पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में सहनशीलता अधिक
देश में कोरोना का संक्रमण धीरे-धीरे अपने पांव पसार रहा है। सैकड़ों लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। हालांकि देश में कोरोना को मात देकर घर जाने वालों की तादाद अच्छी खासी है। कोरोना काल में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं के संक्रमण होने की दर कम है। चिकित्सकों का कहना है महिलाओं में इच्छाशक्ति व सहनशीलता पुरुषों के मुकाबले कहीं अधिक होती है। साथ ही महिलाओं में कुछ खास तरह के हार्मोंस भी पाए जाते हैं जो उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। प्रोमहेक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : पूरे देश में कोरोना वायरस का संक्रमण फैल चुका है। सैकड़ों लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। हालांकि, देश में कोरोना को मात देने वालों की संख्या भी अच्छी खासी है। कोरोना काल में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में संक्रमण होने की दर कम है। चिकित्सकों का कहना है महिलाओं में इच्छाशक्ति व सहनशीलता पुरुषों के मुकाबले अधिक होती है। साथ ही महिलाओं में कुछ खास तरह के हार्मोस भी पाए जाते हैं, जो उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
प्रोमहेक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अंजली वैश्य ने बताया कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का शरीर काफी सहनशील होता है। 14 से लेकर 45 वर्ष के बीच कई तकलीफों से गुजरती हैं। इनमें माहवारी से लेकर प्रसव तक शामिल होता है। इस दौरान कई शारीरिक दिक्कतों व पीड़ा का सामना करना पड़ता है। महिलाओं की शारीरिक संरचना ही है, जो इन सबको सहने की ताकत देती है। महिलाओं में हार्ट अटैक के मामले न के बराबर सुनने को मिलते हैं। इसकी वजह एस्ट्रोजन हार्माेन है। यह दिल में वसा जमा नहीं होने देता। वहीं, महिलाओं में कुछ खास तरह के हार्मोस भी पाए गए हैं, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। हालांकि, इनमें अभी शोध कार्य चल रहा है।
उन्होंने बताया कि विज्ञान में इस बात की पुष्टि नहीं है कि कोरोना से केवल पुरुष की संक्रमित होते हैं। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में कोरोना का संक्रमण कम है। इसकी वजह महिलाओं की दिनचर्या, खानपान और रहन-सहन है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का घर से बाहर निकलना कम होता है। वहीं, आधी आबादी साफ-सफाई को लेकर काफी सजग होती है। उनका खानपान पुरुषों के मुकाबले व्यावहारिक होता है। महिलाएं अधिकतर घर का बना हुआ खाने का ही इस्तेमाल करती हैं। यह वजह है कि महिलाओं के पुरुषों के मुकाबले मामले कम आ रहे हैं।