गुरु पुर्णिमा पर विशेष : हुनर को निखार खेल का बनाया वजीर
चंद्रशेखर वर्मा ग्रेटर नोएडा गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम। भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया है। हो भी क्यों न शिष्यों के मार्ग प्रशस्त करने का कार्य गुरु करते हैं। जीवन में गुरु की भूमिका कोई भी निभा सकता है। घर में अभिभावक रिश्तेदार से लेकर स्कूल के शिक्षक खेल में कोच व कार्यालय में बॉस आदि। ग्रेटर नोएडा में ऐसे ही दो गुरुओं की बात हो रही है। कोच अफजल क्रिकेट से ताल्लुक रखते हैं तो जितेंद्र नागर कबड्डी के महारथी हैं। इनके सिखाए बच्चे आज राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पटल पर सुर्खियां बटोर रहे हैं।
चंद्रशेखर वर्मा, ग्रेटर नोएडा
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा, गुरु साक्षात परब्रह्मा, तस्मै श्री गुरुवे नम:। भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया है। हो भी क्यों न, शिष्यों के मार्ग प्रशस्त करने का कार्य गुरु करते हैं। जीवन में गुरु की भूमिका कोई भी निभा सकता है। घर में अभिभावक, रिश्तेदार से लेकर स्कूल के शिक्षक, खेल में कोच व कार्यालय में बॉस आदि। ग्रेटर नोएडा में ऐसे ही दो गुरुओं की बात हो रही है। कोच अफजल क्रिकेट से ताल्लुक रखते हैं तो जितेंद्र नागर कबड्डी के महारथी हैं। इनके सिखाए बच्चे आज राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पटल पर सुर्खियां बटोर रहे हैं। अफजल के प्रयासों से मिली सफलता
अफजल एस्टर पब्लिक स्कूल में स्टार क्रिकेट एकेडमी चलाते हैं। उनके सिखाए कई बच्चे आज राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुनर का जलवा दिखा रहे हैं। इनमें दिव्यांश जोशी और पार्श्वी चोपड़ा मुख्य नाम हैं। दिव्यांश अंडर-19 आयु वर्ग में अधिकतर घरेलू टूर्नामेंट के अलावा अंतरराष्ट्रीय मैच भी खेल चुके हैं। उनका चयन पिछले वर्ष अंडर-19 वर्ल्ड के लिए भारतीय टीम में हुआ था। हालांकि, दक्षिण अफ्रीका के साथ हुए पहले मैच में चोटिल होने की वजह से उन्हें बाहर होना पड़ा था। वहीं, पार्श्वी ओमीक्रॉन सेक्टर स्थित प्लूमेरिया गार्डन में रहती हैं। 14 वर्षीय यह खिलाड़ी यूपी से अंडर-16 व 19 खेल चुकी हैं। वह महिलाओं के अंडर-19 आयु वर्ग में 2019-20 में दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली खिलाड़ी रह चुकी है। अफजल के ढाई वर्ष पहले जुड़ी थीं। आज जो कुछ भी हूं। कोच अफजल की वजह से ही यह संभव हो पाया है। उनके बिना यहां तक शायद कभी नहीं पहुंच पाता।
- दिव्यांश जोशी
कोच अफजल की मेहनत से ही जिंदगी में यह मुकाम हासिल किया है। उनसे अभी काफी कुछ सीखकर भारतीय टीम का हिस्सा बनना है।
- पार्श्वी चोपड़ा जितेंद्र नागर चाई-3 सेक्टर में जेडी कबड्डी एकेडमी चलाते हैं। वह भारतीय सेना और दिल्ली कबड्डी टीम के कोच भी हैं। खेल के प्रति जुनून ही है, जो खुद के पैसों से एकेडमी को संचालित कर रहे हैं। उनका कहना है कि कई होनहार खिलाड़ी खर्च वहन नहीं कर सकते। उन्हें नहीं सिखाया गया तो देश को अच्छे खिलाड़ी कैसे मिलेंगे। जितेंद्र के प्रशिक्षित आशु, आशीष व अरविद प्रो कबड्डी सहित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जलवा बिखेर रहे हैं। 21 वर्षीय आशु गुनपुरा के रहने वाले हैं। वह यूपी योद्धा टीम में डिफेंडर के तौर पर खेल चुके हैं। 20 वर्षीय आशीष चचुला के रहने वाले हैं। वह यूपी योद्धा टीम से दो बार प्रो कबड्डी में प्रतिभाग कर चुके हैं। 21 वर्षीय अरविंद शामली के रहने वाले हैं। यह पटना पाइरेट्स की तरफ से दो बार खेल चुके हैं। जितेंद्र बताते हैं कि सभी के डाइट से लेकर खेल का बारीकियों पर काफी काम किया। कोच सर की वजह से देश में इतना सम्मान मिला है। प्रो कबड्डी में खेलने की वजह से नाम हुआ। वह नहीं होते तो शायद यह मुकाम हासिल नहीं हो पाता।
- आशु जितेंद्र सर ने सिखाया तो आज प्रो कबड्डी व राष्ट्रीय पटल पर खेल रहे हैं। उनके सहयोग से ही आज खिलाड़ी के तौर पर नाम कमा पाए हैं।
- आशीष बचपन से कबड्डी का शौक था। तकनीक आदि के माध्यम से इस काबिल बनाया कि आज देश में लोग पहचानने लगे हैं।
-अरविंद