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जमीन मिले तो शहर में बन सकता है देश का पहला चाइल्ड कैंसर सेंटर

सेक्टर-30 स्थित सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड पोस्ट ग्रेजुएट टी¨चग इंस्टीट्यूट में तीन दिवसीय दौरे पर पहुंची प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने शुक्रवार को भी संस्थान के विभिन्न वार्डों को निरीक्षण किया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Aug 2018 08:55 PM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 08:55 PM (IST)
जमीन मिले तो शहर में बन सकता है देश का पहला चाइल्ड कैंसर सेंटर
जमीन मिले तो शहर में बन सकता है देश का पहला चाइल्ड कैंसर सेंटर

जागरण संवाददाता, नोएडा : सेक्टर-30 स्थित सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल एंड पोस्ट ग्रेजुएट टी¨चग इंस्टीट्यूट में तीन दिवसीय दौरे पर पहुंची प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की टीम ने शुक्रवार को भी संस्थान के विभिन्न वार्डो को निरीक्षण किया। इस दौरान चाइल्ड पीजीआइ के डायरेक्टर देवेंद्र कुमार गुप्ता उनके साथ मौजूद रहे।

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आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को प्रधानमंत्री राहत कोष से मिलेगी मदद

प्रधानमंत्री कार्यालय में सीनियर टेक्निकल अधिकारी निरुपम मुखर्जी ने बताया कि संस्थान की बिल्डिंग का निरीक्षण करने के बाद उन्होंने यहां की ओपीडी, आइपीडी, इमरजेंसी, पैथोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, नेत्र, कार्डियोलॉजी, स्त्री रोग, बाल मनोविज्ञान, फीजियोथेरेपी, रेडियोलॉजी गैस्ट्रो वार्ड को भी देखा है। इसके बाद ये कहा जा सकता है संस्थान में एक चाइल्ड कैंसर सेंटर भी खोला जा सकता है। जो देश का पहला एकमात्र चाइल्ड कैंसर सेंटर होगा। चाइल्ड पीजीआइ में रजिस्ट्रार डॉ. दिनेश ने बताया कि पीएमओ के क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ से आए निरुपम मुखर्जी ने अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टरों और नर्स का ब्यौरा मांगने के साथ ही यहां चलने ओटी के बारे में भी जाना। अस्पताल के निरीक्षण के बाद उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार की है। ये रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपी जाएगी। इसके बाद प्रधानमंत्री राहत कोष निधि (पीएमएनआरएफ) के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को 30 हजार से लेकर तीन लाख रुपये तक की मदद की जाएगी। साथ ही उनके इलाज का पूरा खर्च भी प्रधानमंत्री राहत कोष की ओर से उठाया जाएगा।

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100 बेड से ऊपर का होगा चाइल्ड कैंसर सेंटर

पीएमओ में सीनियर अधिकारी निरुपम मुखर्जी ने बताया कि अगर राज्य सरकार या प्राधिकरण शहर में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जमीन उपलब्ध कराएं तो वो प्रधानमंत्री कार्यालय को दो महीने के अंदर एक रिपोर्ट सौंपेंगे। जिसमें शहर में 100 बेड का चाइल्ड कैंसर सेंटर खोलने के साथ ही यहां एक बर्न, बोनमैरो ट्रांसप्लांट, रेडियोथेरेपी और स्किल डेवलेपमेंट सेंटर खोलने की सिफारिश होगी। उन्होंने बताया कि गौतमबुद्ध नगर में अगर ये चारों सेंटर खुलते हैं तो न सिर्फ उत्तर प्रदेश में रहने वाले लोगों को इसका फायदा मिलेगा बल्कि दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पर भी ज्यादा मरीजों को देखने का दबाव कम होगा। उन्होंने बताया कि अगर यहां चाइल्ड कैंसर सेंटर बनकर तैयार होता है तो यह देश का पहला ऐसा सेंटर होगा जो मुख्यता बच्चों के लिए होगा। जहां नवजात बच्चों से लेकर 18 वर्षीय तक के बच्चों का इलाज किया जाए। यह संस्थान भी चाइल्ड पीजीआइ की तरह ही काम करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र होगा। अभी तक देश में कही भी बच्चों के लिए कोई भी कैंसर का स्पेशल सेंटर नहीं है, जिसके चलते छोटे से लेकर बड़े कैंसर के इलाज के लिए बच्चों को एम्स में भर्ती कराना पड़ता है। अगर ये सेंटर खुलता है तो न सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से निजात मिल सकेगा, बल्कि प्रधानमंत्री कार्यालय से सिफारिश होने पर ही ऐसे बच्चों का नि:शुल्क इलाज भी हो सकेगा।


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