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पैसा करा रहा करम, झोलाछाप पर बरस रहा रहम

जागरण संवाददाता नोएडा शासन भले ही सिस्टम में सुधार के लिए अधिकारियों में फेरबदल की नीति अपनाता रहा हो लेकिन स्वास्थ्य विभाग के गठजोड़ से जिले में झोलाछाप का कुनबा बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग में वर्ष 1997 से अब तक मुख्य चिकित्साधिकारी के पद पर 25 अधिकारियों की तैनाती हो चुकी है लेकिन एक भी अधिकारी शासन की मंशा पर खरा नहीं उतर सका हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 08:27 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 08:27 PM (IST)
पैसा करा रहा करम, झोलाछाप पर बरस रहा रहम
पैसा करा रहा करम, झोलाछाप पर बरस रहा रहम

जागरण संवाददाता, नोएडा : शासन भले ही सिस्टम में सुधार के लिए अधिकारियों में फेरबदल की नीति अपनाता रहा हो, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के गठजोड़ से जिले में झोलाछाप का कुनबा बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग में वर्ष 1997 से अब तक मुख्य चिकित्साधिकारी के पद पर 25 अधिकारियों की तैनाती हो चुकी है, लेकिन एक भी अधिकारी शासन की मंशा पर खरा नहीं उतर सका हैं। गांव-देहात से लेकर शहर भी अब तक झोलाछाप से मुक्त नहीं हो सका है। कारण स्पष्ट है कि जो भी नया अधिकारी आया या जिसे भी झोलाछाप के खिलाफ कमान मिली, उनका इनके साथ गठजोड़ हो गया। इस मुद्दे पर कभी भी राजनैतिक व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आवाज तक नहीं उठाई है। बॉक्स..

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यह बोले लोग :

जिला केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अनूप खन्ना बताते हैं कि गांव-गांव झोलाछाप मेडिकल स्टोर खोले बैठे हैं। इनमें अंदर ही क्लीनिक चलता है। नियमों का फेर ऐसा है कि यदि मेडिकल स्टोर का लाइसेंस है तो ही औषधि निरीक्षक स्टोर के अंदर क्लीनिक खुलने पर कार्रवाई कर सकते हैं। क्लीनिक में दवाइयां रखे होने पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी सीएमओ की होती है। वह ड्रग इंस्पेक्टर के साथ मिलकर छापा मार सकते हैं। झोलाछाप इसी का फायदा उठा रहे हैं। एसोसिएशन से जुड़ा कोई भी थोक विक्रेता झोलाछाप को दवा नहीं देता है। यह दिल्ली समेत बाहरी जिलों से दवाइयां खरीदकर लाते हैं। यह एक बड़ी समस्या है, जिस पर विभागीय अधिकारियों को ध्यान देने की जरूरत है।

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आइएमए कोषाध्यक्ष और मानस अस्पताल के निदेशक डॉ.नमन शर्मा बताते हैं कि झोलाछाप से इलाज कराने के बाद मरीज की हालत इतनी बिगड़ जाती है कि आइसीयू में भी उनकी तबीयत में सुधार नहीं होता। सरकारी हो या निजी 90 फीसद केस अस्पतालों में झोलाछाप की दवा से बिगड़ने के बाद ही आते हैं। सबसे अहम बात यह भी है कि स्वास्थ्य विभाग के स्तर से इसको लेकर कार्रवाई नहीं की जाती। यही कारण है कि झोलाछाप की संख्या गांव से लेकर शहर तक बढ़ गई है।

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पूर्व आइएमए अध्यक्ष व शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.एसपी शर्मा कहते हैं कि झोलाछाप से बच्चों को सर्वाधिक खतरा है। यह अंदाज से डोज लगाते हैं। हेवी डोज से बच्चे की तबीयत बिगड़ जाती है। इसके लिए पुलिस, प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को संयुक्त अभियान चलाना चाहिए। कोरोनाकाल में इनकी भूमिका अधिक बढ़ गई है। ---

मैंने एक सप्ताह पहले ही स्वास्थ्य विभाग की कमान संभाली है। झोलाछाप के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए कार्ययोजना तैयार कराई जा रही है। वहीं अपंजीकृत अस्पतालों पर भी नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

-डॉ. सुनील कुमार शर्मा, सीएमओ


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