डब्लूआइआइ तैयार करेगा जेवर एयरपोर्ट क्षेत्र के वन्यजीवों के संरक्षण की कार्ययोजना
जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के चिन्हित इलाके में रहने वाले वन्य जीव को संरक्षित करने की कार्य योजना भारतीय वन्यजीव संस्थान तैयार करेगा। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने यमुना प्राधिकरण को संस्थान का नाम सुझाया है। प्राधिकरण के अधिकारी मंगलवार को भारतीय वन्यजीव संस्थान के अधिकारियों के साथ देहरादून में बैठक कर वन्यजीव संरक्षण की कार्ययोजना पर रणनीति तय करेंगे।
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा: जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के चिह्नित इलाके में रहने वाले वन्य जीव को संरक्षित करने की कार्य योजना भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्लूआइआइ) तैयार करेगा। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने यमुना प्राधिकरण को संस्थान का नाम सुझाया है। प्राधिकरण के अधिकारी मंगलवार को भारतीय वन्यजीव संस्थान के अधिकारियों के साथ देहरादून में बैठक कर वन्यजीव संरक्षण की कार्ययोजना पर रणनीति तय करेंगे।
जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए पहले चरण में छह गांवों की 1238.76 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण चल रहा है। इस क्षेत्र में वन्यजीव विचरण करते हैं। एयरपोर्ट परियोजना से वन्यजीव प्रभावित होंगे। इसलिए जेवर एयरपोर्ट को पर्यावरण संबंधी अनापत्ति देने से पहले केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय वन्यजीवों के संरक्षण की विस्तृत कार्ययोजना चाहता हैं।
मंत्रालय ने यमुना प्राधिकरण से यह कार्ययोजना मांगी है। इसे तैयार कराने के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान का नाम भी सुझाया है। देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान देश में पाई जाने वाली वन्यजीवों की प्रजातियों पर शोध एवं संरक्षण के लिए कार्य करता है। वन्यजीवों के संरक्षण की कार्ययोजना तैयार कराने के लिए यमुना प्राधिकरण के अधिकारी मंगलवार को देहरादून जाकर संस्थान के अधिकारियों एवं विशेषज्ञों के साथ बैठक करेंगे। संस्थान की सहमति मिलने के बाद कार्ययोजना तैयार कराकर आगामी बैठक में इसे पर्यावरण मंत्रालय को सौंपा जाएगा। कई वन्यजीव करते हैं प्रवास : यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में काला हिरण, नील गाय, हिरण, सारस, मोर बड़ी संख्या में प्रवास करते हैं। क्षेत्र में वन्यजीवों के लिए भोजन की प्रचुरता एवं अनुकूल वातावरण है। एयरपोर्ट के शोर शराबे व लोगों की भीड़भाड़ से इलाके के शांत वातावरण पर असर होगा। इसके साथ ही वन्यजीव के लिए भोजन में भी कमी आ सकती है। मानवीय गतिविधि बढ़ने पर आमतौर पर वन्यजीव खुद ही ऐसे इलाकों से दूसरी जगह चले जाते हैं, जहां उन्हें अनुकूल वातावरण व भोजन की उपलब्धता होती है। यमुना एक्सप्रेस वे के निर्माण के बाद दनकौर क्षेत्र में भी हिरण, काले हिरण, मोर आदि काफी कम नजर आते हैं।
धनौरी वेटलैंड में आते हैं हर वर्ष प्रवासी पक्षी : दनकौर के समीप धनौरी वेटलैंड में हर वर्ष प्रवासी पक्षी अपना डेरा डालते हैं। सर्दियों के साथ ही प्रवासी पक्षियों का यहां आगमन शुरू हो जाता है और सर्दी बीतने के साथ ही पक्षी यहां से रवाना हो जाते हैं। इसे देखते हुए धनौरी वेटलैंड को भी संरक्षित किया जा रहा है।