सीएमओ कार्यालय में शार्ट सर्किट से बिजली गुल, कामकाज प्रभावित
जागरण संवाददाता नोएडा सेक्टर-39 स्थित मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में शनिवार दोपहर बिजली शार्ट सर्किट से बत्ती गुल हो गई।
जागरण संवाददाता, नोएडा : सेक्टर-39 स्थित मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में शनिवार दोपहर बिजली शार्ट सर्किट से बत्ती गुल हो गई। गनीमत रही कि शार्ट सर्किट से परिसर में आग नहीं लगी। सीएमओ कार्यालय में जिला होम्योपैथी चिकित्सा अधिकारी के साथ ही महिला थाना स्थित है। प्रतिदिन सैकड़ों लोग यहां आते हैं। बिजली नहीं होने से तीनों ही कार्यालय में आने वाले लोगों को बैरंग लौटना पड़ा। वहीं कार्यालय में पानी नहीं होने से फरियादी और यहां के कर्मचारी बोतलबंद पानी खरीदकर प्यास बुझाते रहे। गौरतलब है कि एक माह पहले भी कार्यालय के कमरा नंबर-5 में जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र कार्यालय में आग लगने से लाखों रुपये का नुकसान हुआ था। आपातकालीन विभाग में बिस्तर बढ़ाने में हो रही देरी: सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल को सेक्टर-39 में शिफ्ट नहीं होने से चाइल्ड पीजीआइ के आपातकालीन विभाग में बिस्तर बढ़ाने का काम में देरी हो रही है। चाइल्ड पीजीआइ में अभी आपातकालीन विभाग में 24 बिस्तर हैं। इसे बढ़ाकर 50 बिस्तर किया जाना है। ऐसा मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए किया गया है। दरअसल, कई बार एक बिस्तर पर दो मरीजों को रखना पड़ता है। जिला अस्पताल अभी चाइल्ड पीजीआइ परिसर में चल रहा है। इसके खाली होने के बाद ही नया आपातकालीन विभाग बनेगा। वहीं सेक्टर-39 स्थित जिस भवन में जिला अस्पताल को शिफ्ट होना है, वहां कोविड अस्पताल चल रहा है। शासन की ओर से जून तक पेंडमिक एक्ट लागू है। पेंडमिक एक्ट हटने के बाद ही जिला अस्पताल को कोविड अस्पताल में शिफ्ट किया जा सकता है। हालांकि चाइल्ड पीजीआइ प्रबंधन ने जिला अस्पताल को खाली करवाने के लिए कई बार शासन को पत्र लिखा है, लेकिन मामला अभी लटका हुआ है। आपातकालीन विभाग के साथ ही यहां कई चिकित्सकीय विभागों का भी संचालन होगा। ऐसे में जब तक जिला अस्पताल शिफ्ट नहीं होता, तब तक इन सुविधाओं से मरीजों को वंचित रहना पड़ेगा। फिजीशियन और त्वचा रोग विशेषज्ञ नहीं आने से परेशानी : सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल परिसर के कक्ष संख्या चार और पांच में चिकित्सक के नहीं होने से मरीजों को परेशानी हुई। ओपीडी कक्ष संख्या-4 में त्वचा रोग विशेषज्ञ नहीं होने से मरीज खाली हाथ लौटे। वहीं ओपीडी कक्ष संख्या-5 में तैनात डाक्टर की ड्यूटी इमरजेंसी में लगने से कामकाज प्रभावित रहा। पर्चा बनवाने के बाद जब मरीज ओपीडी कक्ष में पहुंचे तो उन्हें चिकित्सक नहीं मिले।