पौधे लगाना और बचाना सबकी जिम्मेदारी, जानिए किस तरह से लोगों को जागरूक कर रहे ऋषिकांत
ऋषिकांत ऐसे पर्यावरण प्रेमी हैं जिन्हें पर्यावरण संरक्षण या यूं कहें पौधारोपण की सीख या संस्कार बचपन में मिला और उसका आज तक पालन कर रहे हैं। वह अब तक शहर के ग्रीन बेल्ट पार्क व घर के परिसर में करीब 500 पौधे रोपित कर चुके हैं।
नोएडा [पारुल रांझा]। चिड़िया चहक उठी पेड़ों पर, बहने लगी हवा अति सुंदर...। ऊर्जा और चेतना से भरपूर रचनाओं के रचयिता सोहनलाल द्विवेदी की ये रचना शायद हम सभी ने पढ़ी है। ये कविता बच्चों को प्रेरणा देने के साथ-साथ प्रकृति के मनोरम रूप का बहुत सहज व आकर्षक रूप में वर्णित करती हैं। यह बात सही भी है कि बचपन में बच्चों में जो संस्कार डाले जाते हैं, उसकी छाप आजीवन बनी रहती है।
नोएडा के सेक्टर-53 निवासी ऋषिकांत भी एक ऐसे पर्यावरण प्रेमी हैं, जिन्हें पर्यावरण संरक्षण या यूं कहें पौधारोपण की सीख या संस्कार बचपन में मिला और उसका आज तक पालन कर रहे हैं। मां-बाप से मिली पौधारोपण की प्रेरणा के चलते वह अब तक शहर के ग्रीन बेल्ट, पार्क व घर के परिसर में करीब 500 पौधे रोपित कर चुके हैं। इनमें फलदार पौधों सहित छायादार पौधे भी शामिल हैं। जो लोग प्रकृति के प्रति चिंतित नहीं हैं, उन्हें भी जागरूक करते हैं।
कोरोनाकाल में औषधीय पौधे लगाने पर रहा जोर
उदार फाउंडेशन संस्थापक ऋषिकांत बताते हैं कि पेड़-पौधों का महत्व कोरोना महामारी ने उस वक्त सभी की अच्छे से समझा दिया, जब आक्सीजन की कमी से संक्रमित मरीजों की सांसों की डोर टूट रही थी।
ऋषिकांत ने अपने जीवन काल में सैकड़ों पौधे लगाए हैं। हर वर्ष सार्वजनिक स्थानों पर पौधारोपण करते हैं। लेकिन कोरोनाकाल में 24 घंटे आक्सीजन देने वाले पौधों व औषधीय पौधे रोपने पर जोर दिया।
सोरखा गांव में संस्था के वालेंटियर्स, ग्रामीण व जरूरतमंद बच्चों के साथ आक्सीजन देने वाले विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए। इनमें इनमें स्नेक प्लांट, स्पाइडर प्लांट, मनी प्लांट, सिगोनियम, गुड़हल फर्न, जेड प्लांट, बोगनविलिया, ड्राइसीना, ऐरेकापाम, इंग्लिश इवी, लेडी पाम, पाथीफाइलम, बोस्टनआदि पौधे शामिल हैं। वे वातावरण में प्रवाहित हो रही प्राण वायु (आक्सीजन) की कमी को कुछ हद तक दूर करने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं।
पौधे लगाना और बचाना सबकी जिम्मेदारी
ऋषिकांत बताते हैं कि प्रकृति समय-समय पर जो कहर बरपा रही है उसे गंभीरता से लेना होगा। यह प्रकृति से ज्यादा छेड़छाड़ का ही नतीजा है जो कभी कोरोना जैसी महामारी व कभी गर्मी में ओले गिरना व बरसात हो रही है। यह तभी होता है जब पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाए।
इस संतुलन को बनाने को हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने सभी की जिम्मेदारी है। खासकर आक्सीजन व औषधीय पौधों की सख्त जरूरत है। इसलिए सभी लोग वर्ष में कम से कम पांच पौधे जरूर लगाएं। कोरोनाकाल में घरों में समय व्यतीत करने व खुद को खुश और स्वस्थ रखने का भी यह बेहतर माध्यम है।