रिपोर्ट नेगेटिव, एहतियातन हो रहा कोविड प्रोटोकॉल से उपचार
जागरण संवाददाता ग्रेटर नोएडा कोरोना संक्रमण के उपचार में सबसे अधिक दिक्कत अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों के साथ आती है।
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : कोरोना संक्रमण के उपचार में सबसे अधिक दिक्कत अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों के साथ आती है। कई बार रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलिमरेस चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) जांच में रिपोर्ट नेगेटिव आने के बावजूद मरीजों में संक्रमण के लक्षण दिखते हैं। ऐसे में एहतियातन कोरोना संक्रमित मानकर उपचार ही किया जाता है। इसके लिए शारदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एवं रिसर्च (एसएमएसआर) में बाकायदा एक 'संदिग्ध वार्ड' बनाया गया है। मेडिकल टीम कोविड प्रोटोकॉल के हिसाब से ऐसे मरीजों का उपचार करती है।
एसएमएसआर के प्रवक्ता डॉ. अजीत कुमार ने बताया कि शारदा को एल-3 श्रेणी का कोविड अस्पताल बनाया गया है। यहां कोरोना संक्रमण के साथ अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीज उपचार के लिए आते हैं। इनमें डायलिसिस से लेकर उच्च रक्तचाप, कैंसर आदि शामिल होते हैं। अस्पताल आने पर सबसे पहले ट्रूनेट जांच की जाती है। रिपोर्ट करीब एक घंटे में आ जाती है। पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर कोरोना संक्रमण के साथ संबंधित गंभीर बीमारी का उपचार शुरू कर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि दिक्कत तब आती है, जब मरीज की आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आती है, लेकिन कोरोना के लक्षण दिखते हैं। कोरोना न मानकर उपचार किया जाए तो जान भी जा सकती है। साथ ही अन्य भी संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे में इनका उपचार कोरोना संक्रमित मानकर ही किया जाता है। इनके लिए खासतौर पर वार्ड बनाया गया है। इसमें 20 बिस्तर हैं। इन मरीजों का उपचार कोविड प्रोटोकॉल के तहत ही किया जाता है। गौरतलब है कि एसएमएसआर में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में 650 बिस्तर हैं। इनमें 20 आइसीयू भी हैं। यहां से अब तक करीब 950 लोग कोरोना को मात देकर घर जा चुके हैं।