Greater Noida: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का बिल्डर प्रोजेक्ट पर साढ़े 9 करोड़ का जुर्माना, GNDA लापरवाही आई सामने
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 5 बिल्डर परियोजना पर साढ़े 9 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया है। बिल्डर परियोजना से निकलने वाले दूषित जल को शोधित करने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाता है। मामले में GNDA लापरवाही सामने आई है।
ग्रेटर नोएडा, जागरण संवाददाता। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 5 बिल्डर परियोजना स्टेलर जीवन, सुपरटेक ईकोविलेज दो , महागुन माईवुड एक व दो, मेफेयर रेसिडेंसी व देविका गोल्ड होम्स सोसायटी पर 9 करोड़ 62 लाख 90 हजार 624 रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की कार्रवाई बिल्डर परियोजना में सीवेज ट्रिटमेंट प्लांट न होने के कारण की गई है।
दूषित जल को बिना ट्रीट के नाले में गिराया जा रहा
बिल्डर परियोजना से दूषित जल को बिना ट्रीट किए नाले में बहाया जा रहा था। सुपरटेक ईकोविलेज दो व स्टेलर जीवन परियोजना पर पिछले वर्ष लगभग साढ़े 7 करोड़ का जुर्माना लगा था। दोनों परियोजना के प्रबंधन द्वारा जुर्माना लगाए जाने के बाद भी व्यवस्था में सुधार न करने व जवाब न देने पर दोनों बिल्डर पर दोबारा पर लगभग एक करोड़ रुपये का जुर्माना दोबारा लगाया है।
बिल्डर परियोजना से निकलने वाले दूषित जल को शोधित करने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाता है। पैसों की बचत करने के लिए बिल्डरों के द्वारा कम क्षमता का प्लांट लगाया जाता है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय ग्रेटर नोएडा की टीम ने पांच बिल्डर परियोजना में जांच की। जांच के बाद सभी पर कार्रवाई की गई है।
टीम के द्वारा पिछले वर्ष नवबंर में सुपरटेक व स्टेलर जीवन परियोजना का निरीक्षण किया गया था। जांच के दौरान टीम ने सुपरटेक परियोजना के निरीक्षण में पाया कि एसटीपी के कलेक्शन टैंक से बाइपास लाइन स्थापित की गई थी। घरों से निकलने वाले सीवेज का कुछ हिस्सा ही एसटीपी से शुद्ध हो रहा था। शेष सीवेज को सीधे नाले में फेंका जा रहा था।
मानकों के अनुरूप चिमनी स्थापित नहीं थी
परियोजना में विद्युत आपूर्ति बाधित होने पर वैकल्पिक व्यवस्था के लिए चार डीजी सेट लगाए गए थे, लेकिन तीन डीजी सेट पर मानकों के अनुरूप चिमनी स्थापित नहीं थी। कार्रवाई करते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सुपरटेक ईकोविलेज दो परियोजना पर 5 करोड़ 24 लाख 62 हजार 500 रुपये का जुर्माना लगाया था। टीम के द्वारा हाल ही में दोबारा से जांच की गई तो व्यवस्था में सुधार नहीं मिला।
साथ ही पूर्व में लगाए गए जुर्माने पर कोई जवाब भी नहीं दिया गया। कार्रवाई करते हुए सुपरटेक ईकोविलेज दो पर दोबारा से 42 लाख 60 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। पिछले वर्ष नवंबर में हुई जांच में मैसर्स स्टेलर जीवन सोसायटी में ग्रेटर नोएडा वेस्ट की जांच में मिला कि ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने वर्ष 2010 परियोजना प्रबंधन को अनुमति दी थी कि परियोजना से जनित घरेलू सीवेज का अंतिम डिसोजल हेतु प्राधिकरण के द्वारा प्रस्तावित एसटीपी के माध्यम से कराया जाएगा।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की लापरवाही आई सामने
प्राधिकरण के द्वारा ग्रेटर नोएडा वेस्ट में संयुक्त एसटीपी की स्थापना ही नहीं की गई। ऐसे में सीवेज का आंशिक भाग ही एसटीपी से शुद्ध हो रहा था शेष को सीधे नाले में फेका जा रहा था। कार्रवाई करते हुए दो करोड़ सैतालिस लाख पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था। व्यवस्था में परिवर्तन न होने व पूर्व की कार्रवाई का जवाब न देने पर सोसायटी पर 54 लाख 28 हजार 125 रुपये का जुर्माना और लगाया गया।
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कुछ दिनों पूर्व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित मैसर्स देविका गोल्ड होम्ज, मैसर्स मेफेयर रेसिडेंसी व मेसर्स महागुन माईवुड एक व दो का निरीक्षण किया गया। मैसर्स महागुन में एसटीपी का संचालन संतोषजन नहीं मिला। सोसायटी पर तैंतीस लाख तीस हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया।
मैसर्स मेफेयर व मैसर्स देविका गोल्ड होम्ज में एसटीपी संचालित नहीं मिला। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मैसर्स देविका सोसायटी पर अड़तीस लाख दस हजार व मैसर्स मेफेयर सोसायटी पर बाइस लाख पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
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