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...ताकि कोरोना महामारी में ये बेजुबान भूखे ना मर जाएं

सेवाभाव का आलम यह है कि कभी कभार सुबह व शाम में देरी होने के कारण आवारा कुत्ते उस रास्ते पर राह निहारते बैठ जाते हैं जहां से विदित को आना होता है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 11:25 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 11:25 AM (IST)
...ताकि कोरोना महामारी में ये बेजुबान भूखे ना मर जाएं

नोएडा [पारुल रांझा]। कोविड -19 के बढ़ते संक्रमण के चलते जहां लोगों के लिए शारीरिक दूरी बनाना जरूरी हो गया है। वहीं, 28 वर्षीय विदित शर्मा सड़कों-गलियों, चौराहों पर भटकने वाले आवारा कुत्तों से करीबी रिश्ता बना रहे हैं। यह शहर की सड़कों में घूम-घूम कर न केवल आवारा कुत्तों की भूख मिटाते हैंं, बल्कि मैन्यू के अनुसार हर दिन अलग-अलग खाना भी खिलाते हैं। सेवाभाव का आलम यह है कि कभी कभार सुबह व शाम में देरी होने के कारण आवारा कुत्ते उस रास्ते पर राह निहारते बैठ जाते हैं, जहां से विदित को आना होता है। कोरोना संक्रमण की इस संकट की घड़ी में सड़कों पर दुत्कार व फटकार झेलते इन बेजुबानों को दो वक्त का खाना उपलब्ध कराना विदित का मकसद बन गया है।

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हर रोज करीब एक हजार कुत्तों को खिलाते है खाना

निठारी के रहने वाले विदित शर्मा नोएडा की एक ऑटोमोबाइल कंपनी में कार्यरत है। कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन में विदित घर से ही ऑफिस का कामकाज करने लगे थे। एक दिन जब वह सेक्टर-18 पेट्रोल पंप पर रुके तो उन्होंने सड़क पर ताक लगाए तीन चार आवारा कुत्तों को खाना खिलाया। देखते ही देखते थोड़ी देर में करीब 20 से 30 कुत्ते वहां पहुंच गए। इसके बाद से ही उन्होंने ठान लिया की वह लॉकडाउन का सही इस्तेमाल इन आवारा कुत्तों को खाना खिला कर ही करेंगे। विदित बताते है कि कोरोना के कारण सड़कों और गलियों में घूमने वाले आवारा कुत्तों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। इस आफत में उनका सहारा बनने के लिए वे आगे आए। इस काम में मदद के लिए उन्होंने एक रिक्शावाले को भी हायर किया हैं। हर रोज रिक्शा व अपनी बाइक पर शहर की सड़कों पर घूमते हुए करीब एक हजार कुत्तों को खाना खिलाते है।

आवारा कुत्तों के लिए तैयार की किचन, रोजाना अलग मैन्यू

विदित बताते हैं कि आवारा कुत्तों को खाना खिलाना और उनकी देखभाल करना, अब उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है। उन्हें इन बेजुबानों की मदद करने में काफी सुकून मिलता है। आवारा कुत्तों का भोजन तैयार करने के लिए वे पहले अपने किराए के मकान में खाना बनाते थे। लेकिन मकान मालिक ने उन्हें वहां बनाने से मना कर दिया। इसके बाद निठारी में ही अलग से एक किचन की जगह ले ली। रोजाना वे अलग अलग मैन्यू के हिसाब से भोजन तैयार करते है। यदि किसी दिन उन्हें भोजन पहुंचाने में देरी हो जाती है तो आवारा कुत्ते उनके इंतजार में बैठे रहते है। रात के समय दुर्घटना से बचने के लिए उन्होंने कुत्तों के गले में रेडियम का पट्टा बांधना भी शुरू कर दिया है।

यह है आवारा कुत्तों के लिए फूड मैन्यू-

सोमवार से बुधवार- चावल, अंडे और सोयाबीन

बृहस्पतिवार से शनिवार- दूध और अंडे

रविवार- रोटी और दलिया


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