संघ की पाठशाला में तैयार हो रही संस्कारों की पौध
आशुतोष अग्निहोत्री नोएडा कोरोना संकटकाल में सेवा की नई मिसाल बने राष्ट्रीय स्वयं सेवक स
आशुतोष अग्निहोत्री, नोएडा
कोरोना संकटकाल में सेवा की नई मिसाल बने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पाठशाला में भविष्य के लिए संस्कारों की पौध भी तैयार हो रही है। स्वयंसेवकों को भारतीय मूलमंत्रों से अवगत कराने और उन्हें संस्कारवान बनाने के लिए संघ के बौद्धि्क वर्ग ने ऑनलाइन प्रतियोगिताएं शुरू की है। आगामी 28 जून को रामायण प्रतियोगिता के माध्यम से स्वयंसेवक भगवान राम के जीवन के पहलुओं पर अपना ज्ञानवर्धन करेंगे।
---------------------
परिवारों को जोड़ने का प्रयास
कोरोना वायरस के चलते इस समय पूरे देश में भय का माहौल है। मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉकडाउन की घोषणा के बाद 30 मई तक पूरे देश में आर्थिक और सामाजिक सभी प्रकार की गतिविधियां लगभग पूरी तरह ठप रहीं। अब एक जून के बाद धीरे- धीरे व्यवस्था पटरी पर लौट रही है। हालांकि, अभी भी लोगों में भविष्य को लेकर आशंकाएं कम नहीं हो रहीं। लोग सहमे हैं और उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आने वाला समय कैसा होगा। ऐसे में संघ लोगों को पारिवारिक मूल्यों के बारे में जानकारी देकर उन्हें एक दूसरे से जोड़ने और एकजुट होकर इस संकट से मुकाबला करने के लिए प्रेरित कर रहा है। सात जून को हुई भारत को जानो प्रतियोगिता का ध्येय भी कुछ ऐसा ही रहा था। इस प्रतियोगिता के माध्यम से स्वयंसेवकों को यह बताने का प्रयास किया गया था कि कैसे संकट के समय हमारे देश के महापुरुषों ने धैर्य नहीं खोया और विपत्ति का मुकाबला किया। रामायण प्रतियोगिता इसी अभियान का अगला चरण है। --------------------
कुछ इस तरह है प्रतियोगिता का प्रारूप
- प्रतियोगिता का नाम- रामायण प्रतियोगिता
- समय - 28 जून दिन रविवार शाम चार बजे से साढ़े पांच बजे
- शाखा स्तर पर होने वाली इस प्रतियोगिता में स्वयंसेवकों के पास शाम चार बजे वाट्सएप से एक लिक भेजा जाएगा।
- लिक खुलने पर प्रतियोगी को अपना नाम, पता, जिला और मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा।
- रामायण और भगवान राम से जुड़े 100 सवालों के जवाब देने होंगे।
- सभी नगर बौद्धि्क को प्रतियोगिता का आयोजन कराने की जिम्मेदारी।
-----------------------
संघ एक ऐसा सांस्कृतिक संगठन है जो विभिन्न माध्यमों से स्वयंसेवकों में नैतिक मूल्यों का सृजन करता है और भारतीयों को सांस्कृतिक मूलमंत्रों से अवगत कराता है। संस्कार मानव को अन्य जीवों से अलग बनाते हैं। युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाने के लिए ही यह आयोजन किए जा रहे हैं। हमारे देश की आने वाली पौध को हमारे महापुरुषों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। यह प्रतियोगिताएं उसमें सहायक होगी।
कृपाशंकर सिंह, प्रचार प्रमुख
उत्तर प्रदेश- उत्तराखंड, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ