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युवाओं को राष्ट्रप्रेम के पैकेज से परिचित कराएंगे पूर्व सैन्य अफसर व शिक्षाविद

भारत का सैन्य इतिहास समृद्ध भी है और गौरवान्वित करने वाला भी। इसी इतिहास के कर्मयोगी रहे लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी वाइस एडमिरल रमन पुरी और कमांडर वीके जेटली सरीखे अनुभवी सैन्य अफसर प्रो. मूर्ति की परिकल्पना को साकार करने के लिए आगे आए हैं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 11 Jan 2022 07:26 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jan 2022 07:26 PM (IST)
युवाओं को राष्ट्रप्रेम के पैकेज से परिचित कराएंगे पूर्व सैन्य अफसर व शिक्षाविद
ले. जनरल (से.) वीके चतुर्वेदी। सौ. स्वयं

नोएडा [महेश शुक्ल]।देश में युवाओं का वेतन पैकेज के प्रति आकर्षण बीते कुछ वर्ष में बढ़ा है। प्लेसमेंट सत्र में बड़े-बड़े वेतन पैकेज की खबरें आती रहती हैं। आर्थिकी के लिए यह अच्छी बात है, लेकिन स्वामी विवेकानंद ने युवा शक्ति को राष्ट्रनिर्माण की अहम जिम्मेदारी भी सौंपी थी। वह कहीं पीछे छूटती दिख रही है। अब देश के पूर्व सैन्य अफसर, शिक्षाविद् और आंत्रप्रेन्योर का एक समूह स्वामी विवेकानंद के संदेश के माध्यम से युवाओं को राष्ट्रप्रेम के पैकेज से भी परिचित कराएगा। इस प्रयास को नाम दिया गया है यूथ4नेशन यानी राष्ट्रार्थं युवा। इनका लक्ष्य है विश्वविद्यालयों व संस्थानों में युवाओं को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के माध्यम से राष्ट्रप्रेम के बारे में जागृत व प्रेरित किया जाए।

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बताया जाए कि लाखों-करोड़ों के पैकेज की तरह राष्ट्रप्रेम का यह पैकेज भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ताकि युवा केवल निजी जीवन में ही आगे बढ़ने का लक्ष्य न रखें बल्कि राष्ट्र के विकास और समृद्धि में भी भागीदार बनें, सक्रिय बनें।

शिक्षाविद् हैं इसके मूर्तिकार

‘यूथ4नेशन’ अभियान के असल मूर्तिकार हैं प्रोफेसर जीएस मूर्ति। न्यूक्लियर केमिस्ट्री में विशेषज्ञता रखने वाले प्रो. मूर्ति ने आंध्र विश्वविद्यालय ने पीएचडी की और फिर वहीं लंबे समय तक अध्यापन भी किया। काम करने के दौरान उऩके मन में युवाओं को राष्ट्रप्रेम की भावना से परिचित कराने का विचार आया जिसे उन्होंने करीब दस वर्ष पहले अमली जामा पहनाना शुरू किया। विभिन्न कालेजों, विश्वविद्यालयों व संस्थानों में हजारों छात्रों को राष्ट्र का महत्व, उसके प्रति युवाओं की जिम्मेदारी और भारतीयता से जुड़ने की बात समझाई। यह अनौपचारिक मुहिम ही अब ’यूथ4नेशन’ के रूप में औपचारिक संगठन बनकर धरातल पर आई है। बीते वर्ष अक्टूबर में प्रो. मूर्ति के साथ देश के अलग-अलग हिस्सों से सेवानिवृत्त सैन्य अफसरों, शिक्षाविदों, आइटी प्रोफेशनल्स और अन्य क्षेत्रों में सक्रिय साथियों इस अभियान को एक संगठन का रूप दिया है। रूपरेखा बनी है और काम चल पड़ा है। अब इस वर्ष से इसकी गति बढ़ाने पर काम हो रहा है।

सात राज्यों तक बनी पहुंच

केवल तीन माह के अल्पकाल में ही ‘यूथ4नेशन’ ने देश के सात राज्यों असम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, कर्नाटक, तेलंगाना और दिल्ली में प्रयास आरंभ कर दिए हैं। इसकी शुरुआत असम से की गई और इस बारे में प्रो. मूर्ति कहते हैं कि किसी कार्य के शुभारंभ के लिए ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) को अतिशुभ माना जाता है और असम पूर्वोत्तर में है। वहां मां कामाख्या देवी का मंदिर भी है। हमने भी ‘यूथ4नेशन’ का शुभारंभ असम से किया है। एक अन्य कारण वहां राज्यपाल और मुख्यमंत्री समेत अन्य पदाधिकारियों से त्वरित और सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलना रहा। प्रो. मूर्ति ने बताया कि असम के राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी ने अभियान को लेकर काफी उत्साह दिखाया और प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में युवा शक्ति को भारत, भारतीयता और राष्ट्रप्रेम की भावना से परिचित कराने में सहयोग का आश्वासन दिया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने भी युवाओं को प्रेरित करने के इस अभिनव अभियान की सराहना की और सहयोग का विश्वास दिलाया। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन के कार्यालय की तरफ से भी एक पत्र प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और संस्थानों के निदेशकों को लिखा गया है कि वह देश के युवाओं को प्रेरित करने के संबंध में ‘यूथ4नेशन’ के प्रस्ताव पर विचार करें। प्रो. मूर्ति के अनुसार, अन्य स्थानों पर भी हमें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है।

ले. जनरल से लेकर वाइस एडमिरल तक शामिल

भारत का सैन्य इतिहास समृद्ध भी है और गौरवान्वित करने वाला भी। इसी इतिहास के कर्मयोगी रहे लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी, वाइस एडमिरल रमन पुरी और कमांडर वीके जेटली सरीखे अनुभवी सैन्य अफसर प्रो. मूर्ति की परिकल्पना को साकार करने के लिए आगे आए हैं। ले. जनरल चतुर्वेदी ने जागरण से बातचीत में कहा कि राष्ट्रप्रेम की भावना सर्वोपरि होनी चाहिए। भारतीय संस्कृति, खानपान, वेशभूषा, रहन-सहन विश्व में सबसे सशक्त, समृद्ध और अनेकता में एकता वाला है। हमारा लक्ष्य देश के युवाओं को इससे पुनः परिचित कराने के साथ ही उनके कर्म और मर्म में इन्हें पिरोने का है। 1971 के भारत-पाक युद्ध में वीरता के लिए सेना पदक से सम्मानित ले. जनरल चतुर्वेदी का कहना है कि हम किसी को भी बड़े पैकेज लेने से नहीं रोक रहे, विदेश जाने से नहीं रोक रहे। सत्या नडेला, पराग अग्रवाल, इंदिरा नूई बने हैं और बनते रहें। बस कहीं भी रहें, हमारे युवाओं के मन में भारत के प्रति प्रेम पलता रहे, बढ़ता रहे। अगर विदेश में हैं तो भी राष्ट्रनिर्माण में योगदान दें, देश में हों तो भी। यही ‘यूथ4नेशन’ के माध्यम से हम सभी का अभीष्ट है। जात-पात, धर्म, संप्रदाय सब राष्ट्रप्रेम के सामने गौण हैं।

नेशनल सिक्योरिटी के बारे में बताया जाना जरूरी

अभियान से जुड़े वाइस एडमिरल रमन पुरी का मानना है कि किसी भी राष्ट्र के लिए नेशनल सिक्योरिटी बहुत महत्वपूर्ण विषय है और युवाओं को इस बारे में शिक्षित और जागरूक किया जाना अतिआवश्यक है। अपने संबोधन में वाइस एडमिरल पुरी इस विषय को ही सबसे अधिक प्रमुखता देते हैं। इंटीग्रेटेड डिफेंस कमांड के प्रमुख रहे पुरी कहते हैं कि यह गूढ़ विषय है लेकिन युवाओं को सरल भाषा में समझाया जाता है ताकि वह देश से जुड़ी प्रमुख बातों व वैश्विक परिदृश्य में उनके महत्व को समझ सकें। भारत को खुद को और मजबूत बनाना है और युवाओं को शिक्षित करके इस दिशा में ज्यादा मजबूती से आगे बढ़ा जा सकता है।

‘यूथ4नेशन’ स्टडी सर्किल की योजना

नौसेना से ही सेवानिवृत्त कमांडर वीके जेटली ने बताया कि देश के हर राज्य में ‘यूथ4नेशन’ का चैप्टर बनाने का लक्ष्य है। इसके लिए कालेजों, विश्वविद्यालयों और संस्थानों से संपर्क किया गया है। आरंभिक चरण के बाद कालेजों, संस्थानों में स्थानीय स्तर पर ही ‘यूथ4नेशन’ स्टडी सर्किल बनाने की योजना है जिसके अंतर्गत युवाओं को राष्ट्र निर्माण, देश की पहचान और सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने के लिए प्रेरित करने का क्रम निरंतर जारी रहेगा। यह कार्य इन कालेजों की एक-दो फैकल्टी के माध्यम से ही किया जाएगा। बीच-बीच में सेमिनार और व्याख्यान के लिए ‘यूथ4नेशन’ की विशेषज्ञ टीम भ्रमण करती रहेगी। कहते हैं कि मैंने एक युवा के तौर पर 1965 और 1971 के युद्ध देखे। राष्ट्रप्रेम की ही भावना थी कि आइआइटी, खड़गपुर से स्नातक करने के बाद भी कारपोरेटे सेक्टर में न जाकर नौसेना में जाना निश्चित किया। बड़े भाई सेना में थे, सो मैंने नौसेना चुनी। आइएनएस विराट को विदेश से भारत लाने वाली टीम में शामिल था। वह अनुभव अद्भुत है। आज के युवाओं को देश को जानना-पहचानना होगा।

राष्ट्रनिर्माण में सहभागी बनना होगा। भौतिक प्रगति जरूरी है, लेकिन राष्ट्र पीछे नहीं छूटना चाहिए। कारपोरेट ट्रेनर की भूमिका भी निभा चुके कमांडर जेटली देश के 150 से अधिक विश्वविद्यालयों, संस्थानों में छात्रों से संवाद कर चुके हैं। कहते हैं, हमारे युवा संभावनाओं से भरे हैं, बस राह दिखाने की जरूरत है।

डिजिटल ताकत पर भी ध्यान

समय डिजिटल संवाद और संपर्क का है, सो ‘यूथ4नेशन’ ने भी इसकी तैयारी कर ली है। अभियान से जुड़े सूचना प्रौद्योगिकी आंत्रप्रेन्योर और बिट्स के इंजीनियरिंग स्नातक अरविंद त्रिपाठी इसका संचालन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि युवाओं से संवाद का सबसे बेहतर माध्यम डिजिटल है सो हम वेबिनार कर रहे हैं, गूगल मीट से जुड़ रहे हैं। जूम का भी प्रयोग करेंगे। इंटरनेट मीडिया मंचों के माध्यम से ‘यूथ4नेशन’ के विचारों और गतिविधियों को देश-विदेश तक पहुंचाएंगे। बहुत डाटा है, बहुत काम है। इसके लिए संसधानों व धन की व्यवस्था संगठन के साथी मिलकर कर रहे हैं। ‘यूथ4नेशन’ के साथ सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के ही विशेषज्ञ अजय सिंह भी जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि अभियान को अब संगठन का स्वरूप मिल गया है। स्वामी विवेकानंद की शिक्षा के आधार पर युवाओं को राष्ट्र से जोड़ने का काम तेज कर रहे हैं।

दो साल में 20 लाख युवाओं से जुड़ने का लक्ष्य

प्रो. मूर्ति ने बताया कि एक शुरुआती लक्ष्य के तौर पर दो वर्ष में करीब 20 लाख युवाओं को ‘यूथ4नेशन’ के माध्यम से प्रेरित, उत्साहित और जागरूक करने का विचार है।


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