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पांच बच्चों में फाइलेरिया के लक्षण मिलने पर स्वास्थ्य विभाग सक्रिय

जिले में पांच बच्चों में फाइलेरिया (हाथी पांव) की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ्य निदेशालय भी अलर्ट हो गया है। सूत्रों की माने तो लखनऊ से संयुक्त निदेशक की टीम ने जिले में डेरा डाल हुआ है। जो स्वास्थ्य विभाग की टीम साथ गांव-मोहल्ले में में सर्वे करेगी और पीड़ित बच्चों की स्लाइड बनाएगी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 11:06 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 11:06 PM (IST)
पांच बच्चों में फाइलेरिया के लक्षण मिलने पर स्वास्थ्य विभाग सक्रिय
पांच बच्चों में फाइलेरिया के लक्षण मिलने पर स्वास्थ्य विभाग सक्रिय

जागरण संवाददाता, नोएडा: जिले में पांच बच्चों में फाइलेरिया (हाथी पांव) की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ्य निदेशालय भी अलर्ट हो गया है। लखनऊ से संयुक्त निदेशक की टीम ने जिले में डेरा डाला हुआ है। जो स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ गांव-मोहल्ले में सर्वे करेगी और पीड़ित बच्चों की स्लाइड बनाएगी।

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स्वास्थ्य विभाग की टीम को स्कूलों में तीन दिन कैंप के दौरान आठ बच्चों में फाइलेरिया के लक्षण मिले थे। लखनऊ से पहुंची जांच टीम ने सिर्फ पांच बच्चों को फाइलेरिया का पॉजिटिव रोगी माना है। बता दें फाइलेरिया के जिले में पैर पसारने से स्वास्थ्य विभाग भी हैरान है। पश्चिमी यूपी इस बीमारी का कभी प्रकोप नहीं रहा है, यह बीमारी पूर्वांचल के जनपदों में ही फैलती है। इसी को देखते हुए लखनऊ से संयुक्त निदेशक की एक टीम जिले में हैं।

सीएमओ ने बताया कि जिन बच्चों में फाइलेरिया के परजीवी मिले हैं, उनका उपचार कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि पूर्वांचल के जनपदों में फाइलेरिया को लेकर अभियान चल रहा है। वहां छोटे-बड़े हर व्यक्ति को फाइलेरिया परजीवी की एंटी डोज दी जाती है

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ऐसे फैलता है रोग-

फाइलेरिया को हाथी पांव रोग भी कहा जाता है। ये रोग क्यूलेक्स मच्छर काटने की वजह से होता है। इस मच्छर के काटने से पुवेरिया नाम के परजीवी शरीर में जाने से ये रोग होता है। वयस्क मच्छर छोटे-छोटे लार्वा को जन्म देता है, जिन्हें माइक्रो फाइलेरिया कहा जाता है। ये मनुष्य के रक्त में रात के समय एक्टिव होता है। इस कारण स्वास्थ्य टीम रात में ही पीड़ित का ब्लड सैंपल लेगी।

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ऐसे बचाव-

रात को सोते वक्त मच्छरदानी प्रयोग करें।

पूरी बाजू के कपड़े पहने।

आसपास गंदगी या कूड़ा जमा ना होने दें।

नालियों में पानी रुकने ना दें।

दवा खाली पेट नहीं लेनी चाहिए।

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यदि किसी में इस बीमारी के लक्षण नजर आते हैं तो वे घबराएं नहीं। स्वास्थ्य विभाग के पास इसका पूरा उपचार उपलब्ध है। विभाग स्तर पर मरीज का पूरा उपचार निशुल्क होता है। इसलिए सीधे सरकारी अस्पताल जाएं।

डॉ. अनुराग भार्गव, सीएमओ, गौतमबुद्धनगर


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