इंटरनेट के जरिए एनआइसीपीआर दे रहा है कैंसर से बचाव की ट्रे¨नग
देश में अब इंटरनेट के माध्यम से कैंसर पर लगाम लगाने की कवायद शुरू हो गई है। इसकी पहल नोएडा स्थित राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संस्थान (एनआइसीपीआर) ने की है। Þएनआइसीपीआर-इको : कैंसर स्क्री¨नग ट्रे¨नग प्रोग्राम'के जरिए संस्थान डॉक्टरों को इस बीमारी से रोकथाम की ट्रे¨नग दे रहा है। ट्रे¨नग से डॉक्टर कैंसर को समय रहते पकड़ने में सक्षम हो सकेंगे।
चंद्रशेखर वर्मा, नोएडा :
देश में अब इंटरनेट के माध्यम से कैंसर पर लगाम लगाने की कवायद शुरू हो गई है। इसकी पहल नोएडा स्थित राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संस्थान (एनआइसीपीआर) ने की है। एनआइसीपीआर-इको कैंसर स्क्री¨नग ट्रे¨नग प्रोग्राम' के जरिए संस्थान डॉक्टरों को इंटरनेट के माध्यम से इस बीमारी से रोकथाम की ट्रे¨नग दे रहा है। ट्रे¨नग से डॉक्टर कैंसर को समय रहते पकड़ने में सक्षम हो सकेंगे। डॉक्टरों को यह ट्रेनिंग नि:शुल्क दी जा रही है। इससे मरीजों को बजाए जाने की संभावना बढ़ जाएगी।
एनआइसीपीआर के निदेशक प्रोफेसर रवि मेहरोत्रा ने बताया कि कैंसर वर्तमान में बहुत बड़ी समस्या है। दुनियाभर में इस बीमारी से निपटने के लिए रोज नये प्रयोग किये जा रहे हैं। इसके बावजूद अभी तक कोई कारगर इलाज नहीं मिल पाया है। कैंसर से होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह, इसका समय पर पकड़ में न आना है। इसको देखते हुए यह पहल की गई है। उन्होंने बताया कि एक्सटेंशन फॉर कम्यूनिटी हेल्थकेयर आउटकम्स (इको) एक ऐसा मंच है, जो विभिन्न बीमारियों की रोकथाम के लिए काम करता है। संस्थान ने कैंसर की रोकथाम के लिए इससे हाथ मिलाया है।
प्रो मेहरोत्रा ने बताया कि इस मंच के तहत 14 सप्ताह का पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। इसमें गाइनोक्लोजिस्ट और डेंटिस्ट भाग ले रहे हैं। इसकी वजह लोगों में काफी तादाद में मुंह और गर्भाशय का कैंसर पाया जाता है। इसके लिए सप्ताह में दो दिन मंगलवार और बृहस्पतिवार रखे गए हैं। एक दिन गाइनो के डॉक्टर तो दूसरे दिन डेंटिस्ट की कक्षाएं लगती हैं। इसके लिए दोपहर बाद तीन से चार बजे का समय तय किया गया है। इस दौरान जूम साफ्टवेयर की मदद से देश और दुनिया के करीब 50 डॉक्टर आपस में वीडियो कांफ्रें¨सग के जरिए कैंसर पर वार्ता करते हैं और अपने अनुभव साझा करते हैं। इनकी मदद के लिए कांफ्रें¨सग में एक एक्सपर्ट भी मौजूद रहता है। उन्होंने बताया कि इको प्रोजेक्ट दुनिया के 30 देशों में चल रहा है। जबकि देश में तीन जगहों पर इसके जरिए अन्य बीमारियों की रोकथाम पर चर्चा की जा रही है। लेकिन एनआइसीपीआर केवल ऐसा संस्थान है, जो कैंसर के लिए इस मंच का इस्तेमाल कर रहा है।
कोर्स पूरा करने पर दिये जाते हैं ई-सर्टिफिकेट
14 सप्ताह के इस कोर्स को पूरा करने पर एनआइसीपीआर डॉक्टरों को ई-सर्टिफिकेट प्रदान करता है। हालांकि, कोर्स पूरा करने पर ही यह सर्टिफिकेट दिये जाते हैं। लेकिन किन्हीं कारणों से सभी दिन उपस्थित न होने की स्थिति में 10 सप्ताह कोर्स पूरा करने पर भी सर्टिफिकेट दिये जाते हैं।