इस इंजीनियर के भागीरथ प्रयासों से देश के सूखे तालाब में लौट रहा पानी, PM मोदी भी कर चुके हैं तारीफ
Water conservation रामवीर तंवर नाम के इस युवा को पांडमैन के रुप में पहचाना जाता है। वह तालाबों को जीवित करने का प्रयाय बन चुके हैं। 27 वर्षीय रामवीर ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने जल चौपाल शुरू की थी।
नोएडा, जागरण संवाददाता। आए दिन हम लोग खबरें सुनते हैं कि 2030 इस तो 2040 तक उस शहर में छा जाएगा पानी का संकट। एक अनुमान के मुताबिक़ 2030 तक देश की आबादी का 39% हिस्सा शहरों में रहेगा और देश में पानी की मांग आपूर्ति के मुकाबले दोगुनी हो जाएगी। केंद्रीय भूजल बोर्ड भी लगातार आगाह करता रहता है। जब भी आंकड़े आते हैं, तब सब इंटरनेट मीडिया पर दो-चार पोस्ट कर आगे बढ़ जाते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा का एक मैकेनिकल इंजीनियर को इन आंकड़ों ने इतना कचोटा की वह मल्टीनेशनल कंपनी की अच्छी भली नौकरी छोड़ फावड़ा ले चल दिया तालाबों की सफाई करने।
पांडमैन के रुप में है रामवीर तंवर की पहचान
आज रामवीर तंवर नाम के इस युवा को पांडमैन के रुप में पहचाना जाता है। वह तालाबों को जीवित करने का प्रयाय बन चुके हैं। 27 वर्षीय रामवीर ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने जल चौपाल शुरू की थी। खेल-खेल में शुरू हुई इस चौपाल में गांव के लोगों को पानी की बर्बादी न रोकने की सलाह देते थे।
जल संरक्षण को लेकर शुरू से थी उनके मन में कसक
जल संरक्षण को लेकर उनके मन में शुरू से ही एक कसक थी। अपने गांव के सूखते तालाब ने उनको परेशान किया। इसके बाद उन्होंने गांव वालों से आम बात कर तालाब को साफ करने की मुहिम छेड़ी। उनके इस प्रयास से गांव का यह तालाब आज पानी से सराबोर है। यहां से उनके मन में आसपास के तालाबों का भी ध्यान आया। वहीं, से इस पूरे अभियान की शुरुआत हुई।
काम के समर्पण के लिए छोड़ दी नौकरी
साल 2016 में इसी दौरान उनकी नौकरी भी लग गई। दो साल नौकरी करते हुए उन्होंने काम किया। 2018 आते-आते वह पूरी तरह काम के लिए समर्पित हो गए। उन्होंने मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी को छोड़ दिया। अब तक नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली, सहारनपुर, चंडीगढ़, पलवल समेत देश के दूसरे शहरों में 40 ताबालों को पुनर्जीवित कर चुके हैं। कुछ पर काम चल रहा है।
पीएम के प्रोत्साहन से मिली मुहिम तेजी
रामवीर तंवर बताते हैं कि वैसे तो उनका काम ही उनका पुरस्कार हैं, लेकिन जब अक्टूबर 2021 में एक रोज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात में उनका जिक्र किया तो उनके और उनकी टीम के लिए बेहद खास पल था। इससे न केवल उनकी काम को राष्ट्रीयस्तर पर पहचान मिली, बल्कि देशभर से लोगों ने भी संपर्क किया। प्रधानमंत्री का प्रोत्साहन तालाबों को जीवित करने की मुहिम में मददगार साबित हुआ। एनसीआर के बाहर दूसरे राज्यों के लोगों ने भी उनसे संपर्क किया। कई संस्थानों ने भी संपर्क किया।