अपनी रकम वापस लेने को न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे निवेशक
जागरण संवाददाता ग्रेटर नोएडा सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को आदेश दि
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा: सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को आदेश दिया है कि वह बिल्डरों से बकाया धनराशि पर साढ़े आठ फीसद की दर से ब्याज वसूल करें। यह ब्याज दर 2010 से लागू होंगी। कोर्ट के इस फैसले से बिल्डरों को बड़ी राहत मिली है, लेकिन जो निवेशक बिल्डरों को समुचित राशि का भुगतान कर चुके हैं। वह अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। निवेशकों के संगठन की ओर से जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने की तैयारी है। निवेशक बिल्डरों से उस रकम की वापसी की मांग कोर्ट से करेंगे, जो ब्याज के नाम पर उनसे वसूली गई है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का बिल्डरों पर करीब साढ़े छह हजार करोड़ रुपये बकाया है। प्राधिकरण बिल्डरों से बारह से चौदह फीसद का ब्याज वसूल करता है। प्रदेश सरकार ने प्राधिकरण में आवंटियों से वसूले जा रहे ब्याज के लिए पॉलिसी तय की है। इसके तहत एसबीआइ की एमसीएलआर के आधार पर प्राधिकरण को ब्याज दर तय करनी होंगी। इसके तहत प्राधिकरण ने साढ़े आठ फीसद ब्याज दरें एक जुलाई से लागू की हैं। लेकिन बिल्डरों को इसका लाभ नहीं दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अन्य आवंटियों की तरह बिल्डरों को भी इन ब्याज दरों का लाभ देने का आदेश देते हुए इसे 2010 से लागू करने को कहा। कोर्ट के इस आदेश से बिल्डर परियोजनाओं के निवेशक ठगा महसूस कर रहे हैं। बिल्डरों ने उनसे 18 से 21 फीसद तक ब्याज वसूल किया है। जबकि कोर्ट के आदेश के बाद बिल्डर प्राधिकरण को साढ़े आठ फीसद ब्याज का भुगतान करेगा।
नेफोवा अध्यक्ष अभिषेक कुमार का कहना है कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा में ढाई लाख से अधिक निवेशक हैं जो बिल्डरों को पूरी राशि का भुगतान कर चुके हैंँ। बिल्डरों ने 18 से 21 फीसद ब्याज वसूल किया है। बिल्डरों को निवेशकों से वसूली गई अतिरिक्त ब्याज की राशि वापस करनी चाहिए। इस मांग को लेकर जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जाएगी।
वहीं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कानूनी राय मशविरा कर रहा है। हालांकि कोर्ट के आदेश से बिल्डरों पर फंसी प्राधिकरण की बकाया रकम मिलने का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन ब्याज दर कम होने से प्राधिकरण को चार हजार करोड़ का नुकसान होगा।