शिखर की ओर बढ़ रहा था। सबको उनके स्वास्थ्य और उनके बिना कोरोना नियंत्रण कार्यक्रम के संचालन की चिता होने लगी। डीएम व सीएमओ पर भी अतिरिक्त दबाब आ गया। दोनों अधिकारी डॉ. चतुर्वेदी के जल्द लौटने की कामना करने लगे। कोरोना को हराकर 23 जुलाई को लौटे डॉ. चतुर्वेदी बिना झिझके, बिना हड़बड़ाए एक बार फिर कोरोना के सामने खड़े हो गए। अब कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए डॉ. सीएम चतुर्वेदी पर बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए भी वे पूरी तन्मयता के साथ जुटे हुए हैं। सीएमओ डॉ. सीमा अग्रवाल व जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. सीएम चतुर्वेदी के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य कर्मियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। जिससे जनपद को ड्राइ रन के बाद प्रदेश में अव्वल व टीकाकरण शुभारंभ अवसर पर प्रदेश में छठा स्थान प्राप्त हुआ। मेरी कोशिश रहती है कि अपनी जिम्मेदारी व लोगों की अपेक्षाओं के साथ न्याय कर सकूं। इस कार्य को अकेला नहीं कर सकता, मेरे सभी अधिकारी व अधीनस्थ इसमें पूरा सहयोग करते हैं। अगर वो मेरी बात न मानें तो कुछ भी संभव नहीं कितु उनका विश्वास और सम्मान मुझे इतना कार्य करने की प्रेरणा देता है।

- डॉ. चंद्रमोहन चतुर्वेदी, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी पीलीभीत


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