बिल्डर से सहयोगात्मक रुख से राजस्व को हुई हानि
सुपरटेक एमराल्ड मामले में प्राधिकरण के नियोजन विभाग ने लखनऊ विजि
कुंदन तिवारी, नोएडा :
सुपरटेक एमराल्ड मामले में प्राधिकरण के नियोजन विभाग ने लखनऊ विजिलेंस में मुकदमा दर्ज कराया है। उसमें स्पष्ट किया गया है कि समय-समय पर न केवल दोनों टावरों के निर्माण में नियमों की अनदेखी की गई, बल्कि प्राधिकरण के उच्चाधिकारियों के द्वारा अनुचित आर्थिक लाभ देने के उद्देश्य से नियम विरुद्ध आपराधिक एवं अन्य कृत्यों को नजरअंदाज कर निर्माण होने दिया। प्राधिकरण अधिकारियों द्वारा बिल्डर कंपनी से सहयोगात्मक रुख अपनाया गया, जिससे सरकार को राजस्व की हानि हुई। साथ ही अधिकारियों व कर्मचारियों ने अनुचित आर्थिक लाभ भी कमाया।
इन तथ्यों को समाहित करते हुए प्राधिकरण के नियोजन विभाग के वरिष्ठ प्रबंधन नियोजन वैभव गुप्ता ने उक्त 30 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है, जिस पर विजिलेंस ने जांच तेज कर दी है। विजिलेंस ने भ्रष्टाचार अधिनियम 1988 के तहत धारा 7, 166, और 12बी के तहत जांच की जा रही है। विजिलेंस जल्द ही अधिकारियों से पूछताछ करेगी। इसके लिए उन्होंने प्राधिकरण में जांच शुरू करते हुए फाइलों को लखनऊ मंगवाया है। जांच में कई और अधिकारियों पर गाज गिरना तय है।
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प्राधिकरण ने सीजेएम कोर्ट में अभियोजन के लिए दायर की है याचिका
इन सभी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए प्राधिकरण ने सीजेएम में अभियोजन दर्ज करने के लिए याचिका दायर की है। सीजेएम के द्बारा याचिका मंजूर होने के साथ ही इन पर मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई भी की जाएगी। ईडी जारी कर सकता है लुकआउट नोटिस
हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने सुपरटेक के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। प्रवर्तन निदेशालय की टीम इससे पहले आम्रपाली और यूनिटेक मामले में भी प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ से पूछताछ कर चुकी है। ऐसे में तत्कालीन सीईओ और एसीईओ व सुपरटेक के प्रबंध निदेशक को भी लुकआउट नोटिस जारी कर सकती है।
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यह था मामला
31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक एमराल्ड के दोनों टावरों को गिराने के आदेश दिए थे। साथ ही प्राधिकरण में भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी को भी विजिलेंस ने जांच का केंद्र बनाया है। शासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच के लिए एसआइटी का गठन किया। एसआइटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में 30 लोगों को दोषी पाया। इसकी रिपोर्ट शासन को सौंपी। शासन निर्देश के अनुसार प्राधिकरण ने विजिलेंस विभाग में जांच के लिए मुकदमा दर्ज कराया।