Move to Jagran APP

विस्थापित परिवारों को सुविधाएं देने के वादे हो रहें खोखले साबित

बृजेश सिंह तालान जेवर नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण के लिए दूसरी जगह विस्थापित कि

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 09:14 PM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 09:14 PM (IST)
विस्थापित परिवारों को सुविधाएं देने के वादे हो रहें खोखले साबित
विस्थापित परिवारों को सुविधाएं देने के वादे हो रहें खोखले साबित

बृजेश सिंह तालान, जेवर: नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण के लिए दूसरी जगह विस्थापित किए गए किसान परिवार वालों को सुविधाएं नहीं मिल रही है। विस्थापन के समय वादा किया गया था कि बुनियादी सुविधाओं का टोटा नहीं होने दिया जाएगा। किसानों को समय पर सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी, ताकि उनका जीवन व्यापन अच्छे से चलता रहे, लेकिन अब इस पर अमल नहीं हो रहा है।

loksabha election banner

पानी टंकी का कार्य अधूरा:

पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए साइट पर एक टंकी का निर्माण कराया गया है जो अभी तक पूरा नहीं हो सका है। ग्रामीणों ने बताया कि साइट के क्षेत्र में जलस्तर नीचा होने के कारण बोरिग करने में करीब 30 हजार का खर्चा होता है। वहीं जमीन रेतीली होने की वजह से सैकड़ों सबमर्सिबल शुरू होने से पहले ही दम तोड़ चुके हैं।

बिजली के लिए जनरेटर सैट पर निर्भर:

साइट पर ग्रामीणों के लिए बिजली की व्यवस्था न होने की वजह से उन्हें पानी आदि के लिए जनरेटर सेट चलाना पड़ता है। प्रत्येक ग्रामीण द्वारा चालीस हजार से एक लाख तक के सेट खरीदकर बिजली की व्यवस्था की गई है।

स्वच्छ भारत अभियान को लग रहा पलीता:

साइट पर एक साथ हजारों की संख्या में बन रहे मकानों के निर्माण के लिए क्षेत्र में हजारों की संख्या में लेबर रह रही है। जिनके लिए प्रशासन द्वारा मात्र एक सेक्टर में दो अस्थायी टायलेट की व्यवस्था की गई है। जिसकी वजह से ज्यादातर ग्रामीण व लेबर खुले में शोच आदि करने को विवश होते हैं। जिससे भारत सरकार के स्वच्छ भारत अभियान को पलीता लग रहा है।

बरसात से आई मकानों में दरार:

पहली ही बारिश ने साइट पर व्यवस्थाओं की पोल खोलकर रख दी। सैकड़ों मकानों में दरार आने से ग्रामीणों में भय है। जिन ग्रामीणों ने अभी तक मकान का निर्माण शुरू नहीं किया था, उनमें से ज्यादातर ने अब एक साल बाद मकान बनाने की योजना बनानी शुरू कर दी है। मिट्टी का भराव करते समय ठेकेदार द्वारा दस फुट से बीस फुट मिट्टी को बगैर कॉमपेक्ट किए ही डाल दिया गया, जिसका खामियाजा अब ग्रामीण भुगत रहे हैं। इस खेल में शामिल रहे अधिकारी अब ग्रामीणों को सिर्फ आश्वासन देकर आंसू पौछने का काम कर रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.