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शाहबेरी में प्राधिकरण की मिलीभगत से हुआ था अवैध निर्माण

ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी गांव में अवैध इमारतों का जाल प्राधिकरण अधिकारियों की मिलीभगत से ही फैला था। डीएम द्वारा एडीएम से कराई गई जांच में प्राधिकरण के कई अधिकारियों को अवैध निर्माण के लिए दोषी ठहराया गया है। रिपोर्ट में साफ-साफ कहा गया है कि अवैध निर्माण रोकने के लिए प्राधिकरण स्तर से ठोस कदम नहीं उठाए गए। अवैध इमारत बनने वाले बिल्डरों को फ्लैटों के निर्माण के लिए पूरा समय दिया गया। प्राधिकरण स्तर से प्रभावी कार्रवाई होती तो अवैध फ्लैटों को बनने से रोका जा सकता था।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 08:02 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 08:02 PM (IST)
शाहबेरी में प्राधिकरण की मिलीभगत से हुआ था अवैध निर्माण
शाहबेरी में प्राधिकरण की मिलीभगत से हुआ था अवैध निर्माण

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा :

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ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी गांव में अवैध इमारतों का जाल प्राधिकरण अधिकारियों की मिलीभगत से ही फैला था। डीएम द्वारा एडीएम से कराई गई जांच में प्राधिकरण के कई अधिकारियों को अवैध निर्माण के लिए दोषी ठहराया गया है। रिपोर्ट में साफ-साफ कहा गया है कि अवैध निर्माण रोकने के लिए प्राधिकरण स्तर से ठोस कदम नहीं उठाए गए। अवैध इमारत बनने वाले बिल्डरों को फ्लैटों के निर्माण के लिए पूरा समय दिया गया। प्राधिकरण स्तर से प्रभावी कार्रवाई होती तो अवैध फ्लैटों को बनने से रोका जा सकता था। डीएम स्तर पर अब जांच रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। एक-दो दिन में रिपोर्ट को मेरठ मंडलायुक्त अनीता मेश्राम व प्रदेश सरकार को भेज दिया जाएगा। इसके बाद शासन स्तर से प्राधिकरण के प्रबंधक व अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।

प्राधिकरण ने शाहबेरी गांव की करीब 156 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण 2008 में किया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 2010 में जमीन अधिग्रहण रद हो गया। प्राधिकरण ने पुर्नविचार याचिका दायर की। इसकी वजह से प्राधिकरण ने किसानों से अपना 110 करोड़ रुपये का मुआवजा भी वापस नहीं लिया। कोर्ट में मामला विचाराधीन है। दूसरी तरफ जमीन मालिकों ने अधिग्रहण रद होने का फायदा उठाकर बिल्डरों और कालोनाइजरों को अपनी भूमि बेच दी। बिल्डरों ने जमीन पर प्राधिकरण से भवनों का नक्शा पास कराए बिना ही फ्लैटों का निर्माण कर दिया। फ्लैटों के निर्माण के समय प्राधिकरण स्तर से कोई निगरानी और निरीक्षण न होने का फायदा उठाकर बिल्डरों ने घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग किया। फ्लैटों की नींव भी कमजोर थी। नतीजतन बीते 17 जुलाई को छह मंजिला बनी दो इमारतें जमींदोज हो गई। घटना में नौ लोगों की मौत हो गई थी। शाहबेरी में अनेक बि¨ल्डग ऐसी है, जिनकी बुनियाद बेहद कमजोर है। वे कभी भी जमींदोज हो सकती है। तीन इमारतों को प्राधिकरण ने बेहद संवेदनशील मानते हुए उन्हें सील कर दिया है। तीनों बि¨ल्डगों को अगले माह ध्वस्त करने की तैयारी है। शाहबेरी घटना की जिलाधिकारी बीएन ¨सह ने एडीएम प्रशासन से मजिस्ट्रेटी जांच कराई थी। प्रदेश सरकार ने मेरठ मंडल की कमिश्नर अनीता मेश्राम से भी जांच रिपोर्ट मांगी थी। एडीएम ने जांच रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है। इसमें प्राधिकरण को ही अवैध निर्माण के लिए दोषी माना गया है। प्राधिकरण अधिकारियों ने गांव में जमीन अधिग्रहण रद होने के बाद अवैध निर्माण को रोकने का प्रयास नहीं किया। इसके लिए प्राधिकरण के आठ से दस प्रबंधक, सहायक प्रबंधक, वरिष्ठ प्रबंधक व कुछ आला अफसरों को दोषी माना गया है। जिलाधिकारी का कहना है कि शीघ्र रिपोर्ट मेरठ मंडलायुक्त व प्रदेश सरकार को भेज दी जाएगी।


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