जेवर एयरपोर्ट पर सियासी दल तरकश में तीर भरकर तैयार
जेवर एयरपोर्ट को लेकर राजनीति गर्माहट बढ़ने लगी है। प्रदेश सरकार ने किसानों की सहमति बगैर एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण का फैसला किया है। जल्द ही शासन इस बारे में प्रशासन को दिशा निर्देश भेजेगा। जमीन का अवार्ड घोषित होने के साथ ही अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। लेकिन राजनीति दलों ने इसका विरोध करने की तैयारी कर ली है। दल के नेताओं का कहना है कि अगर प्रदेश सरकार ने किसानों की जमीन अधिग्रहण में कानून का पालन नहीं किया और उत्पीड़न किया तो आंदोलन होगा। प्रदेश सरकार के रुख से किसानों की ¨चताएं बढ़ गई है।
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा: जेवर एयरपोर्ट को लेकर राजनीति गर्माहट बढ़ने लगी है। प्रदेश सरकार ने किसानों की सहमति बगैर एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण का फैसला किया है। जल्द ही शासन इस बारे में प्रशासन को दिशा निर्देश भेजेगा। जमीन का अवार्ड घोषित होने के साथ ही अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। लेकिन राजनीति दलों ने इसका विरोध करने की तैयारी कर ली है। दल के नेताओं का कहना है कि अगर प्रदेश सरकार ने किसानों की जमीन अधिग्रहण में कानून का पालन नहीं किया और उत्पीड़न किया तो आंदोलन होगा। प्रदेश सरकार के रुख से किसानों की ¨चता बढ़ गई है। किसान शासन प्रशासन की कार्रवाई पर निगाह लगाए हुए है। किसानों का कहना है कि वह विकास विरोधी नहीं है। लेकिन अपने हक की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।
जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पहले चरण के लिए 1441 हैक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना है। प्रशासन ने किसानों की सहमति के लिए 16 से 26 जुलाई तक गांवों में शिविर भी लगाया था। लेकिन चार किसानों को छोड़कर किसी ने जमीन अधिग्रहण पर सहमति नहीं दी। किसान जमीन अधिग्रहण के एवज में सर्किल रेट का चार गुना मुआवजा मांग रहे हैं। किसानों को मनाने के लिए जीबीयू आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके साथ बंद कमरे में बैठक की थी। इसके बावजूद पेंच नहीं सुलझा है। अब प्रदेश सरकार ने किसानों की सहमति लिए बगैर जमीन अधिग्रहण का फैसला किया है। इसका विरोध भी शुरु हो गया है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने कहा है कि सरकार किसान एवं ग्रामीणों को कानूनी कागजी बातों का झांसा देकर उनकी जमीन बिना उनकी मर्जी के औने पौने दामों पर हड़पना चाहती है। किसान गरीब का इतना विरोध बढ़ेगा कि अगले चुनाव में सरकार खुद अपनी जमीन खो बैठेगी। सपा से राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र नागर का कहना है कि पार्टी जेवर में एयरपोर्ट के खिलाफ नहीं है। क्षेत्र का विकास होना चाहिए। लेकिन पार्टी किसानों का उत्पीड़न भी बर्दाश्त नहीं करेगी। प्रदेश सरकार को एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण पर किसानों की सहमति एवं चार गुना मुआवजा देना होगा। एयरपोर्ट कामर्शियल गतिविधि में आता है। इसलिए किसानों की मांग पूरी तरह से जायज है। शासन प्रशासन ने किसानों का हक मारकर उत्पीड़न किया तो पार्टी आंदोलन करेगी। पिछले दिनों रालोद नेता जयंत चौधरी भी जेवर टोल प्लाजा पर किसानों से मुलाकात के दौरान साफ कर चुके हैं कि जेवर एयरपोर्ट के मुद्दे पर उनकी पार्टी किसानों के हित की लड़ाई लड़ेगी और आंदोलन में पीछे नहीं रहेगी।
सपा जेवर में एयरपोर्ट के समर्थन में है। लेकिन जमीन अधिग्रहण के लिए कानूनी प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए। किसानों की सहमति व चार गुना मुआवजा मिलना चाहिए। किसानों का उत्पीड़न किया गया तो पार्टी आंदोलन करेगी।
सुरेंद्र नागर, राज्यसभा सदस्य
देश के विकास के लिए वह अपना योगदान तो देना चाहते है। किसान भूमि को मां के सामान मानता है और कभी बेचना भी नहीं चाहता। अगर उचित मुआवजे मिले तो देश के विकास के लिए जमीन को देने से इंकार नहीं करेंगे।
विपिन शर्मा, गांव बनवारीवास अपने पूर्वजों की संपत्ति देना इतना आसान तो नहीं होता। अगर सरकार ने किसानों के हक को दिया तो सभी अपनी जमीन को देश के विकास के नाम पर देने से पीछे नहीं हटेंगे।
रवि निवासी गांव दयानतपुर किसान किसी भी कीमत पर चार गुना मुआवजे मिले बगैर अपनी जमीन प्राधिकरण को नहीं सौंपने। सरकार को अपनी हरकतों से बाज आना चाहिए। अगर किसानों से जबरदस्ती जमीन लेने का प्रयास किया गया तो संघर्ष करने के लिये तैयार हैं।
अंगद ¨सह, रोही बॉक्स
नवी मुंबई में भी नहीं ली गई है सहमति
देश में नवी मुंबई व अमरावती में भी एयरपोर्ट का निर्माण हो रहा है। नवी मुंबई में जमीन अधिग्रहण के लिए वहां के किसानों की सहमति नहीं ली गई। प्रदेश सरकार ने सीधे जमीन का अधिग्रहण किया। अमरावती ने किसानों ने आगे बढ़कर एयरपोर्ट व प्रदेश की राजधानी बनाने के लिए जमीन दी है। इसलिए दोनों ही जगह पर एयरपोर्ट की जमीन को लेकर कोई अड़चन नहीं हुई।