युवा अवस्था में प्रवेश के साथ यमुना प्राधिकरण को लगे पंख
अर¨वद मिश्रा, ग्रेटर नोएडा : यमुना प्राधिकरण मंगलवार को अपनी युवा अवस्था में प्रवेश करने जा रहा ह
अर¨वद मिश्रा, ग्रेटर नोएडा : यमुना प्राधिकरण मंगलवार को अपनी युवा अवस्था में प्रवेश करने जा रहा है। 24 अप्रैल 2001 को प्राधिकरण का गठन हुआ था। 17 सालों तक कई उतार चढ़ाव के साथ यमुना प्राधिकरण ने यह सफर तय किया है। किसानों के साथ जमीनी विवाद से निपटने में प्राधिकरण को लंबा वक्त लग गया। इसका असर औद्योगिक विकास पर पड़ा है। जमीन पर कब्जा न मिलने की वजह से उद्यमी प्राधिकरण क्षेत्र में निवेश के लिए हिचकते रहे। अपार संभावनाओं के बावजूद निवेश नहीं आने से खराब आर्थिक हालत ने प्राधिकरण को हजारों करोड़ का कर्जदार बना दिया, लेकिन युवा अवस्था में कदम रखने के साथ प्राधिकरण पर छाये संकट के बाद भी छटने लगे हैं। जमीन पर कब्जे से लेकर औद्योगिक निवेश के लिए कंपनियां आतुर हैं। नए सफर में प्राधिकरण का अहम पड़ाव जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। जो प्राधिकरण के लिए मील का पत्थर साबित होगा। पहली ही फांस निकालने में लग गया लंबा वक्त : प्राधिकरण की 21 हजार आवासीय भूखंड की पहली योजना ही उसके लिए फांस बन गई। 2009 में सेक्टर 18 व 20 में निकाली गई योजना के लिए प्राधिकरण जमीन पर किसानों से कब्जा नहीं ले पाया। जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसानों के हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने से परेशानी और बढ़ गई। इस चुनौती को हल करने के लिए किसानों को नोएडा, ग्रेटर नोएडा की तर्ज पर 64.7 फीसद अतिरिक्त मुआवजे का लाभ देने का फैसला प्रदेश सरकार को करना पड़ा, लेकिन इसके बाद भी जमीन पर कब्जा लेने में प्राधिकरण को काफी समय लग गया। 2018 में प्राधिकरण सेक्टर 18 की लगभग पूरी जमीन पर कब्जा ले चुका है और सेक्टर बीस में भी विकास कार्य जारी हैं। दिसंबर तक 1400 आवंटियों को पांच साल बाद भूखंड पर कब्जा मिल जाएगा।
कर्ज उतारकर सुधरी आर्थिक हालत : यमुना प्राधिकरण 2015-16 तक 3800 करोड़ रुपये के कर्ज तले दबा था। मुआवजा बांटने से लेकर सेक्टरों में विकास कार्य कराने तक रे लिए प्राधिकरण के पास रकम नहीं थी। लेकिन प्राधिकरण ने अपनी योजनाओं, आवंटियों से बकाया वसूली व मितव्यता के जरिये कर्ज से मुक्ति पाने का रास्ता तलाशते हुए आर्थिक हालत सुधारने में सफलता पाई है। प्राधिकरण पर अब 2656 करोड़ रुपये कर्ज बचा है। इसके अलावा बीते वित्त वर्ष में प्राधिकरण ने अपने संसाधनों से 1100 करोड़ रुपये मुआवजा बांटा है। सेक्टर 18 व 20 में विकास कार्यों को पंख लग चुके हैं। मेट्रो, रैपिड ट्रैन होगी यमुना प्राधिकरण की नई सूरत : यमुना प्राधिकरण विकास की नई इबारत लिखने का तैयार है। जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के साथ मेट्रो व रैपिड ट्रेन प्राधिकरण की नई सूरत होगी। ग्रेटर नोएडा से जेवर तक मेट्रो की डीपीआर तैयार हो रही है। दिल्ली मेरठ रेपिड ट्रेन से जेवर हवाई अड्डे को जोड़ने के लिए संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र की साठ मीटर चौड़ी सड़क को सौ मीटर करने के साथ ग्रेटर नोएडा की लाइफ लाइन 130 मीटर चौड़ी सड़क यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में आगे का सफर तय कर जेवर हवाई अड्डे तक 120 मीटर चौड़ी बनेगी। औद्योगिक इकाईयों से मजबूत होगी प्राधिकरण की पहचान : यमुना प्राधिकरण का गठन एक्सप्रेस वे के समानांतर औद्योगिक कॉरीडोर विकसित करने के लिए हुआ है। 18 वें साल में औद्योगिक प्राधिकरण की पहचान मजबूत हो जाएगी। पतंजलि की इकाई शुरू होने के साथ ही प्राधिकरण क्षेत्र में पहली औद्योगिक इकाई का श्रीगणेश होगा। लॉजिस्टिक हब, टैक्सटाइल क्लस्टर, फार्मा हब, मोबाइल व इलेक्ट्रानिक हब आने वाले समय में प्राधिकरण की पहचान होंगी। जिसमें लाखों लोगों को रोजगार के साथ हजारों करोड़ का निवेश होगा। शहर में होगा आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर : यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में बसने वाले शहर में इंफ्रास्ट्रक्चर आधुनिक होगा। सीवर, बिजली, पेयजल, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, वॉटर ट्रीटमेंट का मजबूत ढांचा होगा। 2023 तक बिजली की डिमांड के अनुरूप प्राधिकरण इस वर्ष बिजली का ढांचा विकसित कर लेगा। हर सेक्टर में 33 केवी सब स्टेशन के अलावा दो 220 केवी के सब स्टेशन पहले चरण में बनाए जा रहे हैं। हैरीटेज सिटी से शुरू होगा दूसरा चरण : यमुना प्राधिकरण फेज दो में टप्पल राया व बाजना दो शहरी केंद्र में से बाजना में हैरिटेज सिटी का काम इसी साल शुरू करेगा। इसके साथ ही प्राधिकरण फेज दो में पहला कदम रखेगा। हैरिटेज सिटी पर्यटन की सुविधाओं को ध्यान में रख कर विकसित होगा। इससे मथुरा क्षेत्र में पर्यटन के नए आयाम तैयार होंगे। फेज एक में एक तिहाई जमीन का हो चुका है अधिग्रहण : यमुना प्राधिकरण के 2021 मास्टर प्लान के तहत फेज एक में गौतमबुद्ध नगर के 131 व बुलंदशहर के 40 गांवों की 58397 हेक्टेयर जमीन अधिसूचित है। प्राधिकरण इसमें 20874 हेक्टेयर का अधिग्रहण व क्रय कर चुका है। इसमें 1706 हेक्टेयर जमीन एक्सप्रेस वे, 25 सौ हेक्टेयर एलएफडी, एक हजार हेक्टेयर जमीन पर एसडीजेड है। प्राधिकरण क्षेत्र में 13 बिल्डर व सात संस्थागत भूखंड आवंटित हुए हैं।