ग्रेटर नोएडा में जिहादी साहित्य छापने का भंडाफोड़, तुर्किए फंडिंग और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के तार उजागर
ग्रेटर नोएडा में जिहादी साहित्य छापने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जिसके तार तुर्किए से फंडिंग और एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़े हैं। पुलिस ने छापेमारी कर भारी मात्रा में साहित्य बरामद किया है। मामले की जांच जारी है और कई संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है। यह साहित्य युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी में जिस तरह ब्रेनवाॅश कर धार्मिक उन्माद फैलाने का काम हो रहा था, ठीक उसी तरह ग्रेटर नोएडा के कासना स्थित साइट पांच औद्योगिक सेक्टर में धार्मिक उन्माद फैलाने की सामग्री को भारी संख्या में प्रिंट किया जा रहा था।
आतंकी घटना को अंजाम के फिराक में
दिल्ली के लाल किला के पास बम धमाके के तार अल फलाह यूनिवर्सिटी के डाक्टरों से जुड़े हैं, जो धार्मिक उन्माद फैलाने के साथ ही बड़ी आतंकी घटना को अंजाम की फिराक में थे। ग्रेटर नोएडा में प्रकाशित हो रही सामग्री नोएडा, फरीदाबाद, गाजियाबाद के अलावा बरेली और मुंबई भेजी गईं।
जानकारी मुताबिक 27.50 लाख किताबें अफ्रीकी देश तंजानिया के अलावा अन्य अफ्रीकी देशों में भेजी जा रही थीं, जिसमें तुर्किए से फंडिंग की जानकारी भी सामने आ रही है। कासना स्थित इस्तांबुल इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड और हकीकत आफसेट एंड पब्लिशर्स लिमिटेड की आड़ में जिहादी साहित्य को देश-विदेश भेज धार्मिक कट्टरता फैलाई जा रही थी।
धार्मिक उन्माद फैलाने का काम
फैक्ट्री में तुर्किए और बांग्लादेशी भी आते थे। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क देश-विदेश में धार्मिक उन्माद फैलाने का काम कर रहा था। पिछले शनिवार लखनऊ से आई यूपी एटीएस की टीम ने दिल्ली निवासी कंपनी के सह निदेशक फरहान नबी सिद्दीकी को गिरफ्तार किया था।
आरोपित ने पिछले सात वर्षों में करीब 2.10 करोड़ रुपये से अधिक की उन्मादी किताबें छापीं। इनमें से 27.50 लाख रुपये की किताबें अफ्रीकी महाद्वीप के देश तंजानिया के बाजार में भी बेच दी। इसके बदले में आरोपित ने करीब 19 लाख रुपये टैक्स भी जीएसटी के रूप में चुकाया है।
अवैध तरीके से प्रकाशन शुरू किया
जीएसटी विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, यूपीसीडा के औद्योगिक क्षेत्र साइट पांच में फरहान ने इलेक्ट्रानिक गुड्स उत्पाद वर्ग में इस्तांबुल इंटरनेशनल के नाम से एक फर्म 20 फरवरी 2029 को पंजीकृत कराई। इस फर्म की आड़ में दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन क्षेत्र स्थित हकीकत प्रिंटिंग प्रेस की किताबों को अवैध तरीके से प्रकाशन शुरू कर दिया।
आरोपित ने दिल्ली एनसीआर के शहरों समेत गाजियाबाद, बरेली और मुंबई में भी धार्मिक उन्माद भड़काने वाली किताबों को बेचा। इसकी कानों कान किसी को खबर तक नहीं हुई। इस्तांबुल इंटरनेशनल फर्म के नाम पर ही मध्य प्रदेश और दिल्ली से विभिन्न प्रकार के एग्रीकल्चर सीड्स की खरीदारी भी की।
कारोबार बढ़ाने को पंजीकृत कराई दूसरी फर्म
आरोपित फरहान ने करीब एक साल पहले 23 दिसंबर 2024 को पुरानी फर्म के पते पर ही रियल ग्लोबल एक्सप्रेस लाजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड के नाम एक और फर्म को पंजीकृत कराया। इस फर्म के माध्यम से जेवर में बनने वाले एयरपोर्ट पर अपने कारोबार को बढ़ाने की फिराक में था।
इस फर्म को एयरपोर्ट ऑपरेशंस और पोस्टल सेवाओं के लिए पंजीकृत कराया। पिछले एक साल में इस कंपनी से किसी भी उत्पाद को बेचा नहीं गया, हालांकि अश्वगंधा, शिलाजीत, शतावरी कैप्सूल जैसे अन्य प्रकार की शक्तिवर्धक दवाइयों की खरीदारी की गई, जिसकी अनुमानित मूल्य करीब 2.99 लाख रुपए बताई जा रही है।

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