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UP: सब स्टेशन के मालिकाना हक की लड़ाई में दफन मिला घोटाले का ताबूत

शासन ने प्रकरण में विधिक परामर्श लेने के बाद संयुक्त सचिव अनिल कुमार ने प्राधिकरण को कार्रवाई के लिए निर्देश दिए हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 10:03 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 10:03 AM (IST)
UP: सब स्टेशन के मालिकाना हक की लड़ाई में दफन मिला घोटाले का ताबूत
UP: सब स्टेशन के मालिकाना हक की लड़ाई में दफन मिला घोटाले का ताबूत

ग्रेटर नोएडा [अरविंद मिश्रा]। घरबरा बिजली सब स्टेशन के मालिकाना हक काे लेकर उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड एवं नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (एनपीसीएल) के बीच चल रही लड़ाई ने एक घोटाले का मुंह खोल दिया है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने एनपीसीएल को लेकर हुए समझौते की अनदेखी करते हुए सब स्टेशन की जमीन की लीजडीड कंपनी के नाम पर की थी। प्राधिकरण ने इसके लिए कंपनी से मात्र 69 करोड़ रुपये वसूले। जबकि सब स्टेशन की कीमत सात सौ करोड़ रुपये से अधिक है। शासन ने प्रकरण में विधिक परामर्श लेने के बाद संयुक्त सचिव अनिल कुमार ने प्राधिकरण को कार्रवाई के लिए निर्देश दिए हैं। कंपनी के नाम पर जमीन की लीजडीड करने वालों की जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।

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ग्रेटर नोएडा में बिजली वितरण के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने 1992 में मैसर्स इस्काॅन के साथ एमओयू किया था। इसके तहत एनपीसीएल की स्थापना हुई। इस एमओयू के तहत यह शर्त थी कि ग्रेटर नोएडा में ट्रांसमिशन सब स्टेशन के लिए निर्माण के लिए एनपीसीएल रकम देगी। निर्माण लागत देने के बावजूद सब स्टेशन पर यूपीपीटीसीएल का मालिकाना हक बना रहेगा। लेकिन घरबरा में 220 केवी सब स्टेशन के निर्माण के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण व एनपीसीएल ने एमओयू की शर्त का उल्लंघन किया। प्राधिकरण ने कंपनी को जमीन आवंटित की और शर्त के विरुद्ध जाकर 69 करोड़ में इसकी लीजडीड कंपनी के नाम पर कर दी। इसके आधार पर कंपनी सात सौ करोड़ रुपये के सब स्टेशन पर मालिकाना हक जता रही है। वर्षों से सब स्टेशन के मालिकाना हक को लेकर यूपीपीटीसीएल एवं एनपीसीएल में लड़ाई चल रही है। इस कारण सब स्टेशन का संचालन भी शुरू नहीं हो सका है।

प्राधिकरण ने इस मामले में विधिक राय लेने के लिए शासन को पत्र भेजा था। औद्योगिक विकास विभाग ने हाइकोर्ट के महाधिवक्ता से एमओयू पर विधिक राय ली तो सामने आया कि प्राधिकरण व कंपनी ने एमओयू का उल्लंघन किया है। एमओयू की शर्तों को ताकपर रखकर कंपनी के नाम पर सब स्टेशन की जमीन की लीजडीड की गई थी। शासन के निर्देश पर प्राधिकरण जल्द ही एनपीसीएल को कारण बताओ नोटिस जारी कर सकता है।

कंपनी का पक्ष सुनने के बाद प्राधिकरण जमीन की लीजडीड निरस्त करने की कार्रवाई भी कर सकता है।

सब स्टेशन की जमीन का नहीं सौंपा जाता मालिकाना हक

प्रदेश सरकार, नगर पंचायत एवं प्राधिकरण सब स्टेशन के लिए यूपीपीटीसीएल, यूपीपीसीएल को जमीन देती हैं। लेकिन इस जमीन का मालिकाना हक उन्हें नहीं सौंपा जाता। जमीन का मालिकाना हक सरकार या प्राधिकरण, निकाय या सरकार के पास बना रहता है।


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