यूनानी डाक्टर के पास मिला अंग्रेजी दवाइयों का भंडार
पीलीभीतजेएनएन शहर के जाटों वाला चौराहा स्थित मुहम्मद सलीम व मुहम्मद बिलाल के क्लीनिक पर हुई आठ माह के बच्चे की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने जांच रिपोर्ट तैयार कर ली है। सीएमओ डा. आलोक कुमार के आदेश पर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. हरिदत्त नेमी ने नगर चिकित्साधिकारी डा. आरके सिंह के साथ मुआयना कर रिपोर्ट तैयार कराई। सीएमओ ने रिपोर्ट को अंतिम रूप देते हुए जिलाधिकारी को भेजने की संस्तुति कर दी है। जांच रिपोर्ट में यूनानी डाक्टर की ओर से किए जा रहे इलाज की विधि को अवैध बताया गया है।
पीलीभीत,जेएनएन: शहर के जाटों वाला चौराहा स्थित मुहम्मद सलीम व मुहम्मद बिलाल के क्लीनिक पर हुई आठ माह के बच्चे की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने जांच रिपोर्ट तैयार कर ली है। सीएमओ डा. आलोक कुमार के आदेश पर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. हरिदत्त नेमी ने नगर चिकित्साधिकारी डा. आरके सिंह के साथ मुआयना कर रिपोर्ट तैयार कराई। सीएमओ ने रिपोर्ट को अंतिम रूप देते हुए जिलाधिकारी को भेजने की संस्तुति कर दी है। जांच रिपोर्ट में यूनानी डाक्टर की ओर से किए जा रहे इलाज की विधि को अवैध बताया गया है।
शहर के मुहल्ला फारुख निवासी मुहम्मद अजीज आठ माह के पुत्र मुरादी हसन को तेज बुखार आने के बाद जाटों वाला चौराहा निकट के स्थित डा. सलीम व डा. बिलाल के क्लीनिक पर लेकर पहुंचे थे। बच्चे के स्वजन के मुताबिक क्लीनिक पर इलाज के दौरान बच्चे को एक इंजेक्शन लगाया गया जिसके बाद बच्चे की मौत हो गई। मौत होने के बाद शव का पोस्टमार्टम कराया गया जिसमें इंजेक्शन लगने वाले अंग का बिसरा सुरक्षित कर लिया गया है। शहर कोतवाल हरीशवर्धन सिंह ने बताया कि जल्द ही बिसरा परीक्षण के लिए प्रयोगशाला भेजा जाएगा। स्वास्थ्य विभाग की टीम को निरीक्षण के दौरान क्लीनिक पर काफी अधिक मात्रा में अंग्रेजी दवाइयां मिली हैं। दरअसल डा. सलीम व डा. बिलाल के पास बीयूएमएस डिग्री है जोकि यूनानी विधि से उपचार की अनुमति देती है। इसके बाद भी क्लीनिक पर बड़ी मात्रा में एलोपैथिक दवाइयों की खेप मिलना नियमों के विपरीत है। सिटी मजिस्ट्रेट व स्वास्थ्य विभाग को स्थलीय जांच के दौरान कई प्रकार के इंजेक्शन, सीरप, एलोपैथिक टेबलेट, कैप्सूल आदि मिले। बायो मेडिकल वेस्ट का उचित प्रबंध नहीं: यूनानी डाक्टर को केवल दवा परामर्श देने का अधिकार है। इसी शर्त पर उसका रजिस्ट्रेशन होता है। इसके बाद भी डा. सलीम व डा. बिलाल के क्लीनिक पर बड़ी मात्रा में इंजेक्शन मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम एक गत्ता भरकर इस्तेमाल हो चुके इंजेक्शनों की बरामदगी कर कार्यालय पहुंची। इंजेक्शन बायो मेडिकल वेस्ट में जाने चाहिए थे,लेकिन क्लीनिक संचालक ने इसका कोई प्रबंध नहीं किया। दिमागी बुखार का इलाज कर रहा था डाक्टर: घटना के बाद बच्चे की बीमारी के बारे में पूछा गया तो पता चला कि डाक्टर ने बच्चे को दिमागी बुखार बताया था। यूनानी डाक्टर एलोपैथिक दवाइयों का इस्तेमाल करके दिमागी बुखार जैसी गंभीर बीमारी का इलाज कर रहा था। ऐसे मरीज को तत्काल बाल रोग विशेषज्ञ के पास रेफर किया जाना चाहिए था। हालांकि दिमागी बुखार के तथ्य की पुष्टि दैनिक जागरण नहीं करता। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने डाक्टर से हुई बातचीत के आधार पर इस बात का उल्लेख किया। इनसेट--
क्लीनिक पर मिले भर्ती बेड, इंजेक्शन का अधिकार नहीं
यूनानी डाक्टर के क्लीनिक पर मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था भी पाई गई, इसके अलावा भर्ती मरीजों को ड्रिप चढ़ाने के लिए स्टैंड रखा पाया गया। इससे प्रतीत होता है कि मरीजों को भर्ती कर ड्रिप चढ़ाई जाती होगी। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिलाधिकारी को भेजी गई रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि यूनानी डाक्टर को बहुत सीमित संख्या में एलोपैथिक दवा का प्रयोग करने की अनुमति है। यह दवा आकस्मिक स्थितियों में ओरल मेडिसिन के तौर पर प्रयोग की जा सकती है। हालांकि इसके लिए भी विशेष प्रावधान किए गए हैं। यूनानी डाक्टर इंजेक्शन लगाने के लिए अधिकृत नहीं है। डाक्टर के मुताबिक उसने बच्चे के बेटनीसाल इंजेक्शन लगाया था। बेटनीसाल इंजेक्शन यूनानी डाक्टरों के लिए अधिकृत एलोपैथिक दवाओं की सूची में नहीं है। ऐसे में बच्चे को अनाधिकृत रूप से इंजेक्शन लगाया गया।
जांच रिपोर्ट प्राप्त हो गई है। जांच रिपोर्ट में इलाज करने वाले डाक्टर को इंजेक्शन का प्रयोग करने के लिए अधिकृत नहीं पाया गया है, इसके अलावा क्लीनिक पर काफी अधिक मात्रा में एलोपैथिक दवाइयां मिली हैं जोकि प्राप्त अनुमति से भी ज्यादा हैं। मामला गंभीर है। एक मासूम बच्चे की जान गई है। पूरी रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी जा रही है।
- डा.आलोक कुमार, सीएमओ