अंग्रेजी सीख समाज के साथ कदम से कदम मिलाने की है चाह
पढ़ने लिखने की कोई उम्र नहीं होती इंसान अंदर सीखने की ललक होनी चाहिए। इस कहावत को सलेमपुर गुर्जर की महिलाएं चरितार्थ कर रही हैं। उनका कहना है कि बीती ¨जदगी में शिक्षा की कमी बेहद खली है। जिसे पूरा करने की चाहत अब उमड़ पड़ी है। वहीं इन सबके सपनों को उड़ान देने का काम दीपालिया एनजीओ कर रहा है।
अंकित कुमार, ग्रेटर नोएडा
पढ़ने लिखने की कोई उम्र नहीं होती, इंसान अंदर सीखने की ललक होनी चाहिए। इस कहावत को सलेमपुर गुर्जर की महिलाएं चरितार्थ कर रही हैं। उनका कहना है कि बीती ¨जदगी में शिक्षा की कमी बेहद खली है। जिसे पूरा करने की चाहत अब उमड़ पड़ी है। वहीं, इन सबके सपनों को उड़ान देने का काम दीपालिया एनजीओ कर रहा है।
सलेमपुर गुर्जर निवासी नीतू (54) का कहना है कि कम उम्र में शादी होने के कारण उनकी पढ़ाई बीच में हीं छूट गई। पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते अरमान दबाए उन्होंने उम्र का एक पड़ाव तो पार कर लिया, लेकिन बेटे की शादी के बाद बहू को घर की जिम्मेदारी सौंप वह मुक्त हो गई हैं और अब अपने सपनों को उड़ान देने के लिए निकल पड़ी है। जिससे आने वाली पीढ़ी को घर में भी शक्षित कर सकें।
वहीं बबीता का कहना है कि शिक्षा की वजह से ¨जदगी अधूरी लगती है। कई काम भी इससे प्रभावित होते हैं। अब मैं पढ़कर व्यापार करना चाहती हूँ। इसके लिए गणित विषय पर विशेष ध्यान दे रही हूं। वहीं कुछ महिलाओं का कहना है कि समाज के साथ कदम से कदम मिलाने के लिए वे अंग्रेजी सीखना चाहती हैं।
दीपालिया एनजीओ की सदस्य व शिक्षिका स्नेहा का कहना है कि महिलाओं को शिक्षित किए बगैर समाज का विकास संभव नहीं है। हमारे साथ की टीम महिलाओं को शिक्षित करने के साथ उन्हें सिलाई,ब्यूटी पार्लर जैसे कामों का हुनर भी सीखा रहे हैं। - दीपालिया एनजीओ शिक्षा क्षेत्र में सराहनीय काम कर रहे हैं। स्कूल से समय मिलने के बाद मैं भी महिलाओं को पढ़ाने में रुचि लेती हूँ। ग्रामीण महिलाएं समाज को बेहतर संदेश देने का काम कर रही हैं।
- गीता भाटी, प्रधानाध्यापिका