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पांचवीं कक्षा के छात्र ने गेट तोड़ कर बचाई महिला की जान

बच्चों की मासूमियत की चर्चे तो हम सुनते ही हैं लेकिन दिखने में ये जितने मासूम होते हैं उतने ही समझदार और बहादुर भी। इसका उदाहरण सेक्टर 46 में देखने को मिला जहां एक पांचवी कक्षा के एक बच्चे ने पड़ोस में रहने वाले अपने दोस्त की मां को गेट तोड़कर बचाया। बॉथरूम का गेट लॉक हो जाने से महिला काफी घबरा गई थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Oct 2018 10:25 PM (IST)Updated: Sun, 14 Oct 2018 10:25 PM (IST)
पांचवीं कक्षा के छात्र ने गेट तोड़ कर बचाई महिला की जान
पांचवीं कक्षा के छात्र ने गेट तोड़ कर बचाई महिला की जान

अर्पित त्रिपाठी, नोएडा :

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बच्चों की मासूमियत के चर्चे तो हम सुनते ही हैं, लेकिन दिखने में ये जितने मासूम होते हैं उतने ही समझदार और बहादुर भी। इसका उदाहरण सेक्टर 46 में देखने को मिला, जहां एक पांचवीं कक्षा के एक बच्चे ने पड़ोस में रहने वाले अपने दोस्त की मां को गेट तोड़कर बचाया। बॉथरूम का गेट लॉक हो जाने से महिला काफी घबरा गई थी। महिला में घबराहट बढ़ जाने की शिकायत है, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले दोस्त के घर में बिना घबराए दोस्तों को इकट्ठा कर पांचवी के छात्र ने गेट पर धक्का मार मार कर उसे तोड़ दिया।

सेक्टर 46 के बी ब्लाक में रणधीर ¨सह रहते हैं। इनकी सेक्टर 10 में फैक्ट्री है। उनका 10 वर्ष का बेटा नौनीध ¨सह विश्व भारती स्कूल में पांचवीं कक्षा में पढ़ता है। शनिवार दोपहर नौनीध पड़ोस में दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले छात्र काव्य के घर पर खेलने गया था। वहां काव्य की मां उसके साथ रहती हैं, जबकि पिता आगरा में नौकरी करते हैं। नौनीध ने बताया कि वह और काव्य खेल रहे थे। अचानक दोनों को काव्य की मम्मी की आवाज आने लगी। वे दोनों वॉशरूम के पाश पहुंचे तो देखा दरवाजा बंद था और महिला गेट खोलने की आवाज लगा रही थी। महिला को घबराहट होने की शिकायत है। ऐसे में वह और परेशान हो रही थीं। काफी कोशिश करने और देर हो जाने से महिला और उसका दोस्त रोने लगा।

नौनीध ने अपने कुछ दोस्तों को बुलाया, लेकिन वह भी कुछ नहीं कर सके। ऐसे में नौनीध ने गेट तोड़ने का फैसला लिया। वह काफी देर तक गेट को कंधे से मारने लगा। साथ ही बीच बीच में हैंडल पर भी मारता रहा। काफी देर तक हैंडल पर मारने से वह टूट गया और गेट खुल गया। बच्चे की बहादुरी पर महिला ने नौनीध और उसके परिवार को धन्यवाद दिया है।

पिता रणधीर ने बताया कि वह बच्चों को शुरू से लोगों की मदद करने की सीख देते आए हैं। यही वजह रही कि उसने अपने दोस्त की मां को उस मुश्किल घड़ी से बचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। उसके इस काम ने परिवार को गर्व महसूस कराया है।


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