Noida International Airport: नोएडा एयरपोर्ट के दूसरे चरण के लिए सितंबर में पूरा होगा एसआइए
Noida International Airport गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय की प्रोफेसर वंदना पांडे और नोडल अफसर प्रोफेसर विवेक मिश्रा की अगुवाई में टीम यहां के ग्रामीणों पर जमीन अधिग्रहण के कारण होने वाले सामाजिक आर्थिक प्रभाव का आकलन करने में जुटी है।
नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा [अरविंद मिश्रा]। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के दूसरे चरण की जमीन अधिग्रहण के लिए सोशल इंपेक्ट एसेसमेंट (एसआइए) किया जा रहा है। यह कार्य अगले माह पूरा जाएगा। पांच गांवों में सर्वे का काम पूरा हो चुका है। करौली बांगर में सर्वे कार्य शेष बचा है। इसके अगले एक सप्ताह में पूरा कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के विस्तार के लिए दूसरे चरण में 1,365 हेक्टेयर जमीन अधिगृहीत की जाएगी। इससे रन्हेरा, दयानतपुर, मुढरह, कुरैब, वीरमपुर व करौली बांगर गांव प्रभावित होंगे। प्रदेश सरकार ने इन गांवों में एसआइए के लिए गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय को जिम्मेदारी सौंपी है।
विश्वविद्यालय की प्रोफेसर वंदना पांडे व नोडल अफसर प्रोफेसर विवेक मिश्रा की अगुवाई में टीम ग्रामीणों पर जमीन अधिग्रहण के कारण होने वाले सामाजिक आर्थिक प्रभाव का आकलन करने में जुटी है। पांच गांव रन्हेरा, कुरैब, मुढरह, दयानतपुर, वीरमपुर में सर्वे का काम पूरा हो चुका है, लेकिन करौली बांगर में टीम को सर्वे को लेकर दिक्कत आ रही है।
दरअसल ग्रामीण नोएडा एयरपोर्ट के विस्तार के लिए जमीन देने को तैयार हैं, लेकिन उनकी मांग है कि गांव की आबादी को अधिग्रहण से मुक्त रखा जाए। ग्रामीण गांव छोड़कर अन्य जगह पर बसना नहीं चाहते। इस पेच को हल करने के लिए प्रशासन के अधिकारी ग्रामीणों के साथ वार्ता करने में जुटे हैं। वार्ता के बाद ग्रामीणों का रुख सकारात्मक हुआ है।
उम्मीद है कि अगले एक सप्ताह में करौली बांगर में भी एसआइए पूरा हो जाएगा। टीम अपनी रिपोर्ट शासन को भेजेगी। शासन से गठित विशेषज्ञ समिति रिपोर्ट पर जनसुनवाई करेगी । इसके बाद जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू होगी। उल्लेखनीय कि विस्तार चरण में अधिगृहीत जमीन पर एक रनवे व मेंटेनेंस, रिपेयर व ओवरहालिंग की गतिविधि होंगी। देश में अभी तक हवाई जहाज की मरम्मत की गतिविधि सीमित तौर पर होती है। इसलिए अधिकतर कंपनियां अपने हवाई जहाज को मरम्मत के लिए अन्य देशों में भेजती हैं।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को एमआरओ के बड़े केंद्र के तौर पर विकसित करने की योजना है। इससे देश को विदेशी मुद्रा के रूप में कमाई होने के साथ बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन भी होगा।