नोएडा में होगा देश की मालवाहक ट्रेन व ट्रैक पर अनुसंधान
ग्रेटर नोएडा देश में उत्पादन ही नहीं बल्कि अनुसंधान भी मेक इन इंडिया होंगे। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर के ट्रैक और मालवाहक ट्रेनों पर शोध व अनुसंधान के लिए नोएडा में बन रहा देश का पहला हैवी हाल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एचएचआरआइ) का निर्माण जून तक हो जाएगा।
अर्पित त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा: देश में उत्पादन ही नहीं बल्कि अनुसंधान भी मेक इन इंडिया होंगे। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर के ट्रैक और मालवाहक ट्रेनों पर शोध व अनुसंधान के लिए नोएडा में बन रहा देश का पहला हैवी हाल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एचएचआरआइ) का निर्माण जून तक हो जाएगा। इसका निर्माण डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआइएल) करा रही है। यहां 1100 करोड़ रुपये की अत्याधुनिक मशीनें लगेंगी, जिसके लिए टेंडर जारी हो गया है। ये मशीनें अमेरिका, जर्मनी, जापान, आस्ट्रेलिया व आस्ट्रिया से आएंगी। शुरुआत में यहां विदेशी विशेषज्ञ शोध करेंगे और भारतीय इंजीनियरों को प्रशिक्षण देंगे।
अनुसंधान के बाद नई तकनीकों से रेलवे बुनियादी ढांचे को विश्वस्तर का बनाया जाएगा। इसके अलावा परिसर में उत्तरी व पश्चिमी कारीडोर का कमांड कंट्रोल रूम भी बनेगा। वर्ष 2022 की शुरुआत में इसका संचालन पूरी तरह से शुरू हो जाएगा। रेलवे अनुसंधान की उत्कृष्टता के लिए पहचाने जाने वाली आस्ट्रेलिया स्थित मोनाश युनिवर्सिटी का इंस्टीट्यूट आफ रेलवे टेक्नोलाजी एचएचआरआइ को स्थापित करने में सहयोग करेगी।
डीएफसीसीआइएल के मुताबिक देश के एक कोने से दूसरे कोने तक कम समय में भारी माल पहुंचाने के लिए इस कारिडोर का बनाया जा रहा है। इस तरह के कारिडोर विदेशों में पहले से ही हैं। वहां ऐसे कारिडोर पर शोध होते रहते हैं। एचएचआरआइ बनने के बाद देश में ही शोध हो सकेंगे। कंटेनर रूपी मालवाहक ट्रेनों में एक के ऊपर एक ट्रक खड़े हो सकेंगे। इसके बनने से सड़क पर मालवाहक वाहनों की संख्या कम होगी, जिससे यातायात कम होगा और प्रदूषण भी। कारिडोर का ट्रैक कुछ जगहों पर एलिवेटेड तर्ज पर भी बनाए जाएंगे। इन ट्रैकों पर 1.5 किलोमीटर लंबी और 13.5 हजार टन की मालगाड़ी 100 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ेगी। शोध में भौगोलिक स्थित को ध्यान में रखकर ट्रैक को अपग्रेड करेंगे। साथ ही मालवाहक ट्रेनों की क्षमता, गुणवत्ता, स्पीड आदि पर भी कार्य किया जाएगा। यहां अधिकारियों व शोधार्थियों के लिए आवास भी बनेगा। वर्जन..
टेंडर जारी कर दिए गए हैं। जून तक इंस्टीट्यूट का निर्माण हो जाएगा। 1100 करोड़ की मशीनें विदेशों से आएंगी। अधिकतर मशीनें संस्थान में शोध के लिए लगेंगी। कुछ मशीनें ट्रेन संचालन व ट्रैक के उपयोग में आएंगी।
-वाइपी शर्मा, उप मुख्य परियोजना प्रबंधक, नोएडा इकाई, डीएफसीसीआइएल