स्कूलों और अभिभावकों को मिलकर तय करना होगा चुनौतियों का सफर
कोरोना संकटकाल में शिक्षा की चुनौतियां विषय पर वेबिनार फोटो - एनओबी 201 - 214 जागरण स
कोरोना संकटकाल में शिक्षा की चुनौतियां विषय पर वेबिनार
फोटो - एनओबी 201 - 214 जागरण संवाददाता, नोएडा : बच्चों की पढ़ाई बिना व्यवधान के चलती रहे और शिक्षकों- अभिभावकों के बीच विश्वास की कड़ी भी मजबूत बनी रहे इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। डिजिटल शिक्षा ही हमारा भविष्य है, इससे भागना नहीं बल्कि सुधार के साथ अपनाना होगा। कोरोना संकटकाल में शिक्षा की चुनौतियां और समाधान विषय पर वेबिनार में डीआइओएस नीरज कुमार पांडेय ने सोमवार को यह कहा। अभिभावकों ने फीस माफी का मुद्दा उठाया तो स्कूलों प्रधानाचार्यों ने अपनी समस्याएं गिनाईं। तय हुआ कि ऐसा रास्ता निकाला जाए जिससे अभिभावकों को फायदा पहुंचे और स्कूल संचालन भी संभव हो सके। ------- कोट्स
कोरोना काल के बाद भी हमें बहुत सी चुनौतियों का सामना करना है। इसलिए हमें ऑनलाइन शिक्षा की तरफ कदम बढ़ाने ही होंगे, इससे डरना नहीं है। हम रोज अपने अंदर सुधार करें और आगे बढ़ें। शिक्षकों का भी मनोबल बढ़ाएं। - डॉ नीरज कुमार पाण्डेय, जिला विद्यालय निरीक्षक ---------- 2 - ऑनलाइन कक्षा के लिए कोई तैयार नहीं था, लेकिन हम लोगों ने हिम्मत नहीं हारी। शिक्षक भी आधुनिकता को समझकर वीडियो लेक्चर ले रहे हैं, उनका हौसला बढ़ाना जरूरी है और वेतन देना भी, अभिभावक इसमें सहयोग करें। - मंजू गुप्ता, प्रधानाचार्य, कोठारी इंटरनेशनल स्कूल ----- 3 - ऑनलाइन शिक्षा से सिर्फ बच्चों की पढ़ाई ही नहीं बल्कि उनका मानसिक विकास भी हो रहा है, जोकि कोरोना काल में बहुत जरूरी है। अभिभावकों को बच्चों को वीडियो गेम और टीवी से दूर कर परिवार के साथ रहना सिखाना चाहिए।
- अपर्णा मैगी, प्रधानाचार्य, रामज्ञा स्कूल ----- 4 - बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई कराने के लिए शिक्षकों को 12 से 14 घंटे भी कार्य करना पड़ रहा है, उनके हौसले को सलाम है। वहीं अभिभावकों से ही स्कूल बनता है और स्कूलों से ही देश का भविष्य तैयार होता है। - सुप्रीति चौहान, प्रधानाचार्य, राघव ग्लोबल स्कूल हमारी शिक्षा व्यवस्था बदल रही है। अब डिस्टेंस लर्निंग पर गौर करना होगा। स्कूल खुलने के बाद भी डिजिटल शिक्षा जारी रहेगी। शिक्षा को फीस से नहीं नापा जाए। जिन अभिभावकों के पास गंभीर आर्थिक समस्या हैं स्कूल उनकी मदद करेगा, आपस में भी लोग सहयोग करें। - डॉ पूनम चौबे, प्रधानाचार्य, जीडी गोयनका स्कूल ------ जब कोरोना काल में हम लोग आधुनिक हो गए हैं, तो 10-12 साल के बच्चों के लिए इसे समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है। इस समय स्कूलों और अभिभावकों को साथ मिलकर चुनौतियों का सामना करना होगा।
डॉ नीरज अवस्थी, प्रधानाचार्य, मॉडर्न स्कूल अगर अभिभावक पाठ्यक्रम को लेकर परेशान हैं, तो स्कूल खुलने पर पढ़ाई कराई जाएगी। इससे बच्चों को कोई नुकसान नहीं होगा। जिनके पास आर्थिक संकट है, ऐसे 5 से 10 फीसद लोगों की मदद हो सकती है।
- मृणालिनी, प्रधानाचार्य, यदु पब्लिक स्कूल ---------- ऑडिट के अनुसार विद्यालयों के पास डेवलपमेंट फंड है, जिसका उपयोग कर शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों को वेतन दे सकते हैं। फिलहाल अभिभावकों के पास नौकरियां नहीं रही हैं और वेतन नहीं मिल रहे हैं, ऐसे में फीस दे पाना काफी मुश्किल है।
- मनोज कटारिया, सचिव, नोएडा अभिभावक संघ ------ 9 - ट्यूशन फीस अभिभावक दे सकते हैं, लेकिन इसके अलावा लाइब्रेरी और प्रयोगशाला आदि शुल्क महामारी के समय नहीं लिए जाने चाहिए। - अभिष्ट गुप्ता, आईपीएसजी नोएडा पेरेंट्स ------ कोरोना काल में स्कूलों और अभिभावकों दोनों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। फीस से लेकर ऑनलाइन कक्षा बहुत सी समस्याएं हैं, लेकिन हमें साथ मिलकर ही इन सभी का समाधान करना होगा।
- प्रज्ञा पाठक शर्मा, अभिभावक ----- 11 - स्कूलों को हमें ऑनलाइन कक्षा के लिए सपोर्ट सामग्री भी देनी चाहिए, अगर वह पूरी फीस लेते हैं तो। - संजय मुखर्जी, अभिभावक मध्यवर्गीय परिवारों के समने घर चलाना मुश्किल है, ऐसे में फीस कैसे दे पाएंगे। स्कूल अभी भी फीस को लेकर दबाव बना रहे हैं। रंधीर सिंह, अभिभावक ऑनलाइन कक्षा के लिए शिक्षकों और बच्चों को प्रशिक्षण नहीं मिला है, इसलिए इसकी सफलता पर प्रश्नचिन्ह है। स्कूलों को ट्यूशन फीस दे रहे हैं, लेकिन कंपोजिट फीस क्या है यह स्कूल समझाएं।
- जुबैदा हाशमी, अभिभावक