बड़े भूखंडों में कंपो¨स्टग सिस्टम लगवाने की योजना नहीं चढ़ी परवान
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : लोक हितकारी सरकारी योजनाएं लचर शासकीय तंत्र के मकड़जाल में फंसकर
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : लोक हितकारी सरकारी योजनाएं लचर शासकीय तंत्र के मकड़जाल में फंसकर किस कदर दम तोड़ देती हैं, इसकी नजीर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पेश कर रहा है। जिले में स्थित बड़े भूखंडों में कंपो¨स्टग सिस्टम लगवाने की योजना प्राधिकरण की हीलाहवाली की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। यूपीपीसीबी (उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) द्वारा पांच हजार वर्ग मीटर से बड़े भूखंडों में कंपो¨स्टग सिस्टम (कचरा निस्तारण यंत्र) लगवाने का आदेश दिया गया है। इस पर अमल करते हुए यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से पत्र लिखकर बड़े भूखंडों की जानकारी मांगी थी, इसको नजरअंदाज करते हुए प्राधिकरण द्वारा अब तक सूचना नहीं दी गई। खास बात यह है कि यूपीपीसीबी की तरफ से प्राधिकरण को पत्र लिखे हुए लगभग दो माह का समय बीत चुका है, लेकिन अब तक प्राधिकरण ने भूखंडों की सूचना नहीं दी। कचरे से शहर को मिलेगी निजात : मौजूदा समय में गांव से लेकर शहर तक हर जगह कूड़े का अंबार लगा हुआ है, इसका एक बड़ा हिस्सा बड़े उद्योगों व सोसायटियों से निकलता है। कूड़े-कचरे से तमाम बीमारियां फैलती हैं, इसको देखते हुए शासन स्तर से इसके उचित निस्तारण को लेकर यूपीपीसीबी को कुछ विशेष दिशा निर्देश दिए गए थे। इस पर अमल करते हुए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पूरे प्रदेश में स्थित बड़े भूखंडों में कंपो¨स्टग सिस्टम (कचरा निस्तारण तंत्र) लगवाने की योजना बनाई है। इसके तहत पांच हजार वर्ग मीटर व उससे बड़े भूखंड मालिकों को भूखंड के अंदर कंपो¨स्टग सिस्टम लगवाना होगा। भूखंडों की सूची मिलने के बाद यूपीपीसीबी की टीम उनका निरीक्षण कर भूखंड मालिकों को कंपो¨स्टग सिस्टम लगवाने में मदद करेगी। यूपीपीसीबी की योजना में प्राधिकरण व प्रशासन की भूमिका महत्वपूर्ण है। अस्तौली में अब तक नहीं स्थापित हो पाया कूड़ा निस्तारण प्लांट : ग्रेटर नोएडा में ठोस कूड़ा निस्तारण की अब तक कोई उचित व्यवस्था नहीं है। काफी समय पहले प्राधिकरण की तरफ से अस्तौली गांव में कूड़ा निस्तारण प्लांट स्थापित किए जाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन अब तक इसको लेकर किसी भी तरह की ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है। इस संदर्भ में प्राधिकरण व प्रशासनिक अधिकारी कुछ भी स्पष्ट बोलने को तैयार नहीं है। प्राधिकरण को पत्र लिखकर बड़े भूखंडों की जानकारी मांगी गई है। लगभग डेढ़ माह का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक सूचना नहीं मिली है।
- उत्सव शर्मा, अपर अधिशाषी अभियंता यूपीपीसीबी