Move to Jagran APP

RTE के तहत सैकड़ों बच्चों को दिलाया स्कूलों में प्रवेश, बिना अभिभावकों के बच्चों के लिए भी बनाई शिक्षा की डगर

घर की हालत तो ऐसी नहीं थी कि इतने बड़े स्कूल में पढ़ सकें यहां बच्चे महंगी कार और स्कूल बस से आते हैं और हमें आज भी साइकिल से पापा स्कूल छोड़ते हैं। शहर के एक नामी स्कूल में पढ़ने वाले कई बच्चों की कहानी इससे बहुत कुछ मिलती।

By Lokesh ChauhanEdited By: Abhi MalviyaPublished: Wed, 25 Jan 2023 02:45 PM (IST)Updated: Wed, 25 Jan 2023 02:54 PM (IST)
RTE के तहत सैकड़ों बच्चों को दिलाया स्कूलों में प्रवेश, बिना अभिभावकों के बच्चों के लिए भी बनाई शिक्षा की डगर
घर की हालत तो ऐसी नहीं थी कि इतने बड़े स्कूल में पढ़ सकें

नोएडा, जागरण संवाददाता। घर की हालत तो ऐसी नहीं थी कि इतने बड़े स्कूल में पढ़ सकें, यहां बच्चे महंगी कार और स्कूल बस से आते हैं और हमें आज भी साइकिल से पापा स्कूल छोड़ते हैं। शहर के एक नामी स्कूल में पढ़ने वाले कई बच्चों की कहानी इससे बहुत कुछ मिलती है। इन बच्चों के अभिभावक आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं है कि वे किसी भी निजी स्कूल में बच्चों को पढ़ा सकें, लेकिन सरकार की शिक्षा का अधिकार (आरटीई) योजना और पहल संस्था ने न सिर्फ बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ने का मौका दिया, बल्कि उन्हें पढ़ाई के लिए एक बेहतर वातावरण भी मिला है।

loksabha election banner

RTE के तहत निजी स्कूलों में बच्चों को दिलाया प्रवेश 

संस्था द्वारा अब तक करीब एक हजार बच्चों को निजी स्कूलों में आरटीई के तहत प्रवेश दिलाया जा चुका है। हालांकि यह कार्य आसान नहीं रहा। कई स्कूलों ने आरटीई में प्रवेश देने के नाम पर स्कूल में ही कदम नहीं रखने दिया। कई स्कूलों के बाहर अभिभावकों को लेकर कई-कई दिन तक धरना देने के साथ प्रदर्शन भी करना पड़ा। स्कूल से लेकर बीएसए कार्यालय के चक्कर भी लगाने पड़े। कोरोना काल में जब स्कूल खुले तो बच्चों की संख्या कम थी, लेकिन अधिकांश स्कूल आरटीई के तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को प्रवेश देने को तैयार नहीं थे। कई जगह तो उगाही किए जाने का आरोप लगाने की धमकी भी दी गई, लेकिन जब अभिभावक साथ होते थे, तो स्कूल प्रबंधन को मामला समझ में आता था, हालांकि इसके बाद भी खूब जद्दोजहद करनी पड़ी। जो आज भी जारी है।

कई स्कूलों के बाहर अभिभावकों ने प्रदर्शन किया

दो वर्ष पहले शुरू किए गए इस अभियान के तहत अब तक लोटस वैली, स्टेप बाइ स्टेप, डीपीएस, विश्व भारती, मानव रचना, मिलेनियन स्कूल, खेतान पब्लिक स्कूल, एस्टर पब्लिक स्कूल, राघव ग्लाेबल, इंद्रप्रस्थ ग्लोबल स्कूल, जेनेसिस ग्लोबल स्कूल, कोठारी इंटरनेशनल, डीएवी, डीपीएस वल्र्ड स्कूल, फ्लोरेंस इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल, गौर इंटरनेशनल स्कूल, ग्लोबल इंडियन इंटरनेशनल स्कूल, सफाायर इंटरनेशनल स्कूल, एलपीएस ग्लोबल स्कूल सहित कई और स्कूलों में एक हजार बच्चों को प्रवेश दिलाने में सफलता मिली। इसके लिए जेनेसिस ग्लोबल स्कूल, इंद्रप्रस्थ ग्लोबल स्कूल, डीपीएस, विश्व भारती, राघव ग्लोबल, मानव रचना, रामाज्ञा स्कूल, फ्लोरेंस इंटरनेशनल स्कूल और बाल भारती सहित कई स्कूलों के बाहर अभिभावकों को साथ लेकर लगातार प्रदर्शन करने पड़े थे। मामले में प्रशासनिक अधिकारियों ने हस्तक्षेप करते हुए मदद भी की थी। जिसके कारण यह योजना सार्थक होती नजर आ रही है बच्चों को बेहतर शिक्षा का मौका मिल रहा है। संस्था के प्रयास से ही गौतमबुद्ध नगर पूरे प्रदेश में आरटीई में प्रवेश देने के नाम पर दूसरे पायदान पर आ गया है।

पहल संस्था के संस्थापक अविनाश सिंह ने राजेश अंबावता और अनिल सिंह के साथ मिलकर संस्था का गठन किया। इसके बाद अविनाश सिंह ने इस बात की पड़ताल करनी शुरू की कि जो अभिभावक अपने बच्चों का प्रवेश आरटीई के स्कूल में कराने के लिए आवेदन कर रहे हैं, उनमें से कितने बच्चों को प्रवेश मिल सका। जिन बच्चों को प्रवेश नहीं मिला, उन्हें स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए उन्होंने अभिभावकों को साथ लेकर स्कूल के बाहर धरना-प्रदर्शन तक किया। इसके बाद समाज के गरीब वर्ग के लोगों को आरटीई के बारे में जागरूक करने का कार्य शुरू किया। इसमें लोगों को बताया कि वे भले ही निजी स्कूलों की महंगी फीस का बोझ वहन करने में सक्षम नहीं है, लेकिन सरकार की तरफ से ऐसे परिवार के बच्चों को बिना फीस के प्रवेश देने की व्यवस्था की गई है। जिससे वे बच्चे भी अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.