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मरीजों की सेवा ईश्वर के तुल्य : जस्टिस आरबी मिश्रा

नॉलेज पार्क स्थित आइटीएस डेंटल कालेज में इंडियन एसोसिएशन आफ कंजरवेटिव और एंडोडॉटिक्स के नार्थ जोन की तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि जस्टिस आरबी मिश्रा ने मरीजों की सेवा को ईश्वर के तुल्य बता कर डाक्टरों के साथ डाक्टरी की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों का हौंसला बढ़ाया व सेवा भाव से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। कार्यशाला में 40 से अधिक संस्थानों के डाक्टर व डाक्टरी की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। मुख्य अतिथि ने कहा कि मरीजों की सेवा सभी डाक्टरों को पूरी लगन व इमानदारी से करनी चाहिए। मरीजों में सजगता तेजी से बढ़ रही है। लोग जैसे जैसे जागरू

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 08:34 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 08:34 PM (IST)
मरीजों की सेवा ईश्वर के तुल्य : जस्टिस आरबी मिश्रा
मरीजों की सेवा ईश्वर के तुल्य : जस्टिस आरबी मिश्रा

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : नॉलेज पार्क स्थित आइटीएस डेंटल कॉलेज में इंडियन एसोसिएशन ऑफ कंजरवेटिव और एंडोडॉटिक्स के नार्थ जोन की तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इसमें मुख्य अतिथि जस्टिस आरबी मिश्रा ने मरीजों की सेवा को ईश्वर के तुल्य बता कर डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों का हौसला बढ़ाया। इसमें 40 से अधिक संस्थानों के डाक्टर व विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।

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जस्टिस आरबी मिश्रा ने कहा कि मरीजों की सेवा सभी डॉक्टरों को पूरी लगन व ईमानदारी से करनी चाहिए। मरीजों में सजगता तेजी से बढ़ रही है। लोग जैसे जैसे जागरूक हो रहे हैं, वैसे ही दांतों के रखरखाव व उसे सुंदर बनाने की मांग भी बढ़ रही है। कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि पद्मश्री ब्रिगेडियर व डीसीई के पूर्व अध्यक्ष डाक्टर अनिल कोहली ने कहा कि दंत चिकित्सकों का क्षेत्र काफी बढ़ गया है। पहले लोग दांतों के दर्द निवारण के लिए डाक्टर के पास आते थे। अब लोग अपना व्यक्तित्व निखारने, मुस्कान को आकर्षक बनाने के लिए भी दंत चिकित्सकों की मदद ले रहे हैं। मुख्य वक्ता व एम्स दिल्ली के प्रोफेसर डाक्टर अजय लोगानी, त्रिचिरूपल्ली के प्रोफेसर डाक्टर शंकर नारायण, तेहरान के प्रोफेसर डाक्टर मो. नेकुफर हुसैन एवं मलेशिया के प्रो. डा. नीरज मलहोत्रा ने अपने विचार रखे। इसके अलावा आइएसीडीई के सचिव प्रो. डा. वी मोहन ने मरीजों के गंदे धब्बेदार दांतों को चमकान व टेढ़े-मेढ़े व बेजोड़ दांतों से अपनी मुस्कुराहट को सुंदर बनाने के गुण सिखाए। इस दौरान सभी ने 80 से अधिक शोध पत्र व 30 से अधिक पोस्टर भी प्रस्तुत किए।


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