निठारी कांड की सच्चाई हमेशा के लिए हो गई दफन, क्या अब कभी नहीं मिलेगा जान गंवाने वाले मासूमों को न्याय
निठारी कांड की सच्चाई हमेशा के लिए दफन हो गई है, जिससे पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद खत्म हो गई है। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था, लेकिन अब इसके रहस्य शायद कभी सामने नहीं आ पाएंगे। यह कानून की विफलता को दर्शाता है, जहां मासूम बच्चों को न्याय मिलने में देरी हुई।

सुरेंद्र कोली।
जागरण संवाददाता, नोएडा। निठारी कांड का राज हमेशा-हमेशा के लिए दफन हो गया। इस तरह नोएडा का आरूषी हत्याकांड अबूझ पहेली बनकर रह गया। उसी तरह निठारी कांड की सच्चाई भी एक जटिल प्रश्न बनकर रह गया है। अब लोगों को कभी पता नहीं चलेगा कि उन 18 बच्चों की हत्या किसने की। बच्चों को न्याय मिलना कहीं न कहीं अधूरा रह गया।
पुनर्विचार याचिका ही आखिरी रास्ता
इस केस में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पुनर्विचार याचिका को ही आखिरी रास्ता बता रहे हैं। यदि इस मामले को लेकर पीड़ित या अन्य पक्ष याचिका दायर करे। बता दें कि गौतमबुद्ध नगर की जिला जेल में सजा काट रहा रहा निठारी कांड का दूसरा आरोपित सुरेंद्र कोली दोषमुक्त होने के बाद बुधवार को रिहा हो गया।
पीड़ितों में है नाराजगी
निठारी कांड से संबंधित बच्ची ज्योति के पिता झब्बू लाल और उसकी मां सुनीता ने आरोपितों के बरी होकर जेल से बाहर आने पर खुश नहीं हैं। वह बेबस और गुस्से में हैं।
उनका सिस्टम से लेकर हर किसी से एक ही सवाल है कि अगर यह दोषी नहीं हैं तो किसी ने तो बच्चों की हत्या की होगी। वह कौन है? यह प्रश्न निठारी कांड को लेकर हर किसी के मन में है।
दोषी का ही नहीं पता चलने पर अधिकांश लोग निठारी कांड को आरूषि कांड की तरह ही अबूझ पहेली बताया।
निठारी मामले को लेकर पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने बताया कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है। पुलिस व जांच एजेंसी की ओर से पर्याप्त साक्ष्य नहीं प्रस्तुत करने पर आरोपित बरी हो गए। अगर पीड़ित पक्ष चाहे तो वह पुनर्विचार याचिका को दायर कर सकता है।

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