अभियान: ग्रुप हाउ¨सग सोसायटी के बेसमेंट में भर रहा पानी, हादसे का न बने सबब
नोएडा शहर का अस्तित्व खतरे में दिख रहा है। इसकी वजह सिस्मिक जोन-4 में आना है। आपदा प्रबंधन की माने तो रिक्टर स्केल सात या इससे अधिक तीव्रता का झटका आने पर यहां की इमारते जमीदोष हो सकती है। यह खतरा अब और भी गहरा गया है, क्योंकि नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, लाल डोर में बसी ग्रुप सोयासटियों के बेसमेंट में पानी भरने की समस्या आम होती जा रह है। इससे जमीन दरकने की दिक्कत भी आम हो चली है। भवन जमीदोष होना अब लाल डोरे की जमीन देखने लगा है। जो अब लोगों के लिए ¨चता का विषय बन गया है। विशेषज्ञों की मानी जाए तो निर्माण सामग्री की गुणवत्ता की जांच नहीं होना, लोगों की ¨चता का सबसे बड़ा कारण है, क्योंकि नोएडा-ग्रेटर नोएडा वेस्ट में सालों से ग्रुप हाउ¨सग सोसायटी में निर्माण कार्य रूका रहा है। इससे इमारतों की निर्माण सामग्री बहुत कमजोर हुई है। जाहिर है आने वाले समय में यह इमारतें लोगों के लिए काल बन सकती है, क्योंकि सोसायटियों के बेसमेंट में पानी भरने से इस दिक्कतों को और बढ़ा दिया है।
कुंदन तिवारी, नोएडा : शहर में अव्यवस्थाओं का आलम इसी तरह रहा तो शहरवासियों को आने वाले दिनों में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। बता दें कि नोएडा शहर सिस्मिक जोन-4 में आता है। आपदा प्रबंधन के अनुसार रिक्टर स्केल सात या इससे अधिक तीव्रता का झटका आने पर यहां की इमारतें जमींदोज हो सकती हैं। खतरा अब और भी गहरा गया है, क्योंकि नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, लाल डोर में बसी ग्रुप सोसायटियों के बेसमेंट में पानी भरने की समस्या आम होती जा रही है। इससे जमीन दरकने की दिक्कतें भी बढ़ गई हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि निर्माण सामग्री की गुणवत्ता की जांच न होना, लोगों की ¨चता का बड़ा कारण है, क्योंकि नोएडा-ग्रेटर नोएडा वेस्ट में सालों से ग्रुप हाउ¨सग सोसायटी में निर्माण कार्य रुका है। इससे इमारतों की निर्माण सामग्री बहुत कमजोर हुई है। जाहिर है आने वाले समय में यह इमारतें लोगों के लिए कभी भी काल का गाल साबित हो सकती हैं। मास्टर प्लान 2021 के अनुसार शहर की आबादी करीब 21 लाख होनी थी लेकिन यह आकड़ा आगामी एक साल तक पार हो जाएगा। वहीं 2031 तक शहर में आबादी 25 लाख का लक्ष्य रखा गया है। अगर यही रफ्तार रही तो शहर में निर्माण कार्य, जल, सीवर की लाइने डालने वाला काम तो उतना तय मानक के अनुसार ही हो पाएगा पर आबादी इससे कहीं ज्यादा होगी। यानी शहर की जमीन पर कई गुना भार बढ़ने वाला है। इन लोगों के रहने के लिए नोएडा वेस्ट व सेक्टर-74, 75, 76, 77, 78, डीएससी रोड, नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे, गांवों के लाल डोरे में इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। जिसमे कई इमारतें अवैध भी है। जिनको चिन्हित किया जा रहा है। प्राधिकरण की कार्य प्रणाली की बात करें तो 2015 से अब तक महज 124 इमारतों को चिन्हित किया जा सका है जिनका निर्माण अवैध तरीके से किया गया है, लेकिन उनका क्या होगा जिनका निर्माण जीरो पीरियड की भेंट चढ़ गया। यहां इमारतों के खोखले भवन खड़े हैं। बेसमेंट में पानी भरा है। गुणवत्ता की जांच किए बगैर सत्ता दबाव में आकर इनका निर्माण दोबारा से शुरू कर दिया गया। ऐसे में यदि यहा हादसा होता है ते इसका जिम्मेदार कौन होगा।
बताते चलें कि नोएडा व ग्रेनो वेस्ट में कुल दो हजार से ज्यादा ऐसी रिहायशी इमारतों का निर्माण चल रहा है। जिसमे 80 प्रतिशत ऐसी इमारतें हैं जिनका काम किसी न किसी वजह से रुका है। अकेले नोएडा प्राधिकरण के आकड़े भी बयां कर रहे हैं। हाल ही में कराए गए ऑडिट में प्राधिकरण ने बिल्डर परियोजनाओं को श्रेणी में बांटा था। जिसमे महज 32 परियोजनाओं को सी प्लस की श्रेणी में रखा था। यह वह श्रेणी थी जिनका काम चल रहा था। बाकी 16 परियोजनाओं के बारे में प्ला¨नग की बात कहीं थी। आडिट कंपनी द्वारा इनकी प्ला¨नग तैयार की जा रही है। ऐसे में भविष्य में इन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद क्या गारंटी होगी यह इमारतें भूकंप का एक झटका बर्दाश्त कर पाएंगी।
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पहले क्यों नहीं की जाती जांच
सत्ता परिर्वतन के बाद बिल्डर बायर्स मुद्दा गर्माया था। जिसके बाद बिल्डरों पर सख्ती बरतते हुए बैठकों का दौर शुरू हुआ। नोएडा -ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में बैठक हुई। सर्वाधिक मांग गुणवत्ता को लेकर ही थी। एक दो बार को छोड़कर अब तक किसी भी बिल्डर की गुणवत्ता की रिपोर्ट को प्राधिकरण ने सार्वजनिक नहीं किया। यही नहीं बायर्स की मांग रही कि वह निर्माण के दौरान ही गुणवत्ता की जांच क्यों नहीं करते सब कुछ होने के बाद अंत में कंप्लीशन देने के समय ही क्यों। ऐसे में यदि गुणवत्ता में कमी निकलती भी है तो सांठगांठ के जरिए उसे दूर कर दिया जाता है।
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ग्रुप हाउ¨सग सोसायटी के बेसमेंट में पानी भरने की कई शिकायत वर्क सर्किल के माध्यम से प्राधिकरण में आई है। जिसको गंभीरता से लिया गया है। हाल ही में करीब छह बिल्डरों को प्राधिकरण ओर से नोटिस जारी किया गया है।
-राजेश कुमार ¨सह, ओएसडी, नोएडा प्राधिकरण