शारदा के कटान से नहीं मिल रहा छुटकारा
शारदा के कटान और वन्यजीवों से रमनगरा वासियों को राहत नहीं मिल पा रही है। यहां की आबादी हर बार बसने और उजड़ने पर मजबूर है। आवासीय जमीन पाने के लिए भी बाशिदे वर्षो से जद्दोजहद कर रहे हैं। इनकी इन प्रमुख समस्याओं को लेकर इस ओर किसी का ध्यान नहीं है जिससे इनका दर्द बढ़ता जा रहा है।
पीलीभीत,जेएनएन : शारदा के कटान और वन्यजीवों से रमनगरा वासियों को राहत नहीं मिल पा रही है। यहां की आबादी हर बार बसने और उजड़ने पर मजबूर है। आवासीय जमीन पाने के लिए भी बाशिदे वर्षो से जद्दोजहद कर रहे हैं। इनकी इन प्रमुख समस्याओं को लेकर इस ओर किसी का ध्यान नहीं है जिससे इनका दर्द बढ़ता जा रहा है।
नेपाल सीमावर्ती गांव रमनगरा पीलीभीत टाइगर रिजर्व और शारदा नदी से जुड़ा हुआ है। शारदा सागर जलाशय से भी यह गांव लगा हुआ है। यहां के रहने वाले लोगों को कई दशक पहले जमीन उपलब्ध कराई गई थी। इसके साथ ही आवासीय पट्टे भी किए गए थे। यह लोग बेहद हंसी-खुशी रहे थे लेकिन अचानक शारदा के कटान शुरू करने से इनकी मुश्किलें लगातार बढ़ती गई। शारदा ने कई ग्रामीणों के पक्के आवास, जमीन आदि सभी कुछ अपने आगोश में लेकर मिटा दिया। इससे यहां के लोग बदहाली की जिदगी गुजर बसर करने लगे मजबूर हैं। कटान पीड़ितों को शारदा सागर जलाशय की तलहटी में अपने छप्पर पोश घर बना कर समय काटना पड़ रहा है। इन लोगों को दूसरी जगह जमीन और आवासीय पट्टे देकर बसाने कि कई बार कवायद हुई लेकिन वह धरातल पर नहीं उतर सकी। इसके साथ ही यहां के लोगों के लिए वन्यजीवों का आवागमन सबसे बड़ी समस्या है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल से वन्यजीव निकलकर अक्सर ही लोगों के घरों से पालतू पशुओं को उठा ले जाते हैं। वन्यजीवों से भी यहां के बाशिदों को छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। आवासीय जमीन न होने के कारण कई लोगों को सरकारी सुविधाओं से भी महरूम रहना पड़ रहा है। सभी समस्याओं को लेकर वह बेहद परेशान और हताश नजर आते हैं। हर बार इन लोगों को आश्वासन तो दिया जाता है लेकिन उसे पूरा नहीं किया जाता जिससे यहां के ग्रामीण महत्वाकांक्षी सरकारी सुविधाओं से महरूम हैं और विषम समस्याओं के निराकरण की राह ताक रहे हैं।
शारदा नदी ने यहां के लोगों को बेहद नुकसान पहुंचाया है। लोगों के घरों के साथ जमीनें भी शारदा निगल गई है। मजबूरन ग्रामीण डैम की तलहटी के किनारे शरण लिए हुए हैं।
अशोक विश्वास
पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल से अक्सर वन्यजीवों का आवागमन इधर रहता है। लोगों कीे पशुशालाओं में घुसकर पालतू मवेशियों पर हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार देते हैं।
सुभाष मौर्य
जिन लोगों की जमीन और आवास शारदा निकल गई उन लोगों को कई बार दूसरी जगह बसाने और जमीन के पट्टे करने का आश्वासन दिया गया लेकिन यह आश्वासन कोरा साबित हुआ।
रामसमुझ राजभर
शारदा की विभीषिका का शिकार हुए यहां के लोग मेहनत मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। आवासीय जमीन न होने पर उन्हें महत्वाकांक्षी सुविधा भी नहीं मिल पा रही हैं।
दुलारे राजभर
इस गांव के रहने वाले ग्रामीणों को हर बार शारदा का दंश झेलना पड़ता है। अब तक हजारों एकड़ जमीन शारदा निगल चुकी है। लोगों के पास खेती न होने से वह मजदूरी करने को विवश है।
सुदर्शन राय
दूसरी जगह जमीन देकर बसाने और वन्यजीवों से छुटकारा दिलाने के लिए कई बार वादे किए गए लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला। यहां के लोगों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
नंदू राजभर
इस तरह से हल होगी समस्या
ग्रामीणों ने बताया कि कटान पीड़ितों को कहीं दूसरी जगह जमीन दी जाए। अगर उन्हें पहले ज्यादा जमीन मिली थी अब उन्हें कम भी दे दी जिसपर वह राजी होंगे। कटान को लेकर ठोस परियोजनाएं बनाई जाए जिससे जमीनों को बचाया जा सके। वन्यजीवों से निजात के लिए जंगल किनारे तार फेंसिग की जाए। इससे वह सुरक्षित रह सकें।