मायावती ने दोबारा जाति के आधार पर मांगे वोट
सहारनपुर के बाद ग्रेटर नोएडा में आयोजित रैली में बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर जाति विशेष से गठबंधन के प्रत्याशी को वोट देने की अपील की। मायावती की अपील एक बार फिर विवादों के घेरे में आ सकती है। मायावती द्वारा सहारनपुर में की गई अपील पर चुनाव आयोग ने रिपोर्ट मांगी है। उनके द्वारा ग्रेटर नोएडा में की गई अपील का भी आयोग संज्ञान ले सकता है। अपने भाषण में मायावती ने कहा पूर्व
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा:
सहारनपुर के बाद ग्रेटर नोएडा में आयोजित रैली में बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर जाति विशेष से गठबंधन के प्रत्याशी को वोट देने की अपील की। मायावती की अपील एक बार फिर विवादों के घेरे में आ सकती है। मायावती द्वारा सहारनपुर में की गई अपील पर चुनाव आयोग ने रिपोर्ट मांगी है। अपने भाषण में मायावती ने कहा पूर्व की सरकारों ने दलित, मुस्लिम, पिछड़े व आदिवासी लोगों का ध्यान नहीं रखा। जिसका कारण रहा कि यह जातियां पिछड़ती गईं। चारों जाति के लोगों से अपील की कि किसी भी राजनीतिक दल के बहकावे में न आएं और एकजुट होकर गठबंधन के प्रत्याशी को वोट दें। भाषण के दौरान यह अपील दो बार की गई। गुर्जर जाति का नाम भी कई बार लिया गया। उन्होंने अपने भाषण में कई बार कहा कि हमने गुर्जर बिरादरी के सतवीर नागर को मैदान में उतारा है। आप गुर्जर बिरादरी के सतवीर नागर को वोट दें। उप जिला निर्वाचन अधिकारी एमएन उपाध्याय का कहना है भाषण में धर्म या जाति की बात कह कर वोट नहीं मांगा जा सकता। भाषण के दौरान आयोग की टीम उपस्थित थी। भाषण के वीडियो की जांच कराई जाएगी।
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सभा में नहीं नजर आया सपाई रंग
सभा का आयोजन गठबंधन प्रत्याशी सतवीर नागर के समर्थन में किया गया था। कई दिनों पूर्व जब सभा की तिथि निर्धारित हुई थी तो सभा में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह के आने का कार्यक्रम तय हुआ था। अंतिम समय में अखिलेश यादव व अजीत सिंह का कार्यक्रम निरस्त हो गया। सभा पूरी तरह से बसपा के रंग में रंगी दिखी। चारों तरफ बसपा के झंडे, बैनर, पोस्टर, टोपी आदि चीजें अधिक दिखी। बसपा के मुकाबले सपा व रालोद के झंडे-बैनर कम नजर आए। कहीं न कहीं सभा पूरी तरह से बसपामय नजर आई।
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सभा में मायावती की फिसली जुबान
सभा को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा प्रदेश में सबसे अधिक विकास बसपा के शासनकाल में हुआ। प्रदेश में अन्य पार्टी की भी सरकारें रहीं। लेकिन उन्होंने विकास की बजाय सिर्फ लूट-खसोट पर ही अधिक ध्यान दिया। इस दौरान वह यह भूल गई कि चुनाव में सपा-बसपा का गठबंधन है और प्रदेश में सपा की सरकार भी रही है।
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सभा में जुटे सपा-बसपा-रालोद के नेता
सभा के दौरान दो मंच बनाए गए थे। एक मंच मायावती के संबोधन के लिए बनाया गया था। जिस पर मायावती के अलावा, पार्टी नेता सतीश मिश्रा, मायावती के भतीजे आकाश आनंद, प्रत्याशी सतवीर नागर, पूर्व विधायक सतवीर गुर्जर, बसपा जिलाध्यक्ष लखमी सिंह, गजराज नागर, सपा जिलाध्यक्ष वीर सिंह यादव, रालोद जिलाध्यक्ष जर्नादन भाटी व कुछ अन्य नेताओं को ही जगह मिल सकी। अन्य नेताओं को बगल के मंच पर जगह मिली। सभा में बसपा के पूर्व राज्यमंत्री अजीत पाल, मेरठ मंडल संयोजक भाईचारा समिति के अध्यक्ष संजीव त्यागी, वरिष्ठ नेता रामशरण नागर, कर्मवीर नागर, मनवीर मावी, आलोक नागर, नरेंद्र भाटी डाढ़ा आदि मौजूद थे। सपा नेताओं में पूर्व विधानसभा प्रत्याशी नरेंद्र नागर, जिलाध्यक्ष वीर सिंह यादव, नोएडा के प्रत्याशी रहे सुनील चौधरी, भरत यादव, राघवेंद्र, सूरज प्रधान आदि मौजूद थे। रालोद की ओर से जिलाध्यक्ष जनार्दन भाटी, महानगर अध्यक्ष बिजेंद्र यादव, युवा जिलाध्यक्ष सुधीर, हरिओम देवटा, भूपेंद्र चौधरी, शौकत अली चेची, रोहित शर्मा आदि मौजूद थे।
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मायावती ने वीरेंद्र डाढ़ा को बुलाया मंच पर
सभा समाप्त कर जाते वक्त मायावती ने पार्टी के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी वीरेंद्र डाढ़ा को मंच पर बुलवाया। उन्हें सांत्वना दी कि टिकट कटने से दुखी न हो और प्रत्याशी को जिताने के लिए जी जान से जुटें। पार्टी उन्हें भविष्य में समायोजित करेगी। उनका पार्टी में पूरा सम्मान होगा। वीरेंद्र डाढ़ा ने पूरी तरह से समर्थन का आश्वासन दिया।