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UP: यमुना प्राधिकरण को 1500 करोड़ रुपये का झटका, JP Infratech से वसूलनी थी रकम

सबसे बड़ा झटका वाह्य विकास शुल्क (ईडीसी) को लेकर लगा है। एनसीएलटी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन एनबीसीसी) को जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण का आदेश दे चुका है।

By Neel RajputEdited By: Published: Fri, 13 Mar 2020 03:31 PM (IST)Updated: Fri, 13 Mar 2020 03:31 PM (IST)
UP: यमुना प्राधिकरण को 1500 करोड़ रुपये का झटका, JP Infratech से वसूलनी थी रकम
UP: यमुना प्राधिकरण को 1500 करोड़ रुपये का झटका, JP Infratech से वसूलनी थी रकम

ग्रेटर नोएडा, जागरण संवाददाता। जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण को लेकर दिए गए नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल (एनसीएलटी) के फैसले से यमुना प्राधिकरण को 1500 करोड़ का झटका लगा है। टिब्यूनल ने यमुना प्राधिकरण के कई दावों को स्वीकार नहीं किया। यह रकम प्राधिकरण को जेपी इंफ्राटेक से वसूलनी थी।

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सबसे बड़ा झटका वाह्य विकास शुल्क (ईडीसी) को लेकर लगा है। एनसीएलटी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन एनबीसीसी) को जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण का आदेश दे चुका है। एनसीएलटी के समक्ष यमुना प्राधिकरण ने भी दावे पेश किए थे, जो धनराशि उसे जेपी इंफ्राटेक से वसूलनी थी। लेकिन प्राधिकरण के कई दावे को एनसीएलटी ने स्वीकार नहीं किया। इससे प्राधिकरण को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है।

जेपी समूह ने प्राधिकरण के खाते में जमा किए पचास करोड़ रुपये

विशेष विकसित क्षेत्र को बचाने के लिए जेपी समूह ने यमुना प्राधिकरण के खाते में पचास करोड़ रुपये जमा करा दिए हैं। अभी 25 मार्च तक उसे पचास करोड़ रुपये और प्राधिकरण के खाते में जमा कराने होंगे। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जेपी समूह को 25 मार्च तक दो किस्तों में सौ करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया था। एक हजार करोड़ रुपये का बकाया भुगतान न करने पर यमुना प्राधिकरण ने जेपी समूह की कंपनी जेपी स्पोट्र्स इंटरनेशनल को आवंटित एक हजार हेक्टेयर का भूखंड निरस्त कर दिया था। यह भूखंड एसडीजेड की श्रेणी में कंपनी को आवंटित किया गया था।

प्राधिकरण की इस कार्रवाई के खिलाफ जेपी समूह ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट ने उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए सौ करोड़ रुपये पचास-पचास करोड़ रुपये की दो किस्तों में जमा कराने का आदेश दिया था। पहली किस्त के लिए दस मार्च तक का समय दिया गया था। जेपी समूह ने दस मार्च तक पचास करोड़ रुपये प्राधिकरण के खाते में जमा करा दिए हैं। जबकि दूसरी किस्त जमा कराने के लिए उसके पास 25 मार्च तक का समय है। रकम जमा न कराने पर कोर्ट की ओर से दिया गया स्थगन आदेश समाप्त हो जाएगा और प्राधिकरण को आगे की कार्रवाई के लिए मौके मिल जाएगा। प्राधिकरण के सीईओ डा. अरुणवीर सिंह ने बताया कि जेपी समूह ने पचास करोड़ रुपये का भुगतान किया है। अब कोर्ट मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में करेगा।


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