बकाया वसूलने को प्राधिकण बिल्डरों के खाली फ्लैट पर कर सकती है कब्जा
रकमहिरन दो ं ा कुंदन तिवारी नोएडा प्राधिकरण बिल्डरों से बकाया वसूलने को लेकर विकल्प तलाश रही ह
कुंदन तिवारी, नोएडा : प्राधिकरण बिल्डरों से बकाया वसूलने को लेकर विकल्प तलाश रही है। यह बकाया उस भूमि का है जिस पर बिल्डरों ने अपनी यूनिटों को खड़ा किया लेकिन आवंटित भूमि की रकम प्राधिकरण के खाते में जमा नहीं की। ऐसे में बिल्डर संस्था ने यूपी रेरा से अनुरोध किया कि वह सरकार से अनसोल्ड फ्लैट्स को लेने के लिए कहें। ताकि बिल्डरों का बकाया समाप्त हो सके, साथ ही घर खरीदारों को भी इसका फायदा हो। दरअसल, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण में नियमानुसार बिल्डर ने भूमि का भुगतान नहीं किया है। ऐसी स्थिति में तीनों ही प्राधिकरण बिल्डरों को आवास परियोजनाओं का अधिभोग प्रमाण पत्र (कंप्लीशन सार्टीफिकेट) जारी नहीं कर सकते हैं।
प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि 100 से अधिक बिल्डरों ने भूमि बकाया का भुगतान नहीं किया है। इस भूमि का आवंटन के समय बिल्डर ने कुल लागत का महज 10 प्रतिशत ही प्राधिकरण के खाते में जमा कराया था। ऐसे में परियोजनाओं में तैयार आवास वितरण को बाधित कर रहा है, जिससे घर खरीदारों के हित प्रभावित हो रहे है। सरकार होम बायर्स के मुद्दों को हल कर सकती है
क्रेडाई के अप्रैल 2019 के सर्वेक्षण के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे क्षेत्रों सहित 2,10,200 आवास इकाइयां अटकी हैं। इन इकाइयों का मूल्य कुल 1,31,460 करोड़ है। यह स्टॉक ऐसे बिल्डरों के पास है जो भूमि का भुगतान करने में असमर्थ हैं। यदि उप्र सरकार ऐसी नीति लेकर आती है, जिसमें भूमि की बकाया राशि को निकालने के लिए बिना बिके इकाइयों को लिया जाता है, तो वह भूमि के बकाया के मुद्दे को सुलझा लेगी, जिसने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रियल एस्टेट सेक्टर को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस मामले को यूपी रेरा के साथ उठाएंगे। यही नहीं 4 मार्च 2018 को गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी बीएन सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखा, जिसमें बिल्डरों से भूमि बकाया की वसूली में मदद करने के लिए एक विचार था। यदि इस पद्धति को लागू किया जाता है तो न केवल सरकार भारी राजस्व की वसूली कर सकती है, बल्कि यह इकाइयों की डिलीवरी से संबंधित होम बायर्स के मुद्दों को भी हल कर सकती है। किसानों के मुद्दों को भी सुलझाएगा
अब तक नोएडा प्राधिकरण 94 बिल्डरों से लगभग 15,000 करोड़ की वसूली करने में विफल रहा है। ठीक इसी तरह ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण 129 बिल्डरों से लगभग 6,000 करोड़ की वसूली करने व यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण 4,000 करोड़ की वसूली में असमर्थ रहा है। लिहाजा इस तरह की नीति के लागू होने के बाद बिल्डर बायर्स के अलावा प्राधिकरण अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकता है।