कामगारों के पलायन के कदमों पर लगाया राहत का मरहम
जिले से हजारों की संख्या में लोगों ने बोरिया-बिस्तर समेट वापस गांव की ओर कदम बढ़ा दिया। लोगों के पलायन को रोकने के लिए सरकार ने तमाम प्रयास किए।
ग्रेटर नोएडा [मनीष तिवारी]। आय के छोटे-छोटे साधनों से जिंदगी को रफ्ता-रफ्ता आगे बढ़ाने वाले लोगों के सामने कोरोना महामारी बड़ी बाधा के रूप में खड़ी हुई। लॉकडाउन में आय के साधन बंद हुए तो बहुत से लोगों को आगे अंधेरा नजर आने लगा। जिले से हजारों की संख्या में लोगों ने बोरिया-बिस्तर समेट वापस गांव की ओर कदम बढ़ा दिया। लोगों के पलायन को रोकने के लिए सरकार ने तमाम प्रयास किए। साथ ही सामाजिक लोग आगे आए। इनमें ऐसे लोग भी शामिल हुए, जिन्होंने भवन का किराया माफ कर पलायन करने वाले कदमों पर मरहम लगाने का प्रयास किया। छोटे प्रयास से जेब पर बड़ा भार पड़ा, लेकिन पलायन को रोकने में सफलता भी मिली।
देश व प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से जिले में आकर हजारों की संख्या में लोग छोटा-छोटा व्यापार व रोजगार करते हैं। इसमें चाय, फल, सब्जी बेचना, विभिन्न चीज की रेहड़ी लगाना, कस्बे व गांव में छोटा-छोटा स्टोर संचालित करना आदि शामिल है। साथ ही हजारों की संख्या में लोग विभिन्न कंपनी, फैक्ट्री, सोसायटी, स्कूल, कॉलेज, दुकान, निजी कार्यालय में नौकरी कर गुजारा करते हैं। ऐसे लोग अपने-अपने हिसाब से दो से तीन हजार रुपये तक का कमरा लेकर परिवार के साथ रहते हैं। लॉकडाउन में उनके सामने आय का साधन बंद हो गया। जमा पूंजी से लोगों ने कुछ दिनों तक गुजारा किया, बाद में कदम उखड़ने लगे। गुजर-बसर के साथ ही उनके सामने मकान का किराया व बच्चों के स्कूल की फीस बड़ी समस्या के रूप में खड़ी हो गई। ऐसे में लोगों के सामने वापस अपने गांव या घर जाने का रास्ता नजर आने लगा। हजारों की संख्या में लोगों ने कदम बढ़ा दिए।
एस दीप पब्लिक स्कूल के चेयरमैन नीरज सिंह ने बताया कि स्कूल में 700 बच्चे पढ़ते हैं। लॉकडाउन में अभिभावकों ने फीस देने में असमर्थता जताई। परिवार के सामने संकट को देखते हुए सभी बच्चों की तीन माह की फीस माफ कर दी गई।