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लाइन बिछाई नहीं, दो दशक से पानी का बिल वसूल रहा प्राधिकरण

नोएडा प्राधिकरण के जल विभाग का सेक्टर-10 ए ब्लाक में बहुत ही चौकाने वाला मामला प्रकाश में आया है, जहां पर नौ औद्योगिक इकाइयों (99 से 107 तक) को पिछले 23 वर्ष से बिना पानी सप्लाई के ही बिल की वसूली की जा रही है। जबकि उद्यमियों की ओर से इस मामले पर बार-बार संबंधित अधिकारियों को अवगत कराया जा रहा है। यहां पर पानी सप्लाई की लाइन तक नहीं बिछाई गई है। ऐसे अब सवाल यह खड़ा हो गया है कि प्रदेश सरकार नोएडा में नए उद्योगों को लगाने के लिए निवेशकों को रिझाने में जुटी है। वहीं प्राधिकरण का इकाइयों के प्रति शोषणातमक रवैइया थमने का नाम नहीं ले रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 07:00 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 07:00 PM (IST)
लाइन बिछाई नहीं, दो दशक से पानी का बिल वसूल रहा प्राधिकरण

जागरण संवाददाता, नोएडा :

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नोएडा प्राधिकरण के जल विभाग का सेक्टर-10 ए ब्लाक में बहुत ही चौकाने वाला मामला प्रकाश में आया है। यहां पर नौ औद्योगिक इकाइयों (99 से 107 तक) से पिछले 23 वर्ष से बिना पानी सप्लाई के ही बिल की वसूली की जा रही है। उद्यमियों की ओर से इस मामले पर बार-बार संबंधित अधिकारियों को अवगत कराया जा रहा है। यहां पर पानी सप्लाई की लाइन तक नहीं बिछाई गई है।

उद्यमियों का कहना है कि औद्योगिक सेक्टर फेज-एक (सेक्टर-एक से 11 तक) में करीब 4500 भूखंड  उद्यमियों को आवंटित किए गए। एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज लेकर पानी-सीवर की लाइन डाली गई, लेकिन सेक्टर-10 के ए ब्लाक की नौ औद्योगिक इकाइयां आज भी पानी सप्लाई से वंचित हैं। यहां सभी भूखंड  का आवंटन 1985 में किया गया था। वर्ष 1995 तक पानी की सप्लाई प्राधिकरण की ओर से दी जा रही थी। आरोप है कि वर्ष 1995 में जब ए-108 प्लाट का आवंटन के बाद निर्माण हुआ। उस समय सड़क का तीन मीटर हिस्सा कंपनी के भीतर चला गया। यहां पर सड़क 18 मीटर से 15 मीटर चौड़ी रह गई। इसी तीन मीटर में पानी सप्लाई की लाइन थी, जो कंपनी ने अपने बेसमेंट निर्माण में हटा दी। ऐसे में कई बार प्राधिकरण के अधिकारियों से शिकायत की गई कि पानी सप्लाई नहीं हो रही है, लेकिन संबंधित अधिकारियों ने सुध नहीं ली। इस जगह पर जितने भी मूल आवंटी थे, उन्होंने अपनी अपनी इकाइयों को बेच दिया लेकिन सवाल यह उठता है कि जब इकाइयों को आवंटन हुआ होगा या इकाइयों को रीसेल किया गया होगा। उस समय पानी की एनओसी तो अवश्य ली गई होगी। ऐसे में जब पानी सप्लाई नहीं किया जा रहा था तो एनओसी कैसे जारी हो गई। यहीं यदि एनओसी नहीं ली गई तो प्लाट को रीसेल कैसे किया गया या उसका टीएम (ट्रांसफर ऑफ मेमोरेंडम) कैसे हुआ, जैसे तमाम सवालों ने अब जन्म ले लिया है। उद्यमियों का कहना है कि प्राधिकरण में हर काम हो रहा है, लेकिन पानी सप्लाई की मांग को लेकर उद्यमी वषरें से चक्कर काट रहे हैं, बस इसकी सुनवाई नहीं हो रही है। लिहाजा इस मामले की लिखित शिकायत उद्यमियों ने एमएसएमई इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन नोएडा के माध्यम से प्राधिकरण मुख्य कार्यपालक अधिकारी सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास भेजी गई है। ---------------

जब कनेक्शन नहीं है तो बिल नहीं भेजा  जाना चाहिए। यदि ऐसा है तो यह गलत है। शिकायत आई है तो इस पर कार्रवाई की जाएंगी, लेकिन मुझे ज्ञात है कि पानी सप्लाई लाइन सेक्टर-10 में मौजूद है। इसके लिए वर्क सर्किल अधिकारी ही सही बता सकते है।

एससी अरोड़ा, डीजीएम (जल), नोएडा प्राधिकरण

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मामला प्रकाश में तब आया जब वर्ष 1985 में आवंटित प्लाट के मूल आवंटियों ने अपनी अपनी इकाइयों को बेच दिया। वर्ष 2015 के बाद री-सेल में इकाइयों को संचालित करने वाले उद्यमियों ने प्राधिकरण में आवाज उठानी शुरू की। प्रथम आवंटी को जब पानी सप्लाई दी नहीं जा रही थी तो कैसे प्राधिकरण से सभी को सुविधाओं व क्लीयरेंस के लिए एनओसी जारी कर दी।

-सुरेंद्र ¨सह नाहाटा, अध्यक्ष, एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा


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